तमिलनाडु सरकार ने SC से कहा- DMK की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष ने शुरू की कार्रवाई

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[email protected] । Feb 14 2020 8:09PM

तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि विधानसभा अध्यक्ष ने अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये द्रमुक की याचिका पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

नयी दिल्ली। तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि विधानसभा अध्यक्ष ने अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये द्रमुक की याचिका पर कार्रवाई शुरू कर दी है।  द्रमुक ने इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि अध्यक्ष ने 2017 के विश्वास मत के दौरान मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी के खिलाफ मतदान करने वाले अन्नाद्रमुक के 11 विधायकों को अयोग्य करार देने के लिये उसकी याचिका पर कार्रवाई नहीं की। इन 11 विधायकों में उपमुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम भी शामिल हैं। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने राज्य के महाधिवक्ता के इस कथन का संज्ञान लिया कि विधान सभा अध्यक्ष पी धनपाल ने अयोग्यता की कार्यवाही में नोटिस जारी किये हैं। पीठ ने इसके साथ ही द्रमुक की याचिका का निस्तारण कर दिया।

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याचिका में पनीरसेल्वम और 10 अन्य विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की गई है जिन्होंने पलानीस्वामी सरकार के खिलाफ मतदान किया था जब वे बागी खेमे में थे। याचिका में दलील दी गई कि विश्वास मत के खिलाफ मतदान करके इन विधायकों ने सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा जारी व्हिप का उल्लंघन किया और इसलिए दल बदल विरोधी कानून के तहत इन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए। मामले में द्रमुक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अमित आनंद तिवारी पेश हुए। शीर्ष अदालत ने इससे पहले द्रमुक की याचिका पर तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था और टिप्पणी की थी कि विधान सभा के अध्यक्ष ने लगभग तीन साल तक अनावश्यक रूप से कथित निष्क्रियता बरती है।

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सिब्बल का कहना था कि इन 11 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये मार्च 2017 में अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की गयी थी लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है। पीठ ने मणिपुर में भाजपा के मंत्री की अयोग्यता के मामले मे शीर्ष अदालत के 21 जनवरी के फैसले का जिक्र करते हुये कहा था कि हमें बतायें कि आप क्या कार्रवाई करने जा रहे हैं। मद्रास उच्च न्यायालय ने अप्रैल, 2018 में इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिये द्रमुक की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि विधान सभा अध्यक्ष को निर्देश देने के अदालत के अधिकार से संबंधित एक मामला शीर्ष अदालत में लंबित है।

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