कोरोना काल में कई राज्यों के विधानसभा में नहीं हुआ प्रश्नकाल, फिर संसद में कराने के लिए हंगामा क्यों?
अधिकारी ने कहा कि यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि हाल में ही हुए ज्यादातर विधानसभा में कोई भी विशेष प्रश्नकाल नहीं बुलाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आगामी सत्र में 160 आतारांकित प्रश्नों का लिखित उत्तर देगी।
भले ही संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होने को लेकर कांग्रेस और कई विपक्षी दल सरकार पर हमला कर रहे है लेकिन कोरोनावायरस संकट के दौरान कई राज्यों में विधानसभा सत्र बुलाई गई जहां प्रश्नकाल नहीं हुआ। तृणमूल कांग्रेस भी केंद्र सरकार पर संसद में प्रश्नकाल नहीं कराने को लेकर हमलावर है लेकिन पश्चिम बंगाल में उसी की सरकार विधानसभा में प्रश्नकाल नहीं करा रही है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल के बारे में गलत सूचना फैलाया जा रहा है। उन्होंने विपक्ष के दोहरे रवैए पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें सबसे पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि जो विधानसभा राज्यों में बुलाई गई उसमें यह क्यों नहीं हुआ?
इसे भी पढ़ें: प्रश्नकाल पर दो दिन के विधानसभा सत्र की तुलना संसद के मानसून सत्र से करना अतार्किक: तृणमूल कांग्रेस
अधिकारी ने कहा कि यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि हाल में ही हुए ज्यादातर विधानसभा में कोई भी विशेष प्रश्नकाल नहीं बुलाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आगामी सत्र में 160 आतारांकित प्रश्नों का लिखित उत्तर देगी। कोरोना काल के दौरान कई राज्यों में विधानसभा का सत्र बगैर प्रश्नकाल के ही आयोजित किया गया। आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में विधानसभा सत्र आयोजित किए गए लेकिन प्रश्नकाल नहीं हुआ। ध्यान देने वाली बात यह है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा बिना प्रश्नकाल के हो रहा है लेकिन फिर भी तृणमूल के सांसद डेरेक ओ ब्रायन संसद में प्रश्नकाल आयोजित ना होने को लेकर लोकतंत्र की हत्या बता रहे है।
इसे भी पढ़ें: पिछले 5 सालों में हंगामे की भेंट चढ़ा प्रश्नकाल का 60 फीसदी वक्त, अब तक 6 बार हुआ है रद्द
विरोध के बाद लोकसभा सचिवालय ने कहा कि यह बदलाव केवल मानसून सत्र को लेकर किया गया है। शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल का आयोजन किया जाएगा। सचिवालय ने यह भी कहा कि कोरोनावायरस काल में सामाजिक की दूरी और शारीरिक दूरी को ध्यान में रखते हुए इस तरीके के कदम उठाए गए है। सरकार की ओर से यह भी कहा जा रहा है कि वह हर हफ्ते 1120 सवालों के जवाब देगी। इतना ही नहीं, शुन्यकाल के दौरान सांसद 10 दिनों की अग्रिम सूचना के बिना भी बड़े मुद्दों के मामले उठा सकते है। फिर भी विपक्ष सरकार पर हमलावर है।
अन्य न्यूज़