Kaiserganj Lok Sabha Seat: कैसरगंज में पसरा सन्नाटा मतदाताओं को कर रहा है मायूस
मतदाता इस बात को लेकर भी चौंके रहे हैं कि भाजपा में विपरीत परिस्थितियां हो सकती हैं, जिससे देरी हो रही है। सपा व बसपा आखिर क्यों चुप्पी साधे हैं। इन दोनों पार्टियों की आखिर क्या मजबूरी है। यह बात गले नहीं उतर रही है कि पहले भाजपा से प्रत्याशी तय हो तो अन्य दल फैसला लेंगे।
लखनऊ। सियासत में कभी हनक रखने वाले उत्तर प्रदेश के कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के मैदान में सूनापन मतदाताओं को काफी अखर रहा है। नेताओं के कद की पहचान बढ़ाने वाला रण खाली है। न रंग है और न ही रौनक। बस कयास है। कौतूहल है। निश्चित रूप से इसके केंद्र में बीजेपी के विवादित और कद्दावर नेता बृजभूषण चरण सिंह है। जिनके इर्द-गिर्द है कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र की सियासत घूमती रहती है।
यहां के लिए बड़े दलों को मजबूत उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे। हर बार जारी होने वाली सूची में दावेदार तय होने की चर्चा होती है, लेकिन हाथ लगता है इंतजार। टिकट के इस दांव से दबदबे का दम ही घुटने लगा है। भाजपा ने तो मानों कदम ही रोक रखे हैं, लेकिन सपा व बसपा को भी कुछ सूझ नहीं रहा, जबकि तीनों दलों में कई नेता चुनाव लड़ने के लिए दस्तक दे चुके हैं। कैसरगंज का मैदान अभी टिकट के दांव में ही उलझा हुआ है। जिससे मतदाताओं में भी भी मायूसी है।
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हर लोकसभा क्षेत्र में करीब-करीब प्रत्याशी तय हो गए हैं और प्रचार शुरू हो गया है। लेकिन यहां कोई पूछने वाला ही नहीं है। इस पर मतदाता कहते हैं कि जिसे भी देना हो टिकट दे देना चाहिए था। इस तरह हर बार कोई नाम न आना अच्छा नहीं लगता। कम से कम यहां भी लोग संपर्क करते। दावेदार तय न होने से सियासी माहौल बन ही नहीं रहा। पूरे क्षेत्र में अजीब सा सन्नाटा है।
मतदाता इस बात को लेकर भी चौंके रहे हैं कि भाजपा में विपरीत परिस्थितियां हो सकती हैं, जिससे देरी हो रही है। सपा व बसपा आखिर क्यों चुप्पी साधे हैं। इन दोनों पार्टियों की आखिर क्या मजबूरी है। यह बात गले नहीं उतर रही है कि पहले भाजपा से प्रत्याशी तय हो तो अन्य दल फैसला लेंगे।
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