सत्यपाल मलिक का बयान, न किसी राजनीतिक दल में शामिल होऊंगा और न ही चुनाव लड़ूंगा
मलिक ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, मीडिया में हमारे राष्ट्रीय लोकदल में शामिल होने की जो संभावनाएं जताई जा रही हैं, उसमें बिल्कुल दम नही हैं। हम रिटायर होने के बाद राष्ट्रीय लोकदल तो क्या किसी भी पार्टी में शामिल नही होने जा रहे हैं। मलिक ने यह भी साफ किया है कि वह कोई चुनाव भी नही लड़ेंगे।
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उल्लेखनीय है कि तीन अक्टूबर को शामली में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ मलिक के भी मंच साझा करने की चर्चा थी। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शामली की तीन अक्टूबर की किसानों की बैठक गैर राजनीतिक है, जो फिलहाल वहां धारा-144 लागू होने के कारण निरस्त कर दी गई है। आज सेवानिवृत्त होने के बाद भविष्य में अब आप क्या करेंगे, इस सवाल के जवाब में मलिक ने कहा, मैं सिर्फ किसानों की लड़ाई लड़ूंगा, किसानों की लड़ाई कहीं होगी, वहां पर जाऊंगा। किसानों को संगठित करुंगा और किसी पार्टी में नही जाऊंगा, कोई चुनाव भी नही लडूंगा। उल्लेखनीय है कि मेघालय के राज्यपाल रहते मलिक ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलित किसानों का समर्थन करते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
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उन्होंने राज्यपाल रहते किसानों का मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। उन्होंने जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए कथित भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। मलिक 30 सितंबर 2017 को बिहार के राज्यपाल के नियुक्त हुए थे। इसके बाद अगस्त 2018 में जम्मू-कश्मीर और फिर 2020 में मेघालय में राज्यपाल पद पर भेजा गया। सत्यपाल मलिक 24 जुलाई 1946 को बागपत जिले में पैदा हुए और भारतीय क्रांति दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जनता दल, लोक दल और समाजवादी पार्टी आदि राजनीतिक दलों से जुड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। मलिक 1989 में अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गये और इसके पहले 1980 से 1989 तक राज्यसभा के भी सदस्य रहे थे।
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