हिंदुओं के त्योहार हों या राजनीतिक सभाएं, सनातन धर्म और देवी-देवताओं पर हमला करने से नहीं चूकते इंडी गठबंधन के नेता

swami prasad maurya
ANI

अपने बयान पर विवाद होने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने उस पर सफाई देते हुए कहा है कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि सभी गृहिणियों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उन्होंने ऐसा किया।

हिंदुस्तान के कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिंदू धर्म का लगातार अपमान करने की ऐसी ठानी है कि हिंदुओं के प्रमुख त्योहार हों या राजनीतिक सभाएं, लगातार देवी-देवताओं का अपमान किया जा रहा है और वोट बैंक की राजनीति के लिए हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुँचाया जा रहा है। खासतौर पर विपक्षी गठबंधन इंडी की मुंबई बैठक के बाद से द्रमुक, आरजेडी और समाजवादी पार्टी के नेता जिस तरह सनातन धर्म पर हमले तेज कर चुके हैं उससे संकेत मिलता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे और करीब आएंगे वैसे-वैसे इस तरह के हमले और बढ़ेंगे। देखा जाये तो यह आश्चर्यजनक है कि हिंदू मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए इंडी गठबंधन के बड़े नेता मंदिर मंदिर जा रहे हैं और वोट बैंक की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए उनकी पार्टियों के अन्य नेता सनानत धर्म पर हमले कर रहे हैं। साफ प्रकट हो रहा है कि यह सब एक योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है।

हम आपको बता दें कि ताजा विवाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने खड़ा किया है। ‘श्रीरामचरित मानस’ और ‘बद्रीनाथ’ पर अपनी विवादित टिप्पणियों से सुर्खियों में रहे समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य अब देवी लक्ष्मी पर तंज करके विवाद से घिर गये हैं। यह सारा विवाद तब खड़ा हुआ जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को दीपावली के मौके पर अपनी पत्नी की पूजा की और सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उसकी तस्वीरें डालीं। उन्होंने पोस्ट में लिखा, ‘‘दीपोत्सव के अवसर पर अपनी पत्नी की पूजा व सम्मान .....पूरे विश्व के प्रत्येक धर्म, जाति, नस्ल, रंग व देश में पैदा होने वाले बच्चे के दो हाथ, दो पैर, दो कान, दो आंख, दो छिद्रों वाली नाक के साथ एक सिर, पेट व पीठ ही होती है। चार हाथ, आठ हाथ, दस हाथ, बीस हाथ व हजार हाथ वाला बच्चा आज तक पैदा ही नहीं हुआ तो चार हाथ वाली लक्ष्मी कैसे पैदा हो सकती है?’’

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संत समाज और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

दूसरी ओर, स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर राजनीतिक टिप्पणियां तो आ ही रही हैं साथ ही संत समाज की ओर से भी मौर्य का भारी विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग कर डाली है कि वह स्वामी प्रसाद मौर्य के बोलने पर पाबंदी लगवाएं। मौर्य के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वह किसी एजेंडे के तहत सनातन धर्म को निशाना बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्वामी प्रसाद मौर्य ने लक्ष्मी जी पर जो बयान दिया है उससे हमारी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों और उनके भाषण पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह करता हूं। ऐसा लगता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा को खत्म करने के लिए सुपारी ली है।''

वहीं अयोध्या स्थित प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने लगातार हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने पर स्वामी प्रसाद मौर्य की गिरफ्तारी की मांग की है। वहीं भाजपा का कहना है कि यह सब विपक्षी गठबंधन की साजिश का हिस्सा है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद जयहिंद ने कहा है कि विपक्ष के नेता सिलसिलेवार तरीके से हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुँचा रहे हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य की सफाई

उधर, अपने बयान पर विवाद होने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने उस पर सफाई देते हुए कहा है कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि सभी गृहिणियों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उन्होंने ऐसा किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप लक्ष्मी देवी की पूजा करना ही चाहते हैं तो अपनी घरवाली की पूजा व सम्मान करें जो सही मायने में देवी है, जो आपके घर परिवार का पालन-पोषण, सुख-समृद्धि, खान-पान व देखभाल की जिम्मेदारी बहुत ही निष्ठा के साथ निभाती है।’’ मौर्य ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘अगर गृहिणी घर की लक्ष्मी है तो उसकी पूजा करो, उसका सम्मान करो, उसे महत्व दो। इससे न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा। मैंने अपनी पत्नी की पूजा करके यह परंपरा शुरू की है।’’ ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने केवल वही किया है जो व्यावहारिक, सत्य, वैज्ञानिक और शाश्वत है। मैं सनातन धर्म का सम्मान करता हूं। मैंने ‘एक्स’ पर पोस्ट में जो लिखा है, उस पर मैं कायम हूं। मैंने इसे सोच-समझकर लिखा है।’’ 

हम आपको यह भी बता दें कि उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्गों के अहम नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा से सपा में शामिल हो गए थे। वह रामचरितमानस और हिंदू मंदिरों पर अपनी टिप्पणियों को लेकर पहले भी विवादों में रह चुके हैं। इस साल के शुरू में उन्होंने रामचरित मानस के कुछ श्लोकों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। समाजवादी पार्टी (सपा) नेता यह भी दावा कर चुके हैं कि आठवीं शताब्दी में हिंदू तीर्थ स्थल बनने से पहले, बद्रीनाथ एक बौद्ध मठ हुआ करता था।

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