तमिलनाडु के मंत्री ने सनातन धर्म से संबंधित सम्मेलन में हिस्सा लेने का बचाव किया

PK Shekhar Babu
Creative Common

प्रतिवादी ने कहा कि ऐसी कोई भी चीज़ जो समानता के खिलाफ हो और जाति व्यवस्था और छुआछूत को बढ़ावा देती हो, समाज के लिए खराब मानी जाती है। उन्होंने कहा, “ सम्मेलन में वक्ताओं ने समान भावनाएं व्यक्त कीं और समाज से साथी मनुष्यों के प्रति दयालु और विचारशील होने और छुआछूत को त्यागकर उनके साथ समान व्यवहार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि द्रविड़ आंदोलन ने हमेशा समाज में जाति व्यवस्था के उन्मूलन का प्रचार किया। द्रमुक पार्टी की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गई थी। शेखर बाबू ने कहा कि सनातन की अवधारणा की व्याख्या देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से की जाती है। उन्होंने मंत्री उदयनिधि स्टालिन के साथ बैठक में शिरकत की थी।

तमिलनाडु के मंत्री पी के शेखर बाबू ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय में कहा कि सनातन धर्म से संबंधित सम्मेलन को लेकर उनके खिलाफ दायर याचिकाएं राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित हैं और उन्होंने याचिकाओं को खारिज करने की गुज़ारिश की। मंत्री ने कहा कि दो सितंबर के सम्मेलन में उनकी भागीदारी जाति व्यवस्था और छुआछूत उन्मूलन के समर्थन में थी। इसका उद्देश्य समाज में समानता और सद्भाव को बढ़ावा देना था। हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के मंत्री शेखर बाबू ने दलील दी कि रिट याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं और इनमें कोई दम नहीं है और इसलिए उन्हें जुर्माना लगाकर खारिज कर दिया जाना चाहिए। ये रिट याचिकाएं एक मंत्री को पद से हटाने के लिए अधिकार पृच्छा की रिट जारी करने के लिए दायर की गई हैं और यह सुनवाई योग्य नहीं है।

मद्रास उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि संसद या विधानसभा के एक निर्वाचित सदस्य को (पद से हटाया) वापस नहीं बुलाया जा सकता है और संविधान में किसी निर्वाचित सदस्य को वापस बुलाने का कोई प्रावधान नहीं है। निर्णयों का हवाला देते हुए, प्रतिवादी मंत्री ने कहा कि किसी मंत्री के खिलाफ अधिकार पृच्छा का रिट जारी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रिट याचिकाएं विभिन्न जाति और धार्मिक समूहों के बीच गलत भावनाएं पैदा करने और वोटों का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से दायर की गई हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह हिंदू मुन्नानी का पदाधिकारी है, जिसे भारतीय जनता पार्टी का समर्थन हासिल है। सम्मेलन के संबंध में, प्रतिवादी ने कहा कि बैठक के आयोजकों को लगा कि सनातन में अपनाए गए सिद्धांत इंसानों के बीच समानता बनाए रखने के खिलाफ हैं।

प्रतिवादी ने कहा कि ऐसी कोई भी चीज़ जो समानता के खिलाफ हो और जाति व्यवस्था और छुआछूत को बढ़ावा देती हो, समाज के लिए खराब मानी जाती है। उन्होंने कहा, “ सम्मेलन में वक्ताओं ने समान भावनाएं व्यक्त कीं और समाज से साथी मनुष्यों के प्रति दयालु और विचारशील होने और छुआछूत को त्यागकर उनके साथ समान व्यवहार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि द्रविड़ आंदोलन ने हमेशा समाज में जाति व्यवस्था के उन्मूलन का प्रचार किया। द्रमुक पार्टी की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गई थी। शेखर बाबू ने कहा कि सनातन की अवधारणा की व्याख्या देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से की जाती है। उन्होंने मंत्री उदयनिधि स्टालिन के साथ बैठक में शिरकत की थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़