एक परिवार के महिमामंडन के लिये देश के सपूतों को छोटा कर दिया गया: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एक परिवार का महिमामंडन करने के लिए देश के अनेक सपूतों और उनके योगदान को छोटा कर दिया गया।
राजगढ़। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एक परिवार का महिमामंडन करने के लिए देश के अनेक सपूतों और उनके योगदान को छोटा कर दिया गया। जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोदी ने कहा, ‘यह हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि एक परिवार का महिमामंडन करने के लिये देश के अनेक सपूतों और उनके योगदान को छोटा कर दिया गया या भुला देने का भरपूर प्रयास किया गया।’
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में मोहनपुरा वृहद सिंचाई परियोजना का लोकर्पण करने के बाद मोदी ने कहा, ‘यह भी बहुत बड़ा संयोग है कि आज देश के महान सपूत डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि है। 23 जून के दिन ही कश्मीर में उनकी शंकास्पद परिस्थितियों में मृत्यु हुयी थी। मैं आज के इस अवसर पर डॉ मुखर्जी का पुण्य स्मरण करता हूं, उनको नमन करता हूं और आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।’
प्रधानमंत्री ने डॉ मुखर्जी को याद करते हुए कहा कि वे कहा करते थे कि कोई भी राष्ट्र सिर्फ अपनी ऊर्जा से ही सुरक्षित रह सकता है। उनका भरोसा देश के साधन, संसाधनों और देश के प्रतिभाशाली लोगों पर था। स्वतंत्रता के बाद देश को हताशा, निराशा से निकालने का उनका विजन आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा दे रहा है।
मोदी ने कहा, ‘देश के पहले उद्योग और आपूर्ति मंत्री के तौर पर उन्होंने (डॉ मुखर्जी) देश की पहली औद्योगिक नीति बनाई। वह कहते थे अगर सरकार, देश के शिक्षण संस्थान और औद्योगिक संगठन मिलकर उद्योगों को बढ़ावा देगें तो देश बहुत जल्द ही आर्थिक तौर पर भी स्वंत्रत हो जायेगा। शिक्षा से जुड़े क्षेत्र के लिये, महिला सशक्तिकरण के लिये, देश की परमाणु नीति को दिशा देने के लिये, उन्होंने जो विचार रखे वे, उस दौर की सोच से भी बहुत आगे थे। देश के विकास में जनभागीदारी का महत्व समझते हुए उन्होने जो रास्ते सुझाये वो आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।’
उन्होंने कहा कि डॉ मुखर्जी ने सबसे ज्यादा महत्व शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा को दिया। वह कहते थे कि सरकार को शुरूआती शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक व्यापक सुविधाएं जुटानी चाहिये। युवाओं में छिपी प्रतिभा को निकालने के लिये उचित माहौल बनाया जाना चाहिये, ताकि हमारे युवा अपने गांव अपने नगर की सेवा करने के लिये समर्थ बन सकें। डॉ मुखर्जी का जीवन विद्या, वित्त् और विकास इन तीन मूलभूत चिंतनों का संगम था। मोदी ने कहा कि डॉ मुखर्जी कहते थे कि शासन अंग्रेजों की तरह राज करने के लिये नहीं बल्कि नागरिकों के सपने पूरे करने के लिये होना चाहिये।
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