Prabhasakshi NewsRoom: Saamna ने साधा NCP पर निशाना, क्या उद्धव-पवार के रिश्तों में आ गयी है दरार?

Sharad Pawar Uddhav Thackeray
ANI

सामना के संपादकीय ने पिछले साल एकनाथ शिंदे द्वारा किए विद्रोह का जिक्र करते हुए कहा कि इस्तीफे की घोषणा शिवसेना की तरह एनसीपी के विधायकों के चले जाने की स्थिति में संगठनात्मक ताकत का आकलन करने का उनका तरीका भी हो सकती है।

महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के संबंधों में खिंचाव सामने आ रहा है। दरअसल शरद पवार ने अपनी पुस्तक में उद्धव ठाकरे की राजनीतिक क्षमता पर सवाल उठाये तो पलटवार करते हुए शिवसेना यूबीटी ने कह दिया है कि पवार ने जो बातें कही हैं वह गलत जानकारी पर आधारित हैं। यही नहीं शिवसेना यूबीटी ने एनसीपी के आंतरिक मतभेदों पर भी जोरदार कटाक्ष किया है। इस बीच, मुंबई में आज शरद पवार का उत्तराधिकारी चुनने के लिए बैठक हो रही है जिसमें तय होगा कि एनसीपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा और महाराष्ट्र में कौन पार्टी को संभालेगा।

सामना ने कैसे साधा निशाना?

जहां तक शिवसेना यूबीटी की ओर से एनसीपी की आलोचना की बात है तो आपको बता दें कि पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख पद से इस्तीफा देने के शरद पवार के फैसले पर आंसू बहाने वाले उनकी पार्टी के कई नेताओं का एक पैर भारतीय जनता पार्टी और दूसरा पैर एनसीपी में है। ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया कि एनसीपी के कई नेता आज (भाजपा की) दहलीज पर हैं और पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर सभी की पोल खोल दी है। सामना में कहा गया है कि अगर पवार के दिमाग में अपनी पार्टी को विभाजित होते देखने के बजाय, गरिमा के साथ पार्टी छोड़ने का विचार आया तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। संपादकीय में कहा गया, ‘‘पवार द्वारा सेवानिवृत्ति की घोषणा करते ही कई प्रमुख नेताओं के आंसू छलक पड़े, लेकिन इनमें से कइयों का एक पैर भाजपा में है और दूसरा पैर एनसीपी में है।’’ इसमें सवाल किया गया है कि क्या कुछ नेताओं के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई को लेकर बेचैनी और उनका भाजपा की ओर स्पष्ट झुकाव पवार के इस्तीफे की घोषणा के पीछे की वजह हो सकता है?

इसे भी पढ़ें: क्या NCP को टूट से बचाने के लिए शरद पवार ने खेला है इस्तीफे का दांव ?

इसके अलावा, सामना के संपादकीय ने पिछले साल एकनाथ शिंदे द्वारा किए विद्रोह का जिक्र करते हुए कहा कि इस्तीफे की घोषणा शिवसेना की तरह एनसीपी के विधायकों के चले जाने की स्थिति में संगठनात्मक ताकत का आकलन करने का उनका तरीका भी हो सकती है। शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि शरद पवार के भतीजे और एनसीपी के नेता ‘‘अजीत पवार की राजनीति का अंतिम उद्देश्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना है और उनकी बेटी सुप्रिया सुले दिल्ली में रहती हैं। उनकी वहां की स्थिति अच्छी है। संसद में वह बेहतरीन काम करती हैं। हालांकि, भविष्य में उन्हें पार्टी का नेतृत्व मिला तो पिता के समान ऊंचाई तक पहुंचने के लिए उन्हें कोशिश करनी चाहिए।’’ सामना के संपादकीय ने पवार को राजनीति का भीष्म करार दिया और कहा कि पवार भीष्म की तरह शैया पर असहाय नहीं पड़े रहे, बल्कि उन्होंने दिखा दिया है कि वह असली सूत्रधार हैं। 

एनसीपी का पलटवार

वहीं सामना के संपादकीय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एनसीपी ने इस दावे का खंडन किया है कि पवार के फैसले पर ‘आंसू बहाने वाले’ पार्टी के कुछ नेताओं का एक पैर भारतीय जनता पार्टी में है। एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी कार्यकर्ता नहीं चाहते कि पवार इस्तीफा दें। ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय से जुड़े सवाल पर तापसे ने कहा, “पूरी एनसीपी एकजुट है और पार्टी 2024 के विधानसभा चुनावों में महा विकास आघाडी (एमवीए) की ज्यादा से ज्यादी सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े करेगी।”

कौन बनेगा एनसीपी का नया अध्यक्ष?

दूसरी ओर, जहां तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नये अध्यक्ष की बात है तो आपको बता दें कि शरद पवार का उत्तराधिकारी चुनने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की एक समिति की अहम बैठक मुंबई में हो रही है। शरद पवार ने मंगलवार को अपना इस्तीफा देने के बाद अपने उत्तराधिकारी पर फैसला लेने के लिए पार्टी की एक समिति भी गठित की थी, जिसमें अजित पवार, सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल हैं। शरद पवार ने कहा था कि राकांपा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का उनका फैसला पार्टी के भविष्य और नया नेतृत्व तैयार करने के लिए है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किए जाने के बीच यह टिप्पणी की थी।

इस बीच, राकांपा नेताओं ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि बारामती से लोकसभा सदस्य एवं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने की संभावना है, जबकि अजित पवार को महाराष्ट्र इकाई की कमान सौंपी जा सकती है। पार्टी नेताओं ने कहा कि 1999 में अस्तित्व में आई राकांपा की बागडोर पवार परिवार के हाथों में ही रहने की संभावना है, क्योंकि किसी और को कमान सौंपे जाने की सूरत में पार्टी में दरार पनपने और वर्चस्व की लड़ाई शुरू होने की आशंका है। इन नेताओं ने जोर देकर कहा कि तीन बार की लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले खुद को एक प्रभावी सांसद के रूप में स्थापित करने में कामयाब रही हैं और उनके विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं, जबकि अजित पवार की राकांपा की प्रदेश इकाई पर अच्छी पकड़ है और उन्हें एक सक्षम प्रशासक के रूप में व्यापक स्वीकार्यता हासिल है। इन नेताओं ने यह भी कहा कि अजित पवार ने हाल ही में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की अपनी ख्वाहिश उजागर की थी, जबकि सुप्रिया सुले ने हमेशा स्पष्ट किया है कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में दिलचस्पी है।

यही नहीं, राकांपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री छगन भुजबल भी कह चुके हैं कि सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए, जबकि अजित पवार को प्रदेश इकाई का नेतृत्व करना चाहिए। हालांकि, बाद में उन्होंने यह कहने में भी देरी नहीं लगाई कि यह उनकी निजी राय है।

भाजपा का रुख

उधर, जहां तक सामना में यह कहे जाने पर कि एनसीपी नेताओं का एक पैर अपनी पार्टी में और दूसरा पैर भाजपा में है, उस पर भाजपा की प्रतिक्रिया की बात करें तो आपको बता दें कि भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से कोई भी उनकी पार्टी में शामिल होने के उद्देश्य से उनके संपर्क में नहीं है। बावनकुले ने राकांपा नेता अजित पवार और उनके कुछ वफादार विधायकों के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने नागपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं अजित पवार के बारे में नहीं जानता। राकांपा से कोई भी हमारे संपर्क में नहीं है। अगर कोई हमारी पार्टी में शामिल होना चाहता है, तो पार्टी का झंडा और अंगवस्त्र उसके लिए तैयार है।''

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़