राजनाथ बोले- 'हाइब्रिड' युद्ध से बाहरी और आंतरिक सुरक्षा खतरों में अंतर करना मुश्किल
रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी देश की सुरक्षा को नष्ट करने के लिए काम करने वाली ताकतें सोशल मीडिया, गैर सरकारी संगठनों, न्यायपालिका और लोकतंत्र का दुरुपयोग कर सकती हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा खतरों के बीच भेद करना मुश्किल होता जा रहा है औरमिश्रित (हाइब्रिड) युद्ध ने इस अंतर को लगभग समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि स्थिति और भी जटिल बन गई है क्योंकि आधुनिक तकनीकी प्रगति ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरों की प्रकृति का दायरा बढ़ा दिया है।रक्षा मंत्री सिंह गुजरात में गांधीनगर जिले के लवाड गांव स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि किसी देश की सुरक्षा को नष्ट करने के लिए काम करने वाली ताकतें सोशल मीडिया, गैर सरकारी संगठनों, न्यायपालिका और लोकतंत्र का दुरुपयोग कर सकती हैं। उन्होंने कहा, “नए प्रकार के खतरे सामने आ रहे हैं जिन्होंने आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के बीच की रेखा को धुंधला बना दिया है। आतंकवाद के अलावा, साइबर युद्ध और सूचना युद्ध सुरक्षा खतरों के नए स्वरूप हैं।’’ सिंह ने कहा कि इनके अलावा मानव तस्करी व धनशोधन जैसी सुरक्षा चुनौतियां आपस में जुड़ी हुई हैं, हालांकि वे अलग-अलग दिखाई देती हैं।
उन्होंने राज्य एजेंसियों के एकीकृत तरीके से काम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। रक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी पहलुओं को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमि और समुद्री सीमाओं, हवाई क्षेत्र, अंतरिक्ष, साइबर, डेटा, सूचना, ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण की सुरक्षा शामिल हैं और किसी भी संप्रभु राष्ट्र के लिए इन तत्वों की सुरक्षा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत सभी प्रकार की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमलों और खतरों का सामना करता है, सिंह ने कहा कि गुलाम मानसिकता के प्रभाव को दूर करने की जरूरत है, जिसने देश की आत्मरक्षा और सुरक्षा की समृद्ध परंपरा को कमजोर कर दिया है। सिंह ने कहा कि गुलाम मानसिकता के असर को दूर करने की जरूरत है क्योंकि इसने देश की आत्मरक्षा और सुरक्षा की समृद्ध परंपरा को कमजोर किया है। उन्होंने भारत को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि देश के पास 2047 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है।
सिंह ने कहा, ‘‘स्वतंत्र सोशल मीडिया का उपयोग सुनियोजित दुष्प्रचार के लिए किया जा सकता है। सोशल मीडिया की स्वतंत्रता खराब नहीं है, मीडिया को स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन यदि मीडिया स्वतंत्र है, तो इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है ...।’’ सिंह ने कहा, ‘‘अगर गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) स्वतंत्र हैं तो उन्हें इस तरह इस्तेमाल करने का प्रयास किया जाता है कि देश की पूरी व्यवस्था ठप हो जाए। यदि न्यायपालिका स्वतंत्र है, तो कानूनी प्रणाली का इस्तेमाल कर विकास कार्यों को रोकने या धीमा करने का प्रयास किया जाता है।
यदि किसी देश में गतिशील लोकतंत्र है, तो उसकी एकता और सुरक्षा को निशाना बनाने के लिए राजनीतिक दलों में घुसने का प्रयास किया जाता है।’’ रक्षा मंत्री ने कुछ खबरों का उदाहरण दिया जिनमें कहा गया था कि कोरेगांव-भीमा (2018 में महाराष्ट्र के पुणे जिले में) में हिंसा मामले में 50 प्रतिशत ट्वीट पाकिस्तान से किए गए थे। सिंह ने कहा कि यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कब आतंकवाद और उग्रवाद/अतिवाद की परिभाषाएं एक-दूसरे से जुड़ने लगें और उनके उद्देश्य एक हो जाएं।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘व्यवस्था के हर आयाम में आतंकवाद प्रमुख चुनौतियों के साथ सामने आया है तथा यह सिर्फ बम और हथियारों के स्तर पर नहीं है। मैं यहां हाइब्रिड युद्ध की चर्चा करना चाहूंगा। किसी हाइब्रिड युद्ध में, आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के बीच की रेखा लगभग गायब हो जाती है...।’ उन्होंने कहा कि सूचना युद्ध फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से समाज में फर्जी खबरें और नफरत फैलाने वाली सामग्री का प्रसार किए जाने की आशंका से संबंधित है।
सिंह ने कहा, हमें नयी सुरक्षा चुनौतियों को लेकर सतर्क रहना होगा... जैसे-जैसे नयी प्रौद्योगिकियां विकसित होती हैं, वैसे-वैसे उनके खतरे भी सामने आते हैं। हमें इस सच्चाई को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि फेसबुक की मूल कंपनी मेटा को रूस द्वारा आतंकवादी संगठन बताते हुए प्रतिबंधित करने का उदाहरण स्पष्ट करता है कि युद्ध का अर्थ कैसे बदल गया है।
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