Manipur में अपनों को खोने वाले परिजनों का छलका दर्द, कहा- विश्वास नहीं होता वे हमारे बीच नहीं है
पश्चिम बंगाल के मालदा में रहने वाले श्रमिकों के परिजनों की दुनिया एक झटके में खत्म हो गई जब मिजोरम में ढहे रेलवे पुल हादसे में उनके अपनों की जान चली गई। कई परिवार तो विश्वास ही नहीं कर पा रहे कि उनके अपने अब इस दुनिया में नहीं है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मालदा में रहने वाले श्रमिकों के परिजनों की दुनिया एक झटके में खत्म हो गई जब मिजोरम में ढहे रेलवे पुल हादसे में उनके अपनों की जान चली गई। कई परिवार तो विश्वास ही नहीं कर पा रहे कि उनके अपने अब इस दुनिया में नहीं है। आइजोल के करीब बुधवार को निर्माणाधीन पुल ढह गया था जिसमें 22 श्रमिकों की मौत हो गई और अन्य तीन घायल हुए। इस हादसे में एक श्रमिक अभी भी लापता है और उसे ढूंढने के लिए तलाश अभियान जारी हैं।
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महीदुर रहमान ने कहा, हम इसपर विश्वास नहीं कर सकते... हमारा जीवन बिखर गया। हमारा भविष्य अब पूरी तरह से अनिश्चित है... हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि नौकरी और आवश्यक मुआवजा देकर हमारी मदद करें। रहमान ने बताया कि उसके परिवार के छह लोग 40 दिन पहले काम के लिए मिजोरम गए थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिकतर पीड़ित मालदा जिले के पुकुरिया, इंग्लिश बाजार और मणिकचक के हैं। हसीना खाती जिनके पति साइदुर रहमान रेलवे पुल परियोजना में काम कर रहे थे, उन्होंने बताया कि वह उस सेल्फी ने नजर नहीं हटा पा रही हैं जो उन्होंने खुशियां छीन लेने वाले दिन की सुबह भेजा थी। पति को गंवाने के कारण गमगीन हसीना ने कहा, हादसे से एक दिन पहले मेरे पति ने काम का दबाव होने से फोन करने के लिए मना किया था तो हमारी बेटियों ने उनसे अपना फोटो भेजने के लिए कहा था। उन्होंने बुधवार की सुबह एक सेल्फी भेजी जिसमें पीछे पुल दिखाई दे रहा था, यह हमारी लिए आखिरी याद बन गयी है। बहुत से परिजनों ने बताया कि वह अपने करीबियों को आखिरी बार देखना चाहते हैं।
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हादसे में अपने भाई को खोने वाले सुल्तान अली ने कहा, हम यही चाहते हैं, राज्य सरकार सुनिश्चित करें कि हमारे परिवार के सदस्यों के शवों को उचित तरीके से वापस लाया जाए और उन्हें सम्मान मिलें। रेलवे ने कहा कि बुधवार को हुआ यह हादसा गैंट्री (भारी भरकम ढांचे को लाने-ले जाने वाला क्रेननुमा ढांचा) ढहने के कारण हुआ जिसे कुरुंग नदी के ऊपर बन रहे पुल के निर्माण के लिए लगाया गया था। मालदा के मंडल रेल प्रबंधक विकास चौबे ने संवाददाताओं से कहा, पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे ने शवों को अलग अलग एंबुलेंस में उनके पैतृक गांव पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। जब एंबुलेंस उनके घर पहुंचेगी तो एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी मृतक के परिजनों के साथ होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है और हादसे में घायल प्रत्येक व्यक्ति को पचास-पचास हजार रुपये दिए जाएंगे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की और मामूली रूप से घायलों को पचास-पचास हजार रुपये देने की घोषणा की है।
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