पिता ने अपनी नवजात बच्ची को आग की लपटों और धुएं में मरते देखा है
अंकुश यादव अपनी बेटियों को अस्पताल में भर्ती कर अभी बाहर निकले ही थे कि अस्पताल में आग लग चुकी थी। जिसके बाद अंकुश अस्पताल की तरफ भागा और तीसरी मंजिल पर पहुंचा। उन्होंने वहां अपनी नवजात बच्ची को भी आग की उन लपटों और धुएं में मरते देखा है।
भोपाल। राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में सोमवार रात लगी आग का दर्द धीरे-धीरे बाहर आ रहा है। हादसे में अब तक 4 बच्चों की खबर आई है। मंगलवार की सुबह से परिवार अपने बच्चों की सुध लेने के लिए अस्पताल के गेट पर निगाहें टिकाए बैठे हुए है।
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इसी कड़ी में एक अंकुश यादव भी है। हादसे से महज 2 घण्टे पहले ही एक निजी अस्पताल में उनकी ट्विन्स बेटियां पैदा हुई थीं। एक बेटी स्वस्थ थी जबकि एक का वजन कम होने की वजह से डॉक्टर्स ने उन्हें कमला नेहरू अस्पताल में रेफर कर दिया था।
अंकुश यादव अपनी बेटियों को अस्पताल में भर्ती कर अभी बाहर निकले ही थे कि अस्पताल में आग लग चुकी थी। जिसके बाद अंकुश अस्पताल की तरफ भागा और तीसरी मंजिल पर पहुंचा। उन्होंने वहां अपनी नवजात बच्ची को भी आग की उन लपटों और धुएं में मरते देखा है।
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उन्होंने बताया कि वहां मौजूद स्टाफ से कहा था कि आग लग गई है। और बच्चों को बाहर निकालो। पहले तो स्टाफ के लोगों ने उन्हें वॉर्ड में अंदर नहीं घुसने दिया। लेकिन जब हालात बेकाबू होने लगे तो फिर किसी को कुछ नहीं सूझा।
जिसके बाद अंकुश यादव ने अपनी बेटी और बाकी बच्चों को बचाने के लिए गेट पर लगे कांच को अपने हाथ से ही तोड़ दिया और बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश शुरू कर दी। इन सबके बावजूद अंकुश अपनी एक बेटी को नहीं बचा पाये। जबकि दूसरीब बच्ची एक निजी अस्पताल में अभी भी जिंदगी मौत की जंग लड़ रही है।
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