सचिन वाजे को PMLA कोर्ट ने दी जमानत, लेकिन क्यों नहीं आ पाएंगे जेल से बाहर?
विशेष न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने शुक्रवार को अदालत में अपने आदेश के प्रमुख बिंदुओं को पढ़ा, जबकि वजे कठघरे में खड़े थे। न्यायाधीश रोकड़े ने कहा, चूंकि जांच के दौरान आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया था, इसलिए इस आवेदन पर फैसला करते समय पीएमएलए की धारा 45 की कठोरता लागू नहीं होती है।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत एक विशेष अदालत ने मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वज़े को उस मामले में जमानत दे दी है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ है। हालांकि, वाजे जेल से बाहर नहीं निकलेंगे क्योंकि उन पर एनआईए और सीबीआई के दो अन्य मामलों में मुकदमा चल रहा है और उन्हें इन दोनों मामलों में अभी तक जमानत नहीं मिली है। विशेष न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने शुक्रवार को अदालत में अपने आदेश के प्रमुख बिंदुओं को पढ़ा, जबकि वजे कठघरे में खड़े थे। न्यायाधीश रोकड़े ने कहा, चूंकि जांच के दौरान आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया था, इसलिए इस आवेदन पर फैसला करते समय पीएमएलए की धारा 45 की कठोरता लागू नहीं होती है।
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न्यायाधीश ने आगे कहा कि मामले में सचिन वज़े की भूमिका अनिल देशमुख के समान है, जबकि पूर्व मंत्री को जमानत दे दी गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेष लोक अभियोजक सुनील गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि इसी तरह के आधार पर जमानत के लिए वाजे ने पहले पीएमएलए अदालत के समक्ष याचिका दायर की थी और इसे खारिज कर दिया गया था। गोंजाल्विस ने कहा कि उसके बाद से परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं आया है।
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हालांकि जज रोकड़े ने कहा, "मैं यह मानने को तैयार नहीं हूं कि परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं आया है। न्यायाधीश ने कहा कि परिस्थितियों में बदलाव आया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई मामले में हाल के एक फैसले में स्पष्ट किया था कि जांच के दौरान जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार नहीं किए गए लोगों को जमानत दी जा सकती है। अदालत ने कहा कि ईडी ने खुद सरकारी गवाह बनने के वाजे के आवेदन पर सहमति जताई थी और वाजे ने जांचकर्ताओं को सहयोग दिया था।
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