नई तकनीकों पर राजनाथ सिंह ने दिया जोर, बोले- आज हम युद्ध और इसकी संभावनाओं के बीच जी रहे हैं
राजनाथ ने कहा कि हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं, जहां हम दुनिया को वैश्विक गाँव कहकर संबोधित करते हैं। जहां हमें यह लगता है कि लोगों के बीच की दूरियां अब कम हुई हैं। कहने को तो हम सूचान प्रौद्योगिकी के युग में रह रहे हैं, जहां हजार किलोमीटर दूर बैठे किसी व्यक्ति की सूचना हमारे पास सेकंड में पहुंच जाती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को ‘डिफकनेक्ट 4.0’ के आयोजन का उद्घाटण किया। इसमें सशस्त्र बल, रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, नवोन्मेषक और नीति निर्माता स्वदेशी नवाचार को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक मंच पर आएंगे। इस दौरान राजनाथ ने कहा कि हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं, जहां हम दुनिया को वैश्विक गाँव कहकर संबोधित करते हैं। जहां हमें यह लगता है कि लोगों के बीच की दूरियां अब कम हुई हैं। कहने को तो हम सूचान प्रौद्योगिकी के युग में रह रहे हैं, जहां हजार किलोमीटर दूर बैठे किसी व्यक्ति की सूचना हमारे पास सेकंड में पहुंच जाती है।
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राजनाथ सिंह ने कहा कि आज हम विभिन्न प्रकार के युद्धों और युद्धों की संभावनाओं के बीच जी रहे हैं। इन युद्धों में लगातार नई तकनीकों को शामिल किया जा रहा है। इनमें न केवल पारंपरिक हथियारों और गोला-बारूद का उपयोग किया जा रहा है, बल्कि कई प्रकार के दोहरे उपयोग, या यहां तक कि पूरी तरह से नागरिक वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है। उन्हें हथियार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें इस प्रकार के तकनीकी अनुप्रयोगों को गहराई से समझना होगा। हमें यह देखना होगा कि हम अपनी रक्षा के लिए इन तकनीकों का कल्पनाशील उपयोग कैसे कर सकते हैं।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यहां, मैं केवल अन्य युद्धग्रस्त दलों के अनुप्रयोगों की नकल के बारे में बात नहीं कर रहा हूं। इससे आगे बढ़ते हुए मैं आपका ध्यान उन सिस्टम या एप्लीकेशन की ओर आकर्षित करना चाहूंगा जो नये हैं और हमारे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक iDEX DISC, अथवा इस तरह की योजना में, हम आपको अलग-अलग चुनौती देते हैं, और आप इसका समाधान देते हैं। ज़ाहिर है ये समाधान, आपको दिए गए चुनौती पर निर्भर होते हैं, और इसलिए विशिष्ट होते हैं। पर मैं चाहता हूँ, कि आप सभी इन समाधान से आगे बढ़ते हुए, ऐसी प्रौद्योगिकियाँ, जैसे नवाचार ले आएँ जो अब तक की आवश्यकताएं से भी कहीं आगे की चीज़ हों, और वे हमारे रक्षा और सेवाएँ की जरूरत बन जाएँ।
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रक्षा मंत्री ने कहा कि जब ऐसा होने लगेगा, तो मैं समझता हूँ यह मंच एक दोतरफा संवाद का मंच बन जाएगा और हम और अधिक सफलतरीके से सामने आएँगे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता जैसा बड़ा काम केवल अकेले सरकार अपने दम पर नहीं कर सकती। बल्कि इसके लिए हमें इससे जुड़े हुए सभी हितधारक का साथ जरूरी है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि आप सब अब तक सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चले हैं। साथ ही मुझे यह विश्वास भी है कि आगे भी हम सब का यह कनेक्शन और मजबूत होता जाएगा और हम सब मिलकर भारत के
रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को दुनिया में सबसे मज़बूत और सबसे अधिक आधुनिक बनाएँगे।
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