मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने खोला राज, कैसे ठीक हो रहे भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीज
इन प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना संक्रमित बड़ी संख्या में भर्ती हो रहे है। जिनके इलाज का पूरा खर्च प्रदेश सरकार वहन कर रही है। हालही में कई आईएएस अधिकारी यहाँ तक कि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य भी कोरोना संक्रमित होने के बाद यही भर्ती हुई थी।
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार के गृह एवं लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने के राज से पर्दा उठा दिया है। सोमवार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के सामने उन्होनें यह राज खोला। डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इस दौरान केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन से चर्चा करते हुए कोविड-19 संक्रमण नियंत्रण के लिये 1200 करोड़ रूपये के राहत पैकेज के प्रस्ताव को अनुमोदित करने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने आरएनए एक्स्ट्रेक्शन किट प्रदेश को उपलब्ध कराने की मांग की। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मिश्रा ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि प्रदेश में ऑक्सीजन थेरेपी से कोरोना वायरस की बीमारी के उपचार में मदद मिली है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे भी उपस्थित थे।
डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि चिरायु अस्पताल भोपाल में अब तक 600 मरीज भर्ती हुए हैं, जिसमें से 250 से अधिक स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। अस्पताल में उपचार के दौरान एक भी मरीज काल-कवलित नहीं हुआ है। उन्होनें बताया कि ऑक्सीजन थेरेपी के उपचार से यह संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से एम्स और इंदौर में भी उपचार किया जा रहा है। इससे मध्य प्रदेश में कोरोना संबंधी मृत्यु दर में भी कमी आई है।
वही मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से ग्वालियर जिले को रेड जोन से हटाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि ग्वालियर में 4 कोरोना मरीज सामने आये थे, जो स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में जिले में कोई भी कोरोना पॉजीटिव मरीज नहीं है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण नियंत्रण के लिये सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि प्रदेश में अब तक 2037 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं, इसमें से 800 पूर्ण स्वस्थ हो चुके है। प्रदेश में अब तक 50 हजार लोगों का कोरोना टेस्ट कराया जा चुका है। प्रदेश में 3 मई को 50 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आये जबकि 174 मरीज स्वस्थ हुए हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिये समीक्षा करते हुए डॉ. मिश्रा से कहा कि वे निरंतर दूरभाष पर संपर्क में बने रहे। अब तक कोरोना से अप्रभावी जिलों को सुरक्षित रखने के लिये साथ ही रेड जोन के जिलों को ऑरेंज जोन में लाने के लिये सभी आवश्यक प्रबंध करें। ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करवाएं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस दौरान उन्होंने ऑक्सीजन थेरेपी से उपचार की प्रशंसा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्रीमती पल्लवी जैन गोविल, स्वास्थ्य आयुक्त फैज एहमद किदवई भी मौजूद रहे।
लेकिन जिस तरह से कोविड-19 के इलाज के लिए सरकार द्वारा चिन्हित अस्पतालों पर नजर दौड़ाए तो इनमें जायदातर प्राइवेट अस्पताल ही शामिल है। वही सरकारी अस्पतालों के नाम पर राजधानी भोपाल का एम्स, जीएमसी अस्पताल ही है। जबकि कोविड-19 के लिए चिन्हित प्राइवेट अस्पतालों में चिरायु और बंसल प्रमुख है। इन प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना संक्रमित बड़ी संख्या में भर्ती हो रहे है। जिनके इलाज का पूरा खर्च प्रदेश सरकार वहन कर रही है। हालही में कई आईएएस अधिकारी यहाँ तक कि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य भी कोरोना संक्रमित होने के बाद यही भर्ती हुई थी। देखा जा रहा है कि अन्य शासकीय अस्पतालों की अपेक्षा भोपाल के प्राइवेट अस्पताल चिरायु हॉस्पीटल से जायदा संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट रहे है, वह सबके लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ था। जिसका खुलासा सोमवार को प्रदेश के गृह, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कर दिया।
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वही गौरतलब है कि पिछले 15 सालों से प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और 15 महिने कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता सम्हाली है। लेकिन इस दौरान दोनों ही पार्टीयों की सरकार ने राज्य तो छोड़ दे प्रदेश की राजधानी तक में ऐसा कोई स्वास्थ्य संस्थान खडा नहीं कर सकी है जो महामारी जैसे संकट की घड़ी में मोर्चा सम्हाल पाता। यही वजह है कि इस कोविड काल में अब सरकार को इन प्राइवेट अस्पतालों का मुंह ताकना पड़ रहा है। सूत्रों की माने तो जिस चिरायु और बंसल हॉस्पीटल को सरकार ने कोरोना संक्रमण के मरीजों के इलाज के लिए चिन्हित किया है उन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि इन अस्पतालों की वाह वाही सरकार इन दिनों करती नज़र आ रही है।
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