लोकसभा का नियम 374 जिसके तहत 7 सांसद हुए निलंबित, जानें कब-कब हुआ इसका इस्तेमाल
पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों द्वारा अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक कागज छीने जाने और उछालने का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार हुआ है। जिसके बाद कांग्रेस के सात सांसदों को निलंबित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
लोकसभा में कांग्रेस के कुल 52 सांसद हैं, जिनमें से सात सदस्यों को सदन का अपमान करने और ‘घोर कदाचार’ के मामले में मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें नियम 374 (ए) के तहत निलंबित कर दिया। पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों द्वारा अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक कागज छीने जाने और उछालने का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार हुआ है। जिसके बाद कांग्रेस के सात सांसदों को निलंबित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। लेकिन ये पहली बार नहीं है जब सांसदों का निलंबन हुआ है।
पहले कब-कब हुआ निलंबन
- 1989 में सबसे बड़ी निलंबन कार्रवाई हुई थी। 1989 में राजीव गांधी सरकार के दौरान सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे। जिसके बाद विपक्ष के 63 सांसदों को हंगामा करने पर निलंबित किया गया था।
- अगस्त 2013 में मानसून सत्र के दौरान कार्यवाही में रुकावट पैदा करने के लिए 12 सांसदों को निलंबित किया था। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने नियम 374 ए के तहत सांसदों को पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया था।
- फरवरी 2014 में लोकसभा के शीतकाल सत्र में 17 सांसदों को 374 (ए) के तहत निलंबित किया गया था।
- अगस्त 2015 में कांग्रेस के 25 सदस्यों को काली पट्टी बांधने एवं कार्यवाही बाधित करने पर निलंबित किया था।
- मार्च 2020 में कांग्रेस के सात सांसदों को निलंबित किया गया।
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निलंबित किए गए सांसदों के नाम
गौरव गोगोई
टी एन प्रतापन
डीन कुरियाकोस
राजमोहन उन्नीथन
बैनी बहनान
मणिकम टेगोर
गुरजीत सिंह औजला
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क्या है नियम 374 (ए)
नियम 374 (ए) कहता है, ‘नियम 373 और 374 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी किसी सदस्य द्वारा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से सभा की कार्यवाही में बाधा डालकर लगातार और जानबूझकर सभा के नियमों का दुरुपयोग करते हुए घोर अव्यवस्था उत्पन्न किए जाने की स्थिति में अध्यक्ष द्वारा सदस्य का नाम लिए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार पांच बैठकों के लिए या सत्र की शेष अवधि के लिए, जो भी कम हो, स्वत: निलंबित हो जाएगा।
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