प्रवासी मजदूरों को झटका, मांग नहीं होने के आधार पर श्रमिक ट्रेने रद्द
रेल मंत्रालय की तरफ से जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि दरअसल अब राज्यों की तरफ से श्रमिक ट्रेनों की मांग नहीं की जा रही है। इस वजह से यह कदम उठाया जा रहा है। हालांकि रेल मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर राज्य अब भी उनसे श्रमिक ट्रेनों की मांग करते हैं तो वह इसे उपलब्ध करवाएंगे।
कोरोनावायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन की वजह से फंसे लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने श्रमिक ट्रेनें चलाने का फैसला लिया था। यह ट्रेनें 1 मई यानी कि मजदूर दिवस के अवसर पर चलनी शुरू हुई थी जो कि लगातार चल रही थी। लेकिन अब भारतीय रेलवे ने सभी तरह की श्रमिक ट्रेनों को बंद करने का फैसला लिया है। रेल मंत्रालय की तरफ से जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि दरअसल अब राज्यों की तरफ से श्रमिक ट्रेनों की मांग नहीं की जा रही है। इस वजह से यह कदम उठाया जा रहा है। हालांकि रेल मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर राज्य अब भी उनसे श्रमिक ट्रेनों की मांग करते हैं तो वह इसे उपलब्ध करवाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं है कि सारे मजदूर अपने गृह राज्य को लौट गए हैं। यह खबर उन मजदूरों के लिए झटका है जो अब भी दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं और उनके पास काम नहीं है। दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश समेत ऐसे कई राज्यों ने श्रमिक ट्रेनों को रद्द कर दिया है।
रेलवे की ओर से बताया गया है कि अब तक के 4197 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई है। इन ट्रेनों से लगभग 58 लाख श्रमिक अपने गृह राज्य को लौटे हैं। लेकिन अब यह ट्रेनें चलनेी बंद हो रही हैं। राज्य इन ट्रेनों को रद्द कर रहे हैं। अब तक 256 ट्रेनों को रद्द किया जा चुका है। ट्रेनों को रद्द करने के मामले में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहे। एक आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक के महाराष्ट्र सरकार ने 1 मई से अब तक 105 ट्रेनें रद्द कर दी है। आपको बता दें कि श्रमिक ट्रेनों को चलाने को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल महाराष्ट्र सरकार की लगातार आलोचना करते रहे हैं। गोयल ने यहां तक आरोप लगा दिया कि श्रमिक ट्रेनों को चलने में महाराष्ट्र सरकार सहयोग नहीं कर पा रही है और ना ही वह श्रमिकों को स्टेशन तक ला पा रही है। महाराष्ट्र के बाद गुजरात ने 45 ट्रेनें, कर्नाटक ने 38 ट्रेनें और उत्तर प्रदेश में 30 श्रमिक ट्रेनें रद्द की हैं। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इन राज्यों ने सिर्फ ट्रेनें ही रद्द की हैं बल्कि यहां से काफी ट्रेनें खुली भी हैं।Indian Railways operationalizes 4197 “Shramik Special” trains till 3rd June, 2020 (0900hrs) across the country. Transported more than 58 lacs Shramik passengers.https://t.co/rmGzdb2kOX#IndiaFightsCorona pic.twitter.com/vpdVIwyuxV
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) June 3, 2020
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सबसे ज्यादा श्रमिक ट्रेनें गुजरात से चली है। रेलवे की ओर से यह संकेत दिया जा रहा है कि ज्यादातर ट्रेनें भेजने वाले और गंतव्य वाले राज्यों के बीच तालमेल के अभाव के कारण रद्द हुए हैं। रेलवे यह लगातार कह रहा था कि वे बिना उपयुक्त प्रोटोकॉल के ट्रेनें नहीं चला सकता है। रेलवे ने दावा किया है कि ऐसे कई मामले आए जब राज्यों ने हमें ट्रेनों में सवार होने वाले यात्रियों की लिस्ट उपलब्ध नहीं कराई और इसलिए उन्हें रद्द करना पड़ा। हालांकि गृह मंत्रालय की ओर से बाद में श्रमिक ट्रेनों के लिए प्रोटोकॉल बदल दिए गए जिसके बाद से इन ट्रेनों को चलाने में ज्यादा पेचीदगियों का सामना नहीं करना पड़ा। राजधानी दिल्ली से अभी फिलहाल कोई श्रमिक ट्रेन नहीं चल रही है।
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रेलवे ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से ट्रेनों की मांग नहीं की गई है। दिल्ली से रेलवे 1 मई से 242 ट्रेनें चला चुका है। रेलवे ने सिर्फ मई में 50 लाख से ज्यादा लोगों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया। हालांकि इसी दौरान रेलवे ने 12 मई से 15 जोड़ी विशेष रेलगाड़ियों को शुरू करने का फैसला लिया तो 1 जून से 200 रेल गाड़ी चलाया। अब आपको यह बताते हैं कि सबसे ज्यादा ट्रेनें किस राज्य से रवाना हुईं। गुजरात से 1026 ट्रेनें, महाराष्ट्र से 802 ट्रेनें, पंजाब से 416 ट्रेनें, उत्तर प्रदेश से 294 ट्रेनें और बिहार से भी 294 ट्रेनें रवाना हुईं। जबकि सबसे ज्यादा श्रमिक ट्रेनें भी उत्तर प्रदेश में 1682 पहुंची है जबकि बिहार में 1495 ट्रेनें पहुंची हैं। इसके बाद झारखंड में 197 ट्रेनें, ओडिशा में 187 ट्रेनें और पश्चिम बंगाल में 156 ट्रेनें पहुंची हैं। सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में लौट रहे थे।
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