'कुछ लड़ाइयाँ हारने के लिए लड़ी जाती हैं', अनुच्छेद 370 पर फैसले से पहले कपिल सिब्बल का बयान
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कुछ लड़ाइयाँ हारने के लिए लड़ी जाती हैं। सिब्बल उन याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता को चुनौती दी है।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कुछ लड़ाइयाँ हारने के लिए लड़ी जाती हैं। सिब्बल उन याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता को चुनौती दी है, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। अब, इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख यह तय करना है कि क्या 5 अगस्त, 2019 का राष्ट्रपति आदेश कानूनी और संवैधानिक रूप से वैध था।
सिब्बल ने एक्स को संबोधित करते हुए कहा, "संस्थागत कार्यों के सही और गलत होने पर आने वाले वर्षों में बहस होगी।"
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मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुनाएगी।
राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछली सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा था, 'भारत के इतिहास में कभी भी किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में नहीं बदला गया है।'
सिब्बल ने कहा था, "आप किसी राज्य की सीमाएं बदल सकते हैं, आप छोटे राज्य बनाने के लिए बड़े राज्य की सीमाओं को विभाजित कर सकते हैं। लेकिन इस देश के इतिहास में कभी भी किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित नहीं किया गया है।" उन्होंने कहा था, ''आप अलग हो सकते हैं लेकिन आप एक दिन में पूरे मध्य प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश नहीं बना सकते।'' सिब्बल ने पूरे समय यह तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 को हटाना राजनीतिक कदम था, संवैधानिक नहीं।
Courts
— Kapil Sibal (@KapilSibal) December 11, 2023
Some battles are fought to be lost
For history must record the uncomfortable facts for generations to know
The right and wrong of institutional actions will be debated for years to come
History alone is the final arbiter
of the moral compass of historic decisions
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