गाय और ओम के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विपक्ष पर वार
प्रधानमंत्री मोदी ने मथुरा में राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम की शुरूआत की। पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग को दूर करने और टीकाकरण की व्यवस्था कर, स्वास्थ्य से जुड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण किया।
मथुरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘‘ओम’’ एवं ‘‘गाय’’ शब्दों का उल्लेख करने का विरोध करने वालों पर बुधवार को तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ऐसे लोग ही देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।इस बीच, कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मोदी को इस बात के लिए चिंतित होना चाहिए कि गाय के नाम पर लोगों की हत्या हो रही है और संविधान का घोर उल्लंघन हो रहा है। कान्हा की नगरी मथुरा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'ओम' शब्द सुनते ही कुछ लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। कुछ लोगों के कान में 'गाय' शब्द पड़ता है तो उनके ‘‘बाल खड़े हो जाते हैं, उनको करंट लग जाता है। उनको लगता है कि देश 16वीं-17वीं सदी में चला गया है।’’उन्होंने कहा कि ऐसे लोग ही देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने मथुरा में राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘‘... भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन बहुत मूल्यवान है। कोई कल्पना करे कि पशुधन के बिना अर्थव्यवस्था चल सकती है क्या? गांव चल सकता है क्या? गांव का परिवार चल सकता है क्या? लेकिन पता नहीं 'ओम' शब्द सुनते ही करंट लग जाता है कुछ लोगों को।'
PM Modi in Mathura: Iss desh ka durbhagya hai ki kuchh logo ke kaan par agar 'om' aur 'gaaye' shabd padhta hai to unke baal khade ho jate hain, unko lagta hai desh 16th shatabdi mein chala gaya, aisa gyaan, desh barbaad karne walo ne desh barbaad karne mein kuchh nahi chhoda hai. pic.twitter.com/0imFNmxJU2
— ANI UP (@ANINewsUP) September 11, 2019
अफ्रीका के रवांडा का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह वहां गए थे और वहां गांवों में लोगों को गाय भेंट में दी जाती है। गांव में गाय, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन अर्थव्यवस्था का आधार बने हैं। भेंट की गयी गाय की पहली बछिया को सरकार लेती है और उन लोगों को सौंपती हैं जिनके पास गाय नहीं है। इस तरह पूरी श्रृंखला चलती रहती है और गाय लोगों की आय का एक हिस्सा बनती है ।’’मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाकपा के महासचिव डी. राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री ‘ओम’ और ‘गाय’ के मुद्दे क्यों उठा रहे हैं जबकि उन्हें देश की अर्थव्यवस्था की बात करनी चाहिए।उन्होंने ‘पीटीआई- भाषा’ से कहा, ‘‘वह ऐसे समय में यह बात कह रहे हैं जब गाय और भगवान के नाम पर देशभर में पीट-पीट कर हत्या की घटनाएं हो रही हैं। उन्हें देश के प्रधानमंत्री की तरह व्यवहार करना चाहिए , वास्तविक मुद्दों पर बात करनी चाहिए और बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना चाहिए, न कि विपक्ष पर हमला करना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बारे में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने टीवी चैनलों से कहा कि भारत में लोग न केवल ‘ओम’ और ‘गाय’ सुनते हैं, बल्कि मस्जिदों की अजान, गुरुद्वारों में होने वाले पाठ और गिरजाघरों की घंटी की आवाज भी सुनते हैं।
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उन्होंने कहा, ‘‘लोग जब गाय के नाम पर मारे जा रहे हैं तो आपको चिंतित होना चाहिए। प्रधानमंत्री को चिंतित होना चाहिए कि संविधान का घोर उल्लंघन हो रहा है। हम अपने प्रधानमंत्री से उम्मीद करते हैं कि जब तबरेज, पहलू खान या अखलाक मारे जा रहे हैं तो उन्हें यह सोचकर चिंतित होना चाहिए कि ‘मेरे देश में क्या चल रहा है।’’राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद माजिद मेमन ने कहा कि मोदी एक धर्मनिरपेक्ष देश के प्रधानमंत्री हैं और उन्हें अक्सर धार्मिक मामलों का जिक्र नहीं करना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘‘वह धर्मगुरु नहीं हैं... प्रधानमंत्री को स्पष्ट कर देना चाहिए कि ‘मैं सरकार के मुखिया के तौर पर किसी को भी धर्म के नाम पर, ‘ओम’ या ‘गाय’ के नाम पर किसी को बर्दाश्त नहीं करूंगा, उन्हें अपने हाथ में कानून नहीं लेने दूंगा।’’
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