पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से भारत की सामरिक स्वायत्तता में और कमी आई : माकपा

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ANI

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से ‘‘भारत की सामरिक स्वायत्तता में और कमी आई है।’’ पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के नवीनतम संपादकीय में कहा गया है ।

नयी दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से ‘‘भारत की सामरिक स्वायत्तता में और कमी आई है।’’ पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के नवीनतम संपादकीय में कहा गया है कि इस यात्रा के परिणामस्वरूप भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के ‘‘पैरों में स्वत: बेड़ी’’ लग गई है। इसमें कहा गया है, ‘‘मोदी सरकार द्वारा अपनाये गये अमेरिका समर्थक रुख ने तेजी से बढ़ती बहुध्रुवीय दुनिया में रचनात्मक और स्वतंत्र भूमिका निभाने के लिए भारत को मिलने वाले बड़े अवसर को अवरुद्ध कर दिया है।’’

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इसमें कहा गया है, ‘‘मोदी की अमेरिका यात्रा से भारत की सामरिक स्वायत्तता में और कमी आई है। इस यात्रा के परिणामस्वरूप भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के ‘‘पैरों में स्वत: बेड़ी’’ लग गई है। जुलाई में नयी दिल्ली में भौतिक रूप से आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन को पहले ही एक आभासी (वर्चुअल) बैठक में बदल दिया गया है।’’ संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की यात्रा के जरिये रणनीतिक और सैन्य संबंधों के मामले में भारत अमेरिका के और अधिक निकट आ गया है।

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इसमें कहा गया है कि वाशिंगटन में राजकीय यात्रा पर मोदी का स्वागत, राजकीय भोज और दूसरी बार कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने का अवसर, ऐसे समय में आया है जब जो बाइडन प्रशासन को लग रहा है कि पूर्व में किये गये सभी प्रयासों से चीन को रोकने और उसे अलग-थलग करने के वांछित परिणाम नहीं मिले हैं। माकपा ने आरोप लगाया कि भारत को रणनीतिक गठबंधन में शामिल करने के लिए अमेरिका की पहली बड़ी पहल 2005 में असैन्य परमाणु समझौते की पेशकश थी।

इसमें दावा किया गया कि वामपंथियों द्वारा परमाणु समझौते के विरोध के कारण रक्षा रूपरेखा समझौते में शामिल विभिन्न अन्य समझौतों के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हुई। संपादकीय में कहा गया है, ‘‘नरेन्द्र मोदी के लिए, अमेरिकी यात्रा और उसके नतीजे उनकी घरेलू छवि को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हमेशा साम्राज्यवाद समर्थक रहा है और बड़े पूंजीपति वर्ग के नेतृत्व में भारतीय शासक वर्ग अमेरिका के साथ रणनीतिक गठबंधन के पक्ष में हैं। यही वह दृष्टिकोण है जो कॉरपोरेट मीडिया पर हावी है, जिसके लिए अमेरिकी सहयोगी के रूप में सबाल्टर्न का दर्जा भी एक शानदार उपलब्धि है।’’ ‘सबाल्टर्न’ का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो स्थिति या दर्जे में निचले स्तर पर होता हो।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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