पेगासस मामले में JPC जांच की जरूरत नहीं, स्थायी समिति करेगी अपना काम: शशि थरूर
आपको बता दें कि शशि थरूर के नेतृत्व वाली समिति पेगासस स्पाइवेयर को लेकर अगले सप्ताह गृह मंत्रालय सहित अन्य सरकारी अधिकारियों से पूछताछ करेगी।
नयी दिल्ली। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर कथित निगरानी किए जाने के मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग को खारिज किया है। आपको बता दें कि शशि थरूर सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी संसदीय समिति का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में उन्होंने साफ किया है कि जेपीसी जांच की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में समिति अपना काम करेगी और यह मामला पहले से ही समिति के समक्ष है।
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आपको बता दें कि शशि थरूर के नेतृत्व वाली समिति पेगासस स्पाइवेयर को लेकर अगले सप्ताह गृह मंत्रालय सहित अन्य सरकारी अधिकारियों से पूछताछ करेगी। मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ने दावा किया है कि आमतौर पर सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, राहुल गांधी सहित विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों।जेपीसी जांच की मांग उठीपेगासस स्पाइवेयर के मामले को लेकर संसद के मानसून सत्र में जोरदार हंगामा हो रहा है। कांग्रेस, शिवसेना समेत विपक्षी दलों ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए इस मामले पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग की है। जबकि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है।इसे भी पढ़ें: पेगासस जासूसी मामले पर बोले सचिन पायलट, SC करे मामले की जांच, मोदी सरकार करेगी तो कुछ नहीं आएगा सामने
अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक थरूर के नेतृत्व वाली कमेटी ने नागरिकों की डेटा सुरक्षा और गोपनीयता पर चर्चा करने के लिए 28 जुलाई को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, गृह मंत्रालय और दूरसंचार विभाग के अधिकारियों को बुलाया है। अंग्रेजी अखबार के साथ खास बातचीत में शशि थरूर ने बताया कि इस मामले में जेपीसी के गठन की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि स्थायी समिति और जेपीसी के नियम एक समान हैं।
शशि थरूर ने कहा कि सरकार कह रही है कि उन्होंने कोई अनधिकृत निगरानी नहीं की है। इसके लिए सरकार की बात माननी चाहिए, लेकिन अगर वे यह कह रहे हैं कि अधिकृत निगरानी थी तो उन्हें यह बताना होगा कि यह किस आधार पर अधिकृत था।
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