सीमा पर बने हालात, भारत-चीन के संबंधों में प्रतिबिंबित होंगे : जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे अपने क्षेत्र में होने वाले घटनाक्रम के भी अपने निहितार्थ हैं, चाहे हम अफगानिस्तान की बात करें या म्यांमा की। इसके अलावा, यूक्रेन में संघर्ष ने हमारी खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है।’’
नयी दिल्ली| विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत-चीन संबंधों का विकास परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हितों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा पर बने हालात, भारत-चीन संबंधों की स्थिति में प्रतिबिंबित होंगे।
आसियान देशों के कई विदेश मंत्रियों की उपस्थिति में 12वें ‘दिल्ली संवाद’ को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आसियान भागीदारों की भारत और चीन के बीच संबंधों में रुचि होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया वर्तमान में अशांति का सामना कर रही है और कोविड-19 महामारी के बाद बने हालात ने वैश्विक परिदृश्य को और भी अनिश्चित और जटिल बना दिया है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे अपने क्षेत्र में होने वाले घटनाक्रम के भी अपने निहितार्थ हैं, चाहे हम अफगानिस्तान की बात करें या म्यांमा की। इसके अलावा, यूक्रेन में संघर्ष ने हमारी खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह वैश्विक परिदृश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों को सहयोग बढ़ाने और वास्तव में एक साथ खड़े होने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
जयशंकर ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि व्यापक परिदृश्य का जायजा लेते समय आसियान भागीदारों की चीन-भारत संबंधों में रुचि होगी। उन्होंने कहा, ‘‘तो, मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारे संबंधों का विकास तीन परस्पर - परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हितों - पर आधारित होना चाहिए।’’
विदेश मंत्री की यह टिप्पणी भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध के बीच आई है, जिसकी शुरुआत मई 2020 में हुई थी। हालांकि, कई दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने गतिरोध वाले कुछ बिंदुओं से अपने सैनिकों को पीछे हटाया है।
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