History of Maharashtra Politics Part 7 | बैकसीट से ड्राइविंग सीट पर आ पाएगी कांग्रेस | Teh Tak

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ANI
अभिनय आकाश । Sep 30 2024 8:10PM

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 17 पर चुनाव लड़ा था और 13 सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सिर्फ एक सीट हासिल की थी, लेकिन इस साल 13 सीटें जीत लीं। इससे न सिर्फ कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि उसकी अपने सहयोगियों के साथ बार्गेनिंग पॉवर भी बढ़ी है।

महाराष्ट्र की राजनीति में कभी केवल और केवल कांग्रेस का ही सिक्का बुलंद हुआ करता था। चाहे वो राज्य के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण हो या अपनी पार्टी बनाने से पहले तक शरद पवार सीएम के चेहरे बदलते रहे लेकिन कांग्रेस का ही परचम लहराता रहा। लेकिन कांग्रेस के इस अमेद्द किले में बीजेपी-सेना गठबंधन ने 1995 में सेंध लगा दी। मनोहर जोशी के रूप में पहली बार भगवा दल को अपना सीएम बनाने का मौका मिला। लेकिन कभी विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर अलग राह अपनाने वाले शरद पवार ने सत्ता के लिए 1999 में कांग्रेस से हाथ मिला लिया। परिणामस्वरूप कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के सीएम के रूप में विलासराव देशमुख, अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण के रूप में सीएम के चेहरे के रूप में कांग्रेस की उपस्थिति राज्य में बडे़ भाई सरीखे ही रही। लेकिन 2014 के बाद प्रदेश की राजनीति में बहुत कुछ बदला। नरेंद्र मोदी के लहर पर सवार बीजेपी की पतवार ने केंद्र में अफनी सरकार बनाई और महाराष्ट्र की राजनीति में भी अपने असर को बढ़ाया और शिवसेना को भी अपनी ताकत का अहसास कराया। वहीं कांग्रेस की राजनीति 2014 के बाद से प्रदेश में एनसीपी के ईर्द गिर्द ही धूमती रही। 2019 में एक नया प्रयोग भी महाविकास अघाड़ी के रूप में देखने को मिला। 

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लोकसभा 2024 के परिणाम से बढ़ा आत्मविश्वास 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 17 पर चुनाव लड़ा था और 13 सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सिर्फ एक सीट हासिल की थी, लेकिन इस साल 13 सीटें जीत लीं। इससे न सिर्फ कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि उसकी अपने सहयोगियों के साथ बार्गेनिंग पॉवर भी बढ़ी है। 

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क्या होगी कांग्रेस की आगे की रणनीति 

कांग्रेस की रणनीति अब खुद को मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित करने की होगी। एमवीए में अब तक एनसीपी मुख्य विपक्ष की भूमिका में थी। एनसीपी और शिवसेना की ताकत आधे से भी अधिक कम हो गई है। महाराष्ट्र की सियासी आपदा में कांग्रेस के लिए अवसर तो है लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है अंतर्कलह और नेतृत्व का अभाव। कांग्रेस के पास महाराष्ट्र में अशोक चह्वाण जैसे कद्दावर नेता तो हैं लेकिन शरद पवार और उद्धव ठाकरे के कद के सामने ये कहीं नहीं ठहरते। कांग्रेस को महाराष्ट्र में मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।

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