George Soros Part III | जॉर्ज सोरोस का NGO कनेक्शन, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और गैर सरकारी संगठनों का बनाया पूरा नेटवर्क
बुद्धिजीवियों और मीडिया नेटवर्क के अलावा, जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन ने भारत में बड़ी संख्या में संगठनों को वित्त पोषित किया है। 2016 में ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन को भारत सरकार द्वारा निगरानी सूची में रखे जाने से उसे एक बड़ा झटका लगा।
जॉर्ज सोरोस के एनजीओ कनेक्शन पीएफआई जैसे इस्लामिक कट्टर संगठन, अर्बन नक्सल, क्रिश्चन मशीनरी, बुद्धिजीवी और पत्रकारों से है जिन्हें भारत का लोकतंत्र हमेशा खतरे में दिखाई देता है। जिन्हें भारत में बनी कोविड वैक्सीन पर विश्वास नहीं होता। राफेल पर विश्वास नहीं होता। जॉर्ज सोरोस के एनजीओ के तार कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े हुए हैं। वर्ष 2016 में भारत सरकार ने गैर कानूनी फंडिंग को रोकने के लिए इस एनजीओ को अपनी वॉच लिस्ट में डाल दिया था। जिसका मतलब ये था कि ये एनजीओ गैरकानूनी तरीके से भारत में अलग-अलग संस्थाओं को फंडिंग कर रहा था। इसलिए इसे वॉच लिस्ट में डाला गया और कोई भी फंडिंग रीलिज करने से पहले भारत सरकार की मंजूरी लेनी होगी। भारत सरकार की नजर इस एनजीओ पर रहेगी। वर्तमान समय में भी ये एनजीओ वॉच लिस्ट में मौजूद है। इस एनजीओ पर भारत को अस्थिर करने के गंभीर आरोप लग रहे थे। सलील शेट्टी नाम का व्यक्ति इस एनजीओ का वाइस प्रेसिडेंट है। ये वही व्यक्ति है जो 11 अक्टूबर 2022 को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उनके साथ शामिल था। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने 17 फरवरी को सलिल शेट्टी की तस्वीरें ट्विट करते हुए लिखा कि जॉर्ज सोरोस के भारत विरोधी दोषारोपण के खिलाफ भारत एकजुट है। एक राष्ट्र के रूप में हम इनके जैसे कमजोर बौने लोगों से निपटने में सक्षम हैं, ज्यादा चिंता की बात यह है कि उनके सहयोगी सलिल शेट्टी हैं जो जॉर्ज सोरोस की ओर से वित्त पोषित एक NGO के उपाध्यक्ष हैं, जो हाथ में हाथ डालकर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ चले थे।
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बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और गैर सरकारी संगठनों का बनाया पूरा नेटवर्क
गैर सरकारी संगठनों के अपने नेटवर्क के माध्यम से, जॉर्ज सोरोस ने बुद्धिजीवियों के एक वर्ग को विकसित किया है जो भारतीय राज्य, विशेष रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी सरकार का विरोध करने की दिशा में काम करते हैं। यह सब 1995 में शुरू हुआ जब जॉर्ज सोरोस ने मीडिया डेवलपमेंट इन्वेस्टमेंट फंड की स्थापना के लिए प्रारंभिक सीड फंड का योगदान दिया। अपने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के माध्यम से, जिसने 1999 में भारतीय संस्थानों में अध्ययन और अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए छात्रवृत्ति और फैलोशिप की पेशकश करके भारत में अपना संचालन शुरू किया। परोपकारी गतिविधियों को चलाने के नाम पर सोरोस के नेतृत्व में वामपंथी अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने भारत के भीतर के सक्रिय भारत विरोधी तत्वों को समर्थन देकर देश भर में अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ दशकों में जॉर्ज सोरोस ने समय-समय पर भारत में राष्ट्रवादी सरकार के खिलाफ प्रोपोगेंडा फैलाने का काम किया। 2008 में, सोरोस इकोनॉमिक डेवलपमेंट फंड (SEDF) ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए अपने 17 मिलियन SONG फंड लॉन्च करने के लिए ओमिडयार नेटवर्क, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) और Google.org के साथ हाथ मिलाया था। अन्य नेटवर्क के साथ, सोरोस ने पॉलिटिकल नैरेटिव सेट करने के लिए मीडिया को व्यापक अनुदान प्रदान किया है।
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सोरोस द्वारा प्रायोजित एनजीओ
बुद्धिजीवियों और मीडिया नेटवर्क के अलावा, जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन ने भारत में बड़ी संख्या में संगठनों को वित्त पोषित किया है। 2016 में ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन को भारत सरकार द्वारा निगरानी सूची में रखे जाने से उसे एक बड़ा झटका लगा। जिसके बाद ये साफ हो गया कि किसी भी संगठन को सीधे फंड नहीं दे सकती थी। परिणामस्वरूप, 2016 से OSF को भारत में FCRA पंजीकृत संगठनों को पैसा भेजने के लिए गृह मंत्रालय से पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता है।
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