Jan Gan Man: Halal Certificates को बढ़ावा देना भारत की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचाने की साजिश है

Halal Certificates
Prabhasakshi

खाद्य पदार्थों के संबंध में लागू अधिनियम व नियमावली के अनुसार खाद्य पदार्थों के लिए शीर्षस्थ संस्था भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को खाद्य पदार्थों के मानकों का निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है, जिसके आधार पर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है।

अवैध ढंग से 'हलाल सर्टिफिकेट' देने के काले कारोबार को उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतिबंधित किया तो पूरे देश में इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी। हम आपको बता दें कि खाने पीने के सामान से लेकर सौंदर्य प्रसाधनों तथा दवा उत्पादों की पैकिंग पर हलाल प्रमाण पत्र का अंकन धड़ल्ले से किया जा रहा है। जबकि औषधियों व प्रसाधन सामग्रियों से संबंधित सरकार के नियमों में हलाल प्रमाणीकरण का अंकन उत्पादों के लेबल पर किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 व तत्सम्बन्धी नियमों में हलाल प्रमाणीकरण किये जाने का कोई प्रावधान है। इसी प्रकार, खाद्य पदार्थों के संबंध में लागू अधिनियम व नियमावली के अनुसार खाद्य पदार्थों के लिए शीर्षस्थ संस्था भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को खाद्य पदार्थों के मानकों का निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है, जिसके आधार पर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है। जबकि हलाल प्रमाणन एक समानान्तर व्यवस्था है जो खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता के विषय में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है एवं सरकार के नियमों का उल्लंघन करता है।

देखा जाये तो मजहब के नाम से कुछ उत्पादों पर हलाल प्रमाणपत्र प्रदान कर उनकी ब्रिकी बढ़ाने के लिए अवैध कारोबार चलाया जा रहा है। ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं कि जिन कम्पनियों ने हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुम्बई और जमीयत उलेमा मुम्बई से हलाल प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त किया है, उनके उत्पादन की बिक्री को घटाने का प्रयास भी किया जा रहा है। आशंका है कि इस अनुचित लाभ को समाज विरोधी/राष्ट्र विरोधी तत्वों को पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही एक धर्म विशेष के बीच हलाल प्रमाण पत्र वाले उत्पादों को ही खरीदने का अभियान चला कर दूसरे समुदाय विशेष के व्यावसायिक हितों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। 

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हम आपको यह भी बता दें कि वैसे तो हलाल प्रमाणित वस्तुओं का चलन इस्लामी देशों में बहुत लम्बे समय से चला आ रहा है। परंतु हाल ही के समय में इसे गैर इस्लामी देशों में भी तेजी से फैलाया गया है अर्थात मुस्लिम मजहब के मतावलंबियों को यह प्रेरणा दी जाती है कि वे केवल हलाल प्रमाणित वस्तुओं एवं सेवाओं का ही उपयोग करें। हलाल प्रमाणन संस्थाएं एक मोटी रकम विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करने वाली संस्थाओं से हलाल प्रमाणन प्रमाण पत्र जारी करने के एवज में लेती हैं। इसके चलते हलाल प्रमाणन प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्थाओं की आय करोड़ों डॉलर में हो गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि हलाल प्रमाणित व्यापार यदि इसी रफ्तार से आगे बढ़ता रहा तो वर्ष 2023 तक हलाल अर्थव्यवस्था का अनुमानित व्यापार 3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा, जोकि विश्व के कई विकसित देशों जैसे कनाडा, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, इटली, स्पेन आदि के सकल घरेलू उत्पाद से भी कहीं अधिक होगा। यहां सवाल उठता है कि क्या हलाल प्रमाण पत्रों के जरिये भारत की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचाने की कोई साजिश तो नहीं की जा रही?

इस मुद्दे पर भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि विपक्ष के जो नेता इस तरह की व्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं वह हिंदू नहीं हो सकते और ना ही देशप्रेमी हो सकते हैं क्योंकि हलाल प्रमाण पत्र जारी करने के एवज में वसूली जा रही रकम देश विरोधियों के हाथ में जा रही है।

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