Kirodi Lal Meena का इस्तीफा स्वीकार करने से BJP को कौन-सी मजबूरी रोक रही है?

Kirodi Lal Meena
ANI

भाजपा सूत्रों का कहना है कि यह सही है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा लेकिन अब पार्टी आगे कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है इसलिए वह फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है।

राजस्थान सरकार से इस्तीफा दे चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता किरोडी लाल मीणा को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है। सवाल उठ रहा है कि एक महीना बीत जाने के बावजूद उनका इस्तीफा स्वीकार क्यों नहीं किया गया है? हम आपको याद दिला दें कि साल 2007 में वसुंधरा राजे मंत्रिमंडल से जब किरोडी लाल मीणा ने अपना इस्तीफा दिया था तो वह महज सप्ताह भर के भीतर ही स्वीकार कर लिया गया था लेकिन अब उनको इस्तीफा दिये पूरा एक महीना हो चला है। उनके इस्तीफे के चलते राजस्थान में कृषि जैसे बड़े महकमे को अन्य मंत्री अतिरिक्त प्रभार के रूप में चला रहे हैं। इसलिए सवाल उठ रहा है कि आखिर वह कौन-सी मजबूरी है जो भाजपा नेतृत्व को किरोडी लाल मीणा का इस्तीफा स्वीकार करने से रोक रही है।

इस बारे में भाजपा सूत्रों का कहना है कि यह सही है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा लेकिन अब पार्टी आगे कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है इसलिए वह फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है। हम आपको बता दें कि राजस्थान में इस समय विधानसभा की पांच सीटें खाली हैं जिन पर जल्द ही उपचुनाव होना है। इन पांच सीटों में दौसा, झुंझुनू, चौरासी, खींवसर और देवली-उनियारा शुमार हैं। इन पांच में से 2 सीट दौसा और देवली-उनियारा मीणा बाहुल्य क्षेत्र हैं। इन दोनों ही विधानसभा सीटों पर किरोडी लाल मीणा अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। यदि भाजपा किरोडी लाल मीणा का इस्तीफा स्वीकार कर लेती है तो उपचुनाव में मीणा समाज पार्टी से नाराजगी जता सकता है। इसलिए किरोडी लाल मीणा की मान-मनौव्वल जारी है।

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दूसरी ओर किरोडी लाल मीणा इस समय जिस तरह केंद्रीय मुद्दों पर बयान दे रहे हैं उससे लगता है कि वह खुद भी राजस्थान की राजनीति से बाहर निकल कर दिल्ली की राजनीति करना चाहते हैं। राहुल गांधी की ओर से हाल ही में हिंदुओं के बारे में दिये गये बयान की निंदा करते हुए किरोडी लाल मीणा ने कहा है कि हिंदू हिंसक नहीं होता है वह किसी से लड़ाई नहीं करता है। यही नहीं, किरोडी लाल मीणा ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा है कि इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित हिंदू तैयार करने होंगे। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि जिस प्रकार धर्म की रक्षा के लिए शिवाजी और महाराणा प्रताप ने अधर्मियों से लड़ाई लड़ी थी वैसा ही हमें करना होगा। उन्होंने खुद को छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप की संतान बताते हुए कहा है कि मैं जनता के लिए लड़ता हूं और आगे भी लड़ता रहूंगा।

बहरहाल, अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि दिल्ली में इस सप्ताह के अंत में किरोडी लाल मीणा जब भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मिलेंगे तो उन्हें पार्टी नेतृत्व की ओर से क्या फरमान सुनाया जाता है। हम आपको बता दें कि राजस्थान की भजन लाल सरकार से अपने इस्तीफे को लेकर किरोडी लाल मीणा ने बार-बार यही कहा है कि उनकी संगठन या मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है और उन्होंने अपनी उस सार्वजनिक घोषणा के कारण इस्तीफा दिया है कि अगर पार्टी उनके अधीन वाली लोकसभा सीटें हारती है तो वे इस्तीफा दे देंगे। दरअसल किरोडी लाल मीणा ने दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, अलवर, टोंक-सवाई माधोपुर और कोटा-बूंदी समेत पूर्वी राजस्थान की सीट पर प्रचार किया था। भाजपा इनमें से भरतपुर, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर और धौलपुर-करौली सीट कांग्रेस से हार गई थी।

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