एस जयशंकर ने पोम्पिओ से साफ कहा, भारत वही करेगा जो उसके राष्ट्रीय हित में है
उन्होंने व्यापार और अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, रक्षा, आतंकवाद के मुकाबले और लोगों का लोगों से संपर्क में द्विपक्षीय संबंधों की पूरी संभावनाओं को हासिल करने की मजबूत प्रतिबद्धता जताई।
नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पिओ से बुधवार को कहा कि भारत प्रतिबंधों से प्रभावित रूस के साथ एस-400 मिसाइल रक्षा समझौते पर अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा। भारत और अमेरिका ने व्यापार समेत अन्य मुद्दों पर द्विपक्षीय संबंधों को नये स्तर पर ले जाने के लिए बात करने की प्रतिबद्धता जताई। जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पिओ को मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक के दौरान एस-400 समझौते पर भारत के मजबूत रूख के बारे में अवगत कराया। भारत रूस से एस- 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद रहा है। दोनों नेताओं ने आमने-सामने की वार्ता की और प्रतिनिधिमंडल स्तर पर भी बातचीत हुई। दोनों देशों ने आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत-अमेरिका सहयोग को बढ़ाये जाने की भी प्रतिबद्धता जताई। इसके बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पोम्पिओ और जयशंकर ने स्वीकार किया कि व्यापार पर अलग-अलग विचार है लेकिन उन्होंने कहा कि मित्रों और बड़े व्यापारिक साझेदारों के पास ‘‘मुद्दे’’ होंगे जिन्हें हल किया जा सकता है।
Broadening dialogue between the two largest democracies.
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) June 26, 2019
EAM @DrSJaishankar and @SecPompeo addressed the media following their constructive talks. pic.twitter.com/uPjhmjZ0Hw
जयशंकर के साथ अपनी बैठक के कुछ घंटों बाद पोम्पिओ ने यहां एक नीति भाषण में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के पक्ष में ‘मजबूती’ से बोलने की अपील करते हुए कहा कि अगर इस अधिकार के साथ समझौता किया जाता है तो इससे दुनिया बदतर हो जाती है। पोम्पिओ की टिप्पणी की अहमियत इसलिए है, क्योंकि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 2018 की सालाना अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि भारत में 2018 में गायों के व्यापार या गोवध की अफवाह पर अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर, मुसलमानों के खिलाफ चरमंपथी हिन्दू समूहों ने कथित तौर पर हिंसा की है। जयशंकर और पोम्पिओ ने ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिकी प्रतिबंधों और खाड़ी में अमेरिका-ईरान तनाव के मद्देनजर पैदा हुई स्थिति के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर भी चर्चा की। जयशंकर ने कहा, ‘‘ईरान पर हमारा एक निश्चित दृष्टिकोण है। मंत्री ने मेरे साथ ईरान पर अमेरिकी चिंताओं को साझा किया ... हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि वैश्विक ऊर्जा की आपूर्ति अनुमान के अनुसार बनी रहे।’’ पोम्पिओ ने ईरान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर अमेरिकी चिंताओं को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘हम यह भी जानते हैं कि ईरान दुनिया का सबसे बड़ा आतंक का प्रायोजक है और हम भारतीय लोगों को जानते हैं कि वे दुनियाभर में आतंक से कैसे पीड़ित हैं।’’
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एस-400 समझौते के साथ आगे बढ़ने के लिए ‘काउंटरिंग अमेरिकाज ऐडवरसरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट’ (काटसा) के तहत भारत द्वारा प्रतिबंधों का सामना करने की संभावना के मुद्दे पर पोम्पिओ ने कहा, ‘‘वे इस समय मुद्दे हैं लेकिन हम उनके माध्यम से काम करने का एक तरीका खोज लेंगे और मुझे पता है कि जब हम दूसरी तरफ आएंगे तो संबंध और मजबूत होंगे।’’ काटसा के तहत प्रतिबंधों के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत के कई देशों के साथ संबंध हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे कई देशों से संबंध हैं ... जिनका एक इतिहास है। हम वही करेंगे जो हमारे राष्ट्रीय हित में है और उस रणनीतिक साझेदारी का एक हिस्सा प्रत्येक देश की क्षमता और दूसरे के राष्ट्रीय हित का सम्मान करना है।’’ भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर में 40 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए रूस के साथ एक समझौता किया था। भारत इसके खिलाफ अमेरिका की चेतावनियों के बावजूद यह समझौता करने के लिए आगे बढ़ा। इससे पहले पोम्पियो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने व्यापार और अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, रक्षा, आतंकवाद के मुकाबले और लोगों का लोगों से संपर्क में द्विपक्षीय संबंधों की पूरी संभावनाओं को हासिल करने की मजबूत प्रतिबद्धता जताई।
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