जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों ने अमित शाह के बयान को खुद में विरोधाभासी करार दिया
जम्मू कश्मीर में राजनीतिक दलों ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को शनिवार को खुद में विरोधाभासी करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा।
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में राजनीतिक दलों ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को शनिवार को खुद में विरोधाभासी करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा और स्थिति सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का इसका दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री के उक्त बयान पर राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर कहा, ‘‘एक झूठी सामान्य स्थिति बनाने के लिए जम्मू कश्मीर के लोगों को आतंकित करने के बाद, भारत सरकार का यह स्वीकार करना कि स्थिति अभी भी सामान्य नहीं है, खुद में विरोधाभासी बयान है।’’
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शाह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने सवाल किया कि सामान्य स्थिति को कौन परिभाषित करेगा। लोन ने ट्विटर पर कहा, ‘‘सामान्य स्थिति को कौन परिभाषित करेगा? और एक संघीय ढांचे में, क्या हम वास्तव में सत्ता हासिल करने के बहाने के रूप में सामान्य स्थिति का उपयोग कर सकते हैं। पूर्ण राज्य के दर्जे के बगैर प्रत्येक दिन संघवाद का अपमान है।’’ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एम. वाई. तारिगामी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को सहभागिता और प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित किया जा रहा है, जो सुशासन के मूलभूत सिद्धांतों में एक है। जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा किए गए सुशासन के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई ने इसे ‘‘निराधार और भ्रामक’’ करार दिया।
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पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री के जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के दावे पर भी सवाल उठाया और कहा कि वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के उद्देश्य से इस मुद्दे को कब तक ठंडे बस्ते में डाला जाएगा। जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी सुशासन के दावों का कड़ा विरोध करती है और समझती है कि यह विफल नीतियों और जम्मू-कश्मीर का दर्जा कम किये जाने के बाद हुए नुकसान को छिपाने का एक उपकरण है।’’ मीर ने परिसीमन प्रक्रिया में ‘‘देरी’’ पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया कब पूरी होगी, इसके लिए सरकार को समयसीमा देनी चाहिए। इस बीच नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) ने जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों के लिए ‘सुशासन सूचकांक’ जारी करने की कवायद को सरकार द्वारा ‘‘अपनी विफलताओं को छिपाने’’ के प्रयासों के रूप में बताया।
पार्टी प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में ‘सुशासन’ केवल कागजों तक ही सीमित है और जमीनी स्थिति प्रशासन के सभी दावों को ‘झूठा’ बताती है। शाह ने भारत का पहला ‘जिला सुशासन सूचकांक’ वर्चुअल रूप से जारी करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है और केंद्र शासित प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सवाल है, परिसीमन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके पूरा होने के बाद हम (विधानसभा) चुनाव कराएंगे।
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