'PM का बचाव क्यों कर रहे हैं सभापति', मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर जगदीप धनखड़ ने दिया यह जवाब
जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि उन्हें किसी की नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा करने की जरूरत है। अपने जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे किसी का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे संविधान...आपके अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मणिपुर पर चर्चा के लिए आगे का रास्ता खोजने के लिए सदन के नेताओं को 1 बजे बैठक के लिए आमंत्रित किया है। माना जा रहा है कि यह बैठक गतिरोध को कम करने में मददगार शाबित हो सकता है। इसके साथ ही विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव देते हुए कहा कि सदन को तब तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए। इसी दौरान विपक्ष के नेता और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सभापति मणिपुर बहस पर विपक्ष की मांग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा धनखड़ ने इसका जवाब दिया है।
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संविधान की रक्षा करने की जरूरत
जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि उन्हें किसी की नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा करने की जरूरत है। अपने जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे किसी का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे संविधान...आपके अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है। नेता प्रतिपक्ष की ओर से इस तरह की टिप्पणी बहुत अच्छी नहीं है। विपक्ष संसद में मणिपुर मुद्दे पर बहस की मांग कर रहा है, जिससे मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से कई बार व्यवधान और स्थगन हुआ है। विपक्ष भी प्रधानमंत्री पर मामले के संबंध में बयान जारी करने का दबाव बना रहा है।
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प्रधानमंत्री को निर्देश नहीं दे सकते
इससे पहले राज्यसभा में विपक्षी दलों के मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग पर अडिग रहने के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को स्पष्ट कहा था कि वह प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते। खरगे ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है और उसमें आठ बिंदुओं के जरिए स्पष्ट किया है कि क्यों मणिपुर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और क्यों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन में आकर बयान देना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि आसन यहां से प्रधानमंत्री को कोई निर्देश नहीं दे सकता और कभी भी आसन ने प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा करते हैं तो यह संविधान के तहत शपथ का उल्लंघन होगा।
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