आये थे 370 की पैरवी करने, माफी मांगनी पड़ गयी, Pakistan Zindabad का नारा लगाने वाले Mohammad Akbar Lone को Supreme Court ने लगाई कड़ी फटकार

Mohammad Akbar Lone
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कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि अगर मोहम्मद अकबर लोन यह हलफनामा दाखिल नहीं करते हैं तो वह उनकी पैरवी नहीं करेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हालांकि कहा कि मोहम्मद अकबर लोन लोकसभा सांसद हैं।

उच्चतम न्यायालय इस समय अनुच्छेद 370 हटाये जाने के फैसले के खिलाफ दायर की गयी याचिकाओं पर रोजाना आधार पर सुनवाई कर रहा है। इस बीच, एक ऐसा वाकया सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है। दरअसल नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता मोहम्मद अकबर लोन के पिछले कारनामे उनके सामने आ गये हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वाले और पाकिस्तान के हमदर्द के रूप में विख्यात मोहम्मद अकबर लोन को सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते और देश की संप्रभुत्ता को स्वीकार करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

न्यायालय ने 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मोहम्मद अकबर लोन द्वारा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाए जाने से पैदा हुए विवाद के बाद यह निर्देश दिया। इस दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ से कहा कि मोहम्मद अकबर लोन मंगलवार तक हलफनामा दाखिल करेंगे। हम आपको बता दें कि मोहम्मद अकबर लोन, पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ता हैं। कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि अगर मोहम्मद अकबर लोन यह हलफनामा दाखिल नहीं करते हैं तो वह उनकी पैरवी नहीं करेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हालांकि कहा कि मोहम्मद अकबर लोन लोकसभा सांसद हैं। वह भारत के नागरिक हैं और उन्होंने संविधान द्वारा अपने पद की शपथ ली है। वह भारत की संप्रभुत्ता को स्वीकार करते हैं।

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इससे पहले, केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि मोहम्मद अकबर लोन वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाने के लिए माफी मांगें। उन्होंने कहा कि लोन को यह बताना होगा कि वह संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं, साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नारा लगाने के लिए उन्हें माफी मांगनी होगी। हम आपको बता दें कि कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने एक सितंबर को उच्चतम न्यायालय में नेकां नेता मोहम्मद लोन की साख पर सवाल उठाते हुए दावा किया था कि वह अलगाववादी ताकतों के समर्थक हैं। कश्मीरी पंडित युवाओं का समूह होने का दावा करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ ने शीर्ष अदालत में एक हस्तक्षेप अर्जी दायर कर मामले में कुछ अतिरिक्त दस्तावेजों और तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाने का आग्रह किया था। अर्जी में आरोप लगाया गया कि जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन को ‘‘जम्मू कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी ताकतों के समर्थक के रूप में जाना जाता है, जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं।'' 

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