Yes, Milord | अनुच्छेद 361 की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, भोजशाला के सर्वे रिपोर्ट पर कब होगी सुनवाई, जानें कोर्ट में इस हफ्ते क्या हुआ

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अभिनय आकाश । Jul 20 2024 1:55PM

15 जुलाई से 20 जुलाई 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

बिलकिस बानो के दोषियों की अंतरिम जमानत पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम में महाराष्ट्र सरकार के संशोधन को खारिज कर दिया। हिंदू संगठन ने भोजशाला के बारे में रिपोर्ट के संबंध में रोक के लिए कोर्ट का रुख किया। राज्यपालों को छूट देने वाले संवैधानिक प्रावधान की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट। नीट-यूजी में धांधली को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, परीक्षा का परिणाम वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश। इस सप्ताह यानी 15 जुलाई से 20 जुलाई 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे। 

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उम्मीदवारों के एग्जाम सेंटर बदलने पर NTA से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को एनईईटी यूजी के शहर और केंद्र-वार परिणाम शाम 5 बजे तक प्रकाशित करने को कहा है। शुक्रवार को यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उम्मीदवारों की पहचान उजागर न हो। सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है। पांच मई को हुई परीक्षा के संचालन में गड़बड़ी के आरोपों का समाधान करने का प्रयास करते हुए प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसे नए सिरे से आयोजित करने का कोई भी आदेश इस ठोस निष्कर्ष पर आधारित होना चाहिए कि कथित लीक “व्यवस्थित” तरीके से हुआ और पूरी प्रक्रिया की शुचिता प्रभावित हुई है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। 

भोजशाला के सर्वे को लेकर दायर याचिका पर जल्द सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

हिंदू संगठन के याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश के धार जिला स्थित भोजशाला को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट के आधार पर किसी भी कार्रवाई के लिए एक अप्रैल को लगाई गई रोक को हटाने के संबंध में उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। इस भोजशाला पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग अपना-अपना दावा करते हैं। ‘हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस’ और अन्य द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के एक अप्रैल के आदेश के बाद इस मामले पर उच्च न्यायालय में कार्यवाही भी एक तरह से रुक गई है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर अर्जी में कहा गया कि उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका में शामिल प्रश्नों पर यथाशीघ्र गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाना आवश्यक है, इसलिए उच्चतम न्यायालय के एक अप्रैल के अंतरिम आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया कि एएसआई ने उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के तहत सर्वेक्षण किया था।

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गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को RTE के तहत नहीं मिलेगी छूट

बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से नौ फरवरी को जारी उस अधिसूचना को शुक्रवार को रद्द कर दिया जिसमें सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले निजी स्कूलों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत आरक्षित दाखिले से छूट दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 21 और बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 के प्रावधानों के विरुद्ध है। 

बिलकिस बानो केस में दोषियों को सुप्रीम कोर्ट में झटका

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो मामले में 11 में से दो दोषियों की ओर से दायर एक याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को  बिलकिस बानो के दोषियों को झटका, अंतरिम जमानत पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकारइनकार कर दिया। दोनों दोषियों ने सजा में दी गई छूट को रद्द करने के शीर्ष अदालत के आठ जनवरी के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिका को ‘‘पूरी तरह से गलत’’ करार दिया और कहा कि वह शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील पर कैसे गौर कर सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘ यह क्या याचिका है? इस याचिका पर कैसे सुनवाई की जा सकती है। यह पूरी तरह से गलत है। अनुच्छेद 32 याचिका कैसे दायर की जा सकती है? हम किसी अन्य पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील पर गौर नहीं कर सकते।’’ दोषियों राधेश्याम भगवानदास शाह और राजूभाई बाबूलाल सोनी की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ​​ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ ने वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

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अनुच्छेद 361 की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 361 के उन प्रावधानों की समीक्षा करने पर शुक्रवार को सहमत हो गया जो राज्यपालों को किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे से पूर्ण छूट प्रदान करते हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल राजभवन की संविदा पर कार्यरत उस महिला कर्मचारी की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को भी नोटिस जारी किया, जिसने राज्य के राज्यपाल सी वी आनंद बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। महिला ने राज्यपाल को ‘‘छूट’’ प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 361 की न्यायिक समीक्षा किए जाने का अनुरोध किया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले से निपटने में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से सहायता करने को कहा। उसने पश्चिम बंगाल राजभवन की महिला कर्मचारी से कहा कि वह अपनी याचिका में केंद्र को भी पक्षकार बनाए।

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