Maharashtra Karnataka Dispute Part I | कर्नाटक-महाराष्ट्र का सीमा विवाद: इलाका तुम्हारा, दावा हमारा
करीब छह दशक से चले आ रहे विवाद के बीच दोनों राज्यों के नेताओं की ओर से लगातार बयानबाजी सामने आती रही। महाराष्ट्र की एनसीपी और शिवसेना क्षेत्र को महाराष्ट्र में मिलाने के लिए काफी उग्र भी रही है। दोनों राज्यों के नेताओं की ओर से बयान आते रहे कि एक इंच भी पीछे नहीं हटा जाएगा।
1959 के साल में एक फिल्म आई थी- दीदी, इस फिल्म का एक गाना बहुत मशहूर हुआ था- "हमने सुना था एक है भारत सब मुल्कों से नेक है भारत। लेकिन जब नजदीक से देखा सोच समझ कर ठीक से देखा हमने नक्शे और ही पाए बदले हुए सब तौर ही पाए।" साहिर लुधियानवी ने जब ये लिखा था तो वो ऐसा दौर था जब हमारा देश आजाद होने के बाद आकार ले रहा था लेकिन विभाजन के दर्द से कराह भी रहा था। तमाम चुभते हुए सवालों के बावजूद गीत की तरह ही हमारा 'मुल्क' उम्मीद का दामन थामें कुछ कर्मयोगियों के प्रयासों का नतीजा है। पन्नों में वर्षों का हिसाब सिमट जाता है और वर्षों का हिसाब रखने वाली शख्सियतें गजों में दफ्न हो जाती है। हिन्दुस्तान के इतिहास ने भी ऐसे ही कद्दावर नेता देखें हैं। 562 रियासतों के टुकड़े में बंटे देश को एक राष्ट्र के बांधने वाले सरदार पटेल के हिन्दुस्तान में ऐसा क्यों हुआ? जिस देश हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक, अटक से कटक, त्रिपुरा से सोमनाथ की बातें करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाते हैं। लेकिन भारत के दो राज्य आमने-सामने नजर आ रहे हैं।
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करीब छह दशक से चले आ रहे विवाद के बीच दोनों राज्यों के नेताओं की ओर से लगातार बयानबाजी सामने आती रही। महाराष्ट्र की एनसीपी और शिवसेना क्षेत्र को महाराष्ट्र में मिलाने के लिए काफी उग्र भी रही है। दोनों राज्यों के नेताओं की ओर से बयान आते रहे कि एक इंच भी पीछे नहीं हटा जाएगा। फिर दोनों राज्यों की सरकार चाहे जिस भी पार्टी की रही हो। मामला बढ़ा फिर गृह मंत्री का दखल हुआ दोनों राज्यों में सुलह कराने के प्रयास और अब मामला नियंत्रण में दिखता प्रतीत हो रहा है। ऐसे में आज हम पूरी कहानी क्या है और इसके जड़ तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। समझेंगे कि कैसे ये झगड़ा सिर्फ जमीन का नहीं है। सांस्कृतिक पहचान और रोजगार का है। वो कौन लोग इस विवाद को हवा दे रहे हैं। लेकिन पूरे मामले को समझने के लिए पहले इतिहास को जानना जरूरी है।
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ऐसे में आइए आपको वर्तमान की ऊंगली पकड़कर इतिहास की उन गलियों में लिए चलते हैं जहां से इस समस्या की शुरुआत हुई। और देखते ही देखते कैसे क्षेत्रीयता की भावना में राजनीति का तड़का लगने से इस विवाद की लपटें आज भी समय-समय पर अपनी तपिश का अहसास कराती रहती हैं। आने वाले वक्त में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कुल मिलाकर कहें तो पूरी सीरिज के जरिए आपको ले चलेंगे मामले की तह तक ! महाराष्ट्र कर्नाटक विवाद के दूसरे भाग में हम जानेंगे कि क्या है महाजन कमीशन की रिपोर्ट और अगर इसका सुझाव मान लिया जाता तो क्या सुलझ जाता विवाद?
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