Dehli Assembly Elections में Smriti Irani बन सकती हैं BJP की CM Candidate, Kejriwal को कड़ी टक्कर देने की तैयारी पूरी

Smriti Irani
ANI

दिल्ली में भाजपा की सत्ता जाने के बाद 15 साल कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार रही फिर कुछ समय राष्ट्रपति शासन रहा तथा उसके बाद से आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल की सरकार सत्ता में है। इस बार भाजपा को विश्वास है कि वह आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर देगी।

दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए भाजपा ने जीजान लगा रखा है। दिल्ली भाजपा आम आदमी पार्टी को विभिन्न मुद्दों पर घेरने के अलावा जनहित के मुद्दों को जिस प्रखरता से उठा रही है वह दर्शा रहा है कि पार्टी चुनावी तैयारियों में किसी तरह की ढील नहीं देना चाहती। हम आपको बता दें कि भाजपा ने 1993 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली में जीत हासिल की थी और 1998 में सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद भाजपा ने दिल्ली की सत्ता में अब तक वापसी नहीं की है। भाजपा ने 1993 का विधानसभा चुनाव मदन लाल खुराना को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर लड़ा था। उसके बाद पार्टी ने 1998 में सुषमा स्वराज, फिर विजय कुमार मल्होत्रा तथा बाद में डॉ. हर्षवर्धन और किरण बेदी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया लेकिन जीत हासिल नहीं हुई।


दिल्ली में भाजपा की सत्ता जाने के बाद 15 साल कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार रही फिर कुछ समय राष्ट्रपति शासन रहा तथा उसके बाद से आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल की सरकार सत्ता में है। इस बार भाजपा को विश्वास है कि वह आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर देगी। हम आपको बता दें कि भाजपा के इस विश्वास का आधार पिछले दो चुनावों के नतीजे हैं। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा की जिस करारी हार की उम्मीद की जा रही थी वैसी हार नहीं हुई थी। आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों की संख्या में मामूली-सा ही अंतर रहा था। इसके अलावा, हालिया लोकसभा चुनावों में भाजपा ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को सभी सातों सीटों पर मात दी थी। अब भाजपा का प्रयास है कि योजनाबद्ध तरीके से पार्टी के प्रचार का काम आगे बढ़ाया जाये। लेकिन भाजपा को इस बात की कमी खटक रही है कि उसके पास अरविंद केजरीवाल के कद का कोई नेता नहीं है। भाजपा को इस बात की कमी खटक रही है कि उसके पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसके नेतृत्व में दिल्ली की जनता एकजुट हो सके। इसलिए पार्टी ने काफी मंथन कर एक नाम खोज निकाला है। हम आपको बता दें कि बताया जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और अमेठी से राहुल गांधी को चुनाव हरा चुकीं स्मृति ईरानी भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनाई जा सकती हैं। दरअसल, दिल्ली में भाजपा का बड़ा आधार महिला वोट बैंक है और स्मृति ईरानी की महिलाओं के बीच अच्छी पैठ है इसको देखते हुए उनके नाम पर आने वाले दिनों में मुहर लगाई जा सकती है।

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हम आपको बता दें कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गतिविधियों में अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी की बढ़ती भागीदारी से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति में उनकी संभावित ‘‘भूमिका’’ को लेकर पार्टी की स्थानीय इकाई में हलचल बढ़ गई है। दिल्ली में जन्मी और यहीं पर पली-बढ़ी पूर्व केंद्रीय मंत्री राजधानी में पार्टी के सदस्यता अभियान से संबंधित कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल होती नजर आ रही हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि उन्हें दिल्ली में 14 जिला इकाइयों में से सात में सदस्यता अभियान की ‘‘देखरेख’’ का जिम्मा सौंपा गया है। हालांकि पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने यह भी दावा किया कि ईरानी ने दक्षिण दिल्ली में एक घर खरीदा है जो राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी की गतिविधियों में उनकी आगे की बढ़ती भागीदारी का संकेत देता है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘ये घटनाक्रम ऐसे समय में देखने को मिल रहा है जब पार्टी नेताओं का एक वर्ग ऐसे चेहरे को आगे लाने पर जोर दे रहा है जो दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) को कड़ी टक्कर दे सके।’’ हम आपको बता दें कि भाजपा ने 2020 के विधानसभा चुनावों में किसी नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा कि पार्टी 70 में से आठ सीट जीतने में सफल रही, जबकि आप ने बाकी सीट पर जीत दर्ज की।

भाजपा की दिल्ली इकाई के एक अन्य शीर्ष नेता ने कहा कि अगर आने वाले हफ्तों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के साथ चुनाव लड़ने का विचार जोर पकड़ता है तो स्वाभाविक रूप से जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त नेता को लेकर सवाल खड़ा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में, ईरानी के साथ-साथ सांसद मनोज तिवारी और बांसुरी स्वराज, भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और पश्चिम दिल्ली के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा जैसे अन्य नेता इस भूमिका के लिए संभावित दावेदार हो सकते हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि एक नेता के पीछे पूरी पार्टी का एकजुट होना ‘‘एकता’’ का संदेश देगा और प्रचार को भी मजबूती देगा।

हम आपको याद दिला दें कि भाजपा ने 2015 के विधानसभा चुनावों में किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ा था, लेकिन इन चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रहा था। कुछ नेताओं का मानना है कि चुनावों के लिए सिर्फ एक ही चेहरे को आगे रखने का विचार सही नहीं था। हालांकि इस पर पार्टी में बहस अभी भी जारी है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय नेतृत्व इस मामले से अवगत है और बाद में इस पर फैसला ले सकता है। पार्टी नेताओं का कहना है कि आबकारी नीति मामले में तिहाड़ जेल में बंद आप प्रमुख केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित करने को लेकर चर्चा तेज हो सकती है।

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