RSS के कार्यक्रम में लिया हिस्सा, सावरकर पर क्या थी सोच? राहुल की किस हरकत से थे नाराज, प्रणब मुखर्जी की डायरी के पन्ने आए सामने
शर्मिष्ठा ने कहा कि उनके पिता भी प्रस्तावित अध्यादेश के विरोध में थे, जिसकी एक प्रति राहुल गांधी ने सितंबर 2013 में एक संवाददाता सम्मेलन में फाड़ दी थी, लेकिन उन्हें लगा कि इस पर संसद में चर्चा की जानी चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा है कि उनके पिता को लगता था कि उनके अधीनस्थ रवैये के कारण उन्हें राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। अपनी पुस्तक "प्रणब माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स" के लॉन्च पर शर्मिष्ठा ने कहा कि उनके पिता कहा करते थे कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ उनका कार्यकाल उनके राजनीतिक जीवन का स्वर्णिम काल था। पुस्तक में मुखर्जी की डायरियों से लिए गए संदर्भ हैं। उनकी जयंती के अवसर पर इसे लॉन्च किया गया। इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम और भाजपा नेता विजय गोयल भी मौजूद रहे।
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शर्मिष्ठा ने कहा कि उनके पिता भी प्रस्तावित अध्यादेश के विरोध में थे, जिसकी एक प्रति राहुल गांधी ने सितंबर 2013 में एक संवाददाता सम्मेलन में फाड़ दी थी, लेकिन उन्हें लगा कि इस पर संसद में चर्चा की जानी चाहिए। अध्यादेश का उद्देश्य दोषी विधायकों को तत्काल अयोग्य ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करना था, और इसके बजाय यह प्रस्तावित किया गया कि वे उच्च न्यायालय में अपील लंबित होने तक सदस्य के रूप में बने रह सकते हैं। शर्मिष्ठा ने कहा कि मैं ही उन्हें (अध्यादेश फाड़ने की) खबर सुनाने वाली थी। वह बहुत गुस्से में थे।
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उन्होंने यह भी कहा कि देश के राष्ट्रपति के रूप में उनके पिता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक टीम के रूप में काम किया। पूर्व नौकरशाह पवन के वर्मा के साथ पुस्तक पर बातचीत के दौरान उन्होंने अपने पिता के आरएसएस कार्यक्रम में भाग लेने के विरोध को भी याद किया। मैंने बाबा से उनके फैसले पर तीन-चार दिनों तक लड़ाई की। एक दिन उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं बल्कि देश है जो वैधता दे रहा है। बाबा को लगा कि लोकतंत्र पूरी तरह से बातचीत के बारे में है। यह विपक्ष के साथ बातचीत के बारे में है।
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