बिहार में भूमिहार समुदाय को साधने में जुटे तेजस्वी, कहा- कहा- हम पर भरोसा कीजिए, आपको कभी निराश नहीं करूंगा
वर्तमान में देखें तो बिहार में भूमिहारों का वोट भाजपा के साथ ही जा रहा है। हालांकि पिछले कुछ समय से भाजपा को लेकर भूमिहारों में नाराजगी भी देखी गई है। यही कारण है कि तेजस्वी यादव अब एमवाई समीकरण के साथ-साथ भूमिहारो को भी अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गए हैं।
बिहार की राजनीति में कयासों का दौर लगातार जारी है। इन्हीं कयासों के बीच हर रोज नए-नए समीकरण बनते और बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं। इन सबके बीच लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने सभी वर्गों के बीच अपने प्रभाव को बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। इसी के साथ उनकी नजर भूमिहारों पर भी है। यही कारण है कि परशुराम जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में ना सिर्फ तेजस्वी यादव शामिल हुए बल्कि मंच से जबरदस्त तरीके से भाषण दिया और भाजपा पर निशाना साधा। वर्तमान में देखें तो बिहार में भूमिहारों का वोट भाजपा के साथ ही जा रहा है। हालांकि पिछले कुछ समय से भाजपा को लेकर भूमिहारों में नाराजगी भी देखी गई है। यही कारण है कि तेजस्वी यादव अब एमवाई समीकरण के साथ-साथ भूमिहारो को भी अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गए हैं। एमवाई समीकरण जहां लालू यादव ने तैयार किया था तो वहीं उनके बेटे उसमें भूमिहारों को जोड़ रहे हैं।
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'भूराबाल साफ करो' का नारा देने वाले लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने दावा किया कि हमारी पार्टी को बदनाम करने के लिए यह अभियान चलाया गया कि हम कुछ खास जातियों के खिलाफ है और अन्य का समर्थन करते हैं। आपको बता दें कि नब्बे के दशक में लालू यादव ने नारा दिया था 'भूराबाल साफ करो'। अपने इस नारे से लालू यादव बिहार की राजनीति में भूमिहार, ब्राहमण, राजपूत और लाला को दूर करना चाहते थे। हालांकि अब उनके बेटे सभी का साथ लेने पर जोर दे रहे हैं। तेजस्वी यादव भूमिहारों को साथ लेकर बिहार में एक नया समीकरण तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि परशुराम जयंती के अवसर पर भूमिहार-ब्राह्मण एकता मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वे शामिल हुए। हालांकि इस कार्यक्रम में कांग्रेस कमेटी के प्रभारी भक्त चरण दास भी मौजूद थे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा तेजस्वी यादव की ही रहे।
ब्राह्मणों की एक उपजाति, भूमिहार समुदाय की बिहार में अच्छी खासी आबादी है, जहां उन्होंने अपनी राजनीतिक और आर्थिक ताकत का उपयोग किया है। भगवान विष्णु के 10 अवतारों में एक माने जाने वाले परशुराम को भूमिहार समुदाय एक सांस्कृतिक प्रतीक मानता है। तेजस्वी ने जब हालिया द्विवार्षिक विधान परिषद चुनावों में भूमिहार समुदाय के कई नेताओं को पार्टी का टिकट दिया था तो उनके इस कदम ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया था। इन उम्मीदवारों में से कुछ ने जीत भी हासिल की। तेजस्वी ने अपने संबोधन में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अंदर चल रही खींचतान का भी जिक्र किया। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच बहु प्रचारित तकरार का जिक्र किया। उल्लेखनीय है कि सिन्हा भी भूमिहार जाति से आते हैं। तेजस्वी ने कहा, ‘‘बिहार या किसी अन्य राज्य के इतिहास में किसी स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) को इस तरह कभी अपमानित नहीं किया गया होगा। ’’ हालांकि, उन्होंने सिन्हा या कुमार, जो कुर्मी जाति से आते हैं, की जाति का जिक्र नहीं किया। लेकिन तालियों की गड़गड़ाहट से यह प्रदर्शित हुआ कि राजद नेता का तीर सही निशाने पर जा कर लगा है।
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तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनावों में राजद नीत महागठबंधन को मिले मतों का उल्लेख करते हुए कहा कि उसे 40 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। उन्होंने कहा, ‘‘यदि समाज के सभी तबके का भरोसा नहीं जीता होता तो यह संभव नहीं होता। ’’ राजद नेता ने कहा, ‘‘ईद के त्योहार को लेकर आज का दिन बहुत व्यस्त है। लेकिन मैं भूमिहार ब्राह्मणों का न्योता ठुकरा नहीं सका, जो काफी प्रबुद्ध हैं। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि तेजस्वी आपको कभी निराश नहीं करेगा। ’’ उन्होंने हिंदुत्व की भाजपा की राजनीति का भी मजाक उड़ाते हुए कहा कि ‘‘शक्तियों वाले ज्यादातर पद, चाहे केंद्र हो या राज्य, हिंदुओं के पास हैं। फिर भी वे कह रहे हैं कि हिंदू खतरे में हैं। कृपया इन विभाजनकारी हथकंडों से सावधान रहें। ’’ वहीं, तेजस्वी के भूमिहार समुदाय से संपर्क साधने पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कड़े शब्दों वाला एक बयान जारी किया। बयान में उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बिहार हजारों भूमहिारों के नरसंहार को नहीं भूल सकता, जो कथित तौर पर तब हुए थे जब राज्य में लालू प्रसाद और बाद में उनकी पत्नी राबड़ी देवी का शासन था।
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