Education Policy in India Part 1| भारतीय शिक्षा व्यवस्था के लिए कैसा रहा NDA का दौर | Teh Tak

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अभिनय आकाश । Jul 26 2024 7:56PM

राजनीति के पारंपरिक और सर्वकालिक प्रासंगिक विषयों का जिक्र करें तो रोजगार के बड़े फिक्र के रूप में सरकार की टेंशन बढ़ाता रहता है। शिक्षा व्यवस्था सुशासन की परख के पैमाने के रूप में सामने होती है।

कहते हैं कि जो आपने सीखा है उसे भूल जाने के बाद जो रह जाता है वो शिक्षा है। शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे आप दुनिया बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। ये कहा जाता है कि देश में जब बड़ा बदलाव करना हो तो सबसे पहले शिक्षा नीति को बदलना चाहिए। देश की आबादी का 40 प्रतिशत युवा और बच्चे हैं। ये देश की शक्ति हैं तो इनका नियोजन भी एक चुनौती है। राजनीति के पारंपरिक और सर्वकालिक प्रासंगिक विषयों का जिक्र करें तो रोजगार के बड़े फिक्र के रूप में सरकार की टेंशन बढ़ाता रहता है। शिक्षा व्यवस्था सुशासन की परख के पैमाने के रूप में सामने होती है। मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में प्रवेश कर चुकी है। जानकार मानते हैं कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करते हुए शिक्षा को रोजगारपरक बनाने, स्किल इंडिया मिशन और रिसर्च फाउंडेशन जैसी पहल ने युवाओं के हाथों में कुशलता की नई 14,394 लकीरें उभार दी हैं। इनके बूते ही पीएम मोदी सहित बीजेपी का विश्वास मजबूत हुआ कि आत्मनिर्भर भारत की ओर उनके प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।  


मोदी सरकार में किन क्षेत्रों में आया क्या बदलाव 

इंफ्रास्ट्रक्चर यूपीए एनडीए 

विश्वविद्यालय 760 1168 

कॉलेज 38,498 45,473 

सरकारी कॉलेज 7885 9193 

आईआईटी 16 23 

आईआईएम 13 21 

ट्रिपल आईटी 9 25 

पढ़ाई के साथ स्किल शिक्षा भी अनिवार्य 

नई पीढ़ी को बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इन्हें कौशल से जोड़ने की मुहिम शुरू की। कौशल विकास व उद्दमिता नाम से एक अलग मंत्रालय बनाया गया। इसके साथ ही 2030 तक देश के 50 प्रतिशत युवाओं को किसी न किसी कौशल से जोड़ने का लक्ष्य बनाया गया। 10 साल में 5 हजार नए आईटीआई खोले गए, जिनमें 6 लाख से ज्यादा नई सीटें सृजित हुई। 1.40 करोड़ युवाओं को किसी न किसी स्किल का प्रशिक्षण दिया गया। बड़ी संख्या में महिलाएं भी इसमें शामिल हैं। 

नरेंद्र मोदी के PM बनने के बाद दोगुनी हुई IIM, AIIMS संख्या 

साल 2014 के बाद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ शैक्षणिक संस्थानों में बड़ा परिवर्तन आया है। जिसने शिक्षा की तस्वीर पूरी तरह से बदलकर रख दी है। जिसका नतीजा यह है कि भारत के शिक्षण संस्थानों के कैंपस अब विदेशों में भी खुल रहे हैं। 2014 के बाद आईआईएम, एम्स, आईआईटी और मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी दोगुनी हुई है। 

बीते एक दशक में हर हफ्ते एक विश्वविद्यालय बना 

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि भारत में बीते एक दशक में हर हफ्ते एक विश्वविद्यालय बना है। हर दिन दो नए कॉलेज और एक नई आईटीआई की स्थापना हुई है और हर तीसरे दिन एक अटल टिंकरिंग लैब खोली गई है। इस अवधि में देश को 7 नए आईआईटी मिले हैं, जिससे इसकी संख्या 23 हो गई है। 

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