Prabhasakshi NewsRoom: 'पहले कहा जागो हिंदू जागो, हिंदू जागा तो कहते हैं सो जाओ', संत ही नहीं, आमजन भी मोहन भागवत पर भड़क रहे हैं

Mohan Bhagwat
ANI

जहां तक संत समाज की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि सबसे तीखी टिप्पणी की है स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने। उन्होंने कहा है कि मैं मोहन भागवत के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। उन्होंने कहा कि हम मोहन भागवत के अनुशासक हैं वो हमारे अनुशासक नहीं हैं।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर देशभर के साधु संत भड़क गये हैं। सोशल मीडिया पर भी तमाम लोग तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है कि पहले संघ परिवार के लोग जागो हिंदू जागो का आह्वान करते हैं, अब जब हिंदू जाग गया है तो कह रहे हैं कि सो जाओ। वहीं साधु संतों के बयानों की बात करें तो एक बात स्पष्ट तौर पर दिख रही है कि संत समाज यह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि वह आरएसएस के अधीन नहीं बल्कि स्वतंत्र है और धर्म से जुड़े मामलों में उसका निर्णय ही सर्वोपरि होगा। यही नहीं, अक्सर देखने में आता है कि विभिन्न मुद्दों को लेकर संत समाज के विचार भी अलग अलग होते हैं लेकिन मोहन भागवत के बयान का विरोध पूरे संत समाज की ओर से एकजुटता के साथ किया जा रहा है।

जहां तक संत समाज की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि सबसे तीखी टिप्पणी की है स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने। उन्होंने कहा है कि मैं मोहन भागवत के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। उन्होंने कहा कि हम मोहन भागवत के अनुशासक हैं वो हमारे अनुशासक नहीं हैं। वहीं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की आलोचना करते हुए उन पर ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जब उन्हें सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढ़ने की नसीहत दे रहे हैं। योग गुरु रामदेव ने भी मोहन भागवत के बयान पर अप्रत्यक्ष रूप से नाखुशी जताई है।

वहीं अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने भी मोहन भागवत के बयान पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा है कि नेताओं को अपने दायरे में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद का मुद्दा धार्मिक है और इसका फैसला 'धर्माचार्यों' पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने आरएसएस को सांस्कृतिक संगठन करार देते हुए साफ तौर पर कहा कि इस मुद्दे को धर्माचार्यों पर छोड़ देना चाहिए। मीडिया से बातचीत में स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जब धर्म का विषय उठेगा तो उसे धर्माचार्य तय करेंगे। उन्होंने कहा कि जब धर्माचार्य कोई चीज तय करेंगे तो उसे संघ भी स्वीकार करेगा और विश्व हिंदू परिषद भी। उन्होंने यह भी कहा कि मोहन भागवत पहले भी ऐसा बयान दे चुके हैं और उनके बयान के बाद 56 नए स्थानों पर मंदिर पाए गए हैं, जो दर्शाते हैं कि मंदिर-मस्जिद मुद्दों में कार्रवाई जरूरी है।

हम आपको बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक संबोधन के दौरान कहा था कि हर जगह मंदिर ढूँढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती। मोहन भागवत के बयान का विपक्षी दलों सहित समाज के एक बड़े वर्ग ने स्वागत किया था लेकिन संत समाज इस बयान से काफी नाराज बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि प्रयागराज में होने वाले महाकुम्भ में भी संतों के बीच इस विषय पर चर्चा हो सकती है।

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