Ayodhya में Nawab Shuja-ud-Daula ने बनवाया था Dilkusha Mahal, अंग्रेजी हुकूमत काल में इसे अफीम कोठी कहा जाने लगा, अब CM Yogi ने नाम बदल कर साकेत सदन किया
अयोध्या को राम नगरी का पौराणिक स्वरूप प्रदान करने में लगी योगी सरकार ने कुछ माह पूर्व ही अफीम कोठी को साकेत सदन के रूप में विकसित करने का प्रयास शुरू किया है। नवाब शुजाउद्दौला ने इसका निर्माण कराया था, जिसे कभी दिलकुशा महल कहा जाता था।
योगी सरकार की पहल पर रामनगरी की भव्यता लौट रही है। मठ मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। रामायण कालीन कुंडों को भी सजाया जा रहा है। एक तरफ भगवान राम का भव्य मंदिर आकार ले रहा है तो दूसरी तरफ अयोध्या की संस्कृति और सभ्यता को संजोया जा रहा है। धार्मिकता के साथ-साथ भगवान राम की नगरी अयोध्या पर्यटन की दृष्टि से भी विश्व के मानचित्र पर स्थापित हो रही है। शायद यही वजह है कि भूतकाल में अफीम कोठी कहे जाने वाले भवन को योगी सरकार साकेत सदन के रूप में विकसित करके पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रही है।
हम आपको बता दें कि अयोध्या को राम नगरी का पौराणिक स्वरूप प्रदान करने में लगी योगी सरकार ने कुछ माह पूर्व ही अफीम कोठी को साकेत सदन के रूप में विकसित करने का प्रयास शुरू किया है। नवाब शुजाउद्दौला ने इसका निर्माण कराया था, जिसे कभी दिलकुशा महल कहा जाता था। अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के बाद इसे नारकोटिक्स विभाग को सौंप दिया था, तब से इसे अफीम कोठी कहा जाने लगा। रामनगरी के पुनर्विकास में शामिल दिलकुशा महल/अफीम कोठी का नाम अब इतिहास का हिस्सा हो गया है। अब इसकी पहचान 'साकेत सदन' के रूप में होने लगी है।
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चौदहकोसी परिक्रमा मार्ग पर धारा रोड मुहल्ले में साकेत सदन स्थित है। इस स्थान को हेरिटेज लुक प्रदान करते हुए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके पुनर्विकास की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड को सौंपी गई है। साकेत सदन का पुनरुद्धार प्राचीनता को सहेजते हुए किया जा रहा है। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव ने बताया कि साकेत सदन बिल्डिंग की मरम्मत की जा रही है, जिसमें सिर्फ चूने और सुर्खी का प्रयोग किया जा रहा है। जिस रूप में पहले बिल्डिंग थी, पुनः उसी रूप में लाने का प्रयास किया जा रहा। लाइट की व्यवस्था व पार्क का भी कायाकल्प किया जा रहा है। हम आपको बता दें कि 6 जून 2023 से शुरू हुए इस कार्य को पूर्ण करने की अवधि मार्च 2024 है। इस परियोजना की लागत 1682.87 लाख है। निर्माण स्थल पर एक अधिकारी ने बताया कि लगभग 60 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।
इस बीच, अयोध्या में ‘जय श्री राम’ के नारों के बीच नए साल का स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में लोग रामलला और हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन करने पहुँचे। इसके अलावा सरयू नदी में स्नान करने की भी होड़ लग रही। साथ ही श्रद्धालु और पर्यटक प्रसिद्ध लता मंगेशकर चौक पर एकत्रित होकर सेल्फी और तस्वीरें लेते भी नजर आये।
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