मुस्लिम विरोधी घटनाओं पर विदेश में नकारात्मक प्रतिक्रिया होगी, घरेलू हकीकत बदलने की जरूरत: थरूर
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ऐसे आरोपों को खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर क्षेत्र में अपने-अपने समकक्षों के साथ सतत संपर्क बनाए हुए हैं।
>हाल ही में उत्तर प्रदेश में भाजपा के एक विधायक की कथित टिप्पणी आई जिसमें उन्होंने लोगों से मुस्लिम सब्जी वाले के पास से सब्जी नहीं खरीदने के लिए कहा।’’ गौरतलब है कि पिछले दिनों मुस्लिम सब्जीवाले के बारे में कथित टिप्पणी से जुड़ा भाजपा विधायक सुरेश तिवारी का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसको लेकर भाजपा ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। थरूर ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले छह वर्षों के दौरान अपनी पार्टी की ‘कट्टरता’ की निंदा करने में बहुत पीछे रहे हैं और ‘अपने ही खेमे से इस्लामोफोबिया के उभार’ पर सहमत दिखे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ त्वरित वैश्विक संचार की दुनिया में यह रवैया टिक नहीं सकता कि भारत देश से बाहर मुसलमानों से प्रेम करे, लेकिन देश के भीतर उनका अपमान करे। भारत में मुसलमानों के खिलाफ कई घटनाओं और बयानों पर विदेश में नकारात्मक असर दिखना ही था।’’ थरूर की यह टिप्पणी भारत में कोरोना वायरस महामारी और यहां निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम को लेकर कुछ कथित बयानों के बाद अरब जगत के देशों से आई प्रतिक्रिया की पृष्ठभूमि में है। इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी ने भी इस मामले को लेकर भारत में ‘इस्लामोफोबिया’ होने का आरोप लगाया था।"We must bring our own citizens back. It's not just a matter of their rights but of what's right, morally, emotionally & constitutionally." This & other points (including "Give the states their own money") in my wide-ranging interview w/ @PTI_News :https://t.co/sfigiLskoF
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 1, 2020
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ऐसे आरोपों को खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर क्षेत्र में अपने-अपने समकक्षों के साथ सतत संपर्क बनाए हुए हैं। खाड़ी देशों में भारत की आलोचना और ओआईसी की प्रतिक्रिया को लेकर थरूर ने कहा कि इस तरह की प्रतिक्रिया आना आश्चर्यजनक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री द्वारा किए गए, ‘नुकसान की भरपाई’ के प्रयास का स्वागत करता हूं। लेकिन ज्यादा जरूरी यह है कि आश्वासन देने वाले बयान जारी करने के बजाय, घरेलू वास्तविकता को बदला जाए।’’ खाड़ी देशों में फंसे भारतीय नागरिकों ने अपनी वापसी के लिए आग्रह किया और थरूर ने भी इस सिलसिले में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, हर देश की अपने नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी होती है। उनके मुताबिक, सरकार यह दलील दे रही है कि बड़ी संख्या में लोगों के विदेश से आने से देश की स्वास्थ्य सेवा और पृथक-वास की सुविधाओं पर असहनीय दबाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह 40 दिन पहले सच था तो अब सच नहीं हैं। हमें अपने नागरिकों को वापस लाना चाहिए। यह सिर्फ उनके अधिकार का मामला नहीं है, बल्कि नैतिक, भावनात्मक और संवैधानिक रूप से भी यह उचित है।’’ थरूर ने केंद्र सरकर से यह आग्रह भी किया कि इस मुश्किल समय में राज्यों को उनके हिस्से की बकाया राशि मिलनी चाहिए।
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