सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास विदेश नीति का भी मूलमंत्र: जयशंकर
दुनिया को हमसे जो अपेक्षायें हैं, वे भी बहुत अधिक हैं। हमारे अपने क्षेत्र में यह ‘पड़ोसी प्रथम’ दृष्टिकोंण के साथ साथ ‘सागर’ सिद्धांत में भी दिखयी देता है।
नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया को गति देने के लिये सरकार का मूलमंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ ही विदेश नीति का भी मार्गदर्शी सिद्धांत है। जयशंकर ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती छह महीनों के दौरान विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार की अब तक की उपलब्धियों का बृहस्पतिवार को राज्यसभा में ब्योरा पेश करते हुये यह बात कही।
EAM S Jaishankar in Rajya Sabha on 'When will India be UN Security Council permanent member?': I am realistic enough to know that it is long and patient effort. We are not lacking in patience, perseverance and aspiration. We will get there one day. It is progressing day by day. pic.twitter.com/PlMMpus2b5
— ANI (@ANI) November 28, 2019
जयशंकर ने संसद के पिछले सत्र के बाद तीन महीनों में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं से सरकार की विदेश नीति को आगे बढ़ाने के प्रयासों से जुड़ा वक्तव्य उच्च सदन में पेश करते हुये कहा कि मौजूदा वैश्विक स्थिति में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे समक्ष एक बहुध्रुवीय परिदृश्य है जो पिछले एक दशक में सामने आया है। हमारी बढ़ती क्षमता और प्रभाव निश्चित रूप से इस परिवर्तन का हिस्सा है।’’ जयशंकर ने दुनिया की भारत से लगातार बढ़ती अपेक्षाओं का जिक्र करते हुये कहा, ‘‘यह हमारे अपने राष्ट्रीय हित को आगे बढ़ाने का मामला नहीं है। दुनिया को हमसे जो अपेक्षायें हैं, वे भी बहुत अधिक हैं। हमारे अपने क्षेत्र में यह ‘पड़ोसी प्रथम’ दृष्टिकोंण के साथ साथ ‘सागर’ सिद्धांत में भी दिखयी देता है।’’ उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के अलावा खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और दक्षिणी क्षेत्र के अन्य देशों के प्रति भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को लागू कर रहा है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास हमारी विदेश नीति का एक मार्गदर्शी सिद्धांत भी है।’’ उन्होंने सदन को पिछले तीन महीनों के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राओं का विस्तृत ब्योरा देते हुये कहा कि इन यात्राओं के माध्यम से सरकार ने संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों और सभी के कल्याण की दिशा में भारत के प्रयासों से विश्व समुदाय को अवगत कराया है।
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जयशंकर ने जी-7, कोप, आसियान और ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों सहित संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भी भारत ने इस दृष्टिकोंण को स्पष्ट किया है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा से कोई समझौता किये बिना विश्व समुदाय के साथ आगे बढ़ने के लिये तत्पर है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और तकनीकी क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका को विश्व समुदाय ने स्वीकार किया है। विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका, रूस, चीन और जर्मनी सहित विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ हुयी द्विपक्षीय बैठकों की जानकारी देते हुये बताया, ‘‘कुल मिलाकर इस सरकार के कार्यकाल के पहले छह महीनों में हमने अपनी पड़ोसी प्रथम की नीति पर पुन: बल दिया, सभी प्रमुख देशों के साथ अपने संबंधों को उच्चतम स्तर पर प्रबल किया, खाड़ी दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीकी क्षेत्रों के साथ अपने संबंधों का विस्तार करने के लिये कार्य किया।’’ उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘हमारी सरकार ने हमेशा हमारी विदेश नीति के प्रयोग में अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता बनाये रखी है और यह सुनिश्चित किया है कि हमारे राष्ट्रीय हित हमारी विदेश नीति के उद्देश्यों को निर्धारित करें।’’
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