कश्मीर में टारगेट किलिंग पर ओवैसी का बयान, जो गलती 1989 में हुई थी, वही मोदी सरकार दोहरा रही
ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार इतिहास से सीख नहीं ले रही है जो गलती 1989 में हुई थी वहीं गलती नरेंद्र मोदी की सरकार वापस से कर रही है। 1989 में भी राजनीतिक आउटलेट बंद कर दिया गया था और घाटी (कश्मीर) के राजनेताओं को बोलने की अनुमति नहीं थी।
हाल के दिनों में जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। आतंकियों ने कई आम लोगों को अपना निशाना बनाया है। इन सब के बीच अब विपक्ष मोदी सरकार पर कश्मीर में बढ़ते टारगेट किलिंग के मामले को लेकर हमलावर हो गया है। दरअसल, आज ही जम्मू कश्मीर के कुलगाम में एक बैंक मैनेजर की हत्या कर दी गई है। बैंक मैनेजर राजस्थान का रहने वाला था। अब इसी को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार इतिहास से सीख नहीं ले रही है जो गलती 1989 में हुई थी वहीं गलती नरेंद्र मोदी की सरकार वापस से कर रही है। 1989 में भी राजनीतिक आउटलेट बंद कर दिया गया था और घाटी (कश्मीर) के राजनेताओं को बोलने की अनुमति नहीं थी।
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न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक ओवैसी ने आगे कहा कि आप (सरकार) सिर्फ फिल्म का प्रमोशन कर रहे है और आपको लग रहा है कि फिल्म के प्रमोशन से कश्मीरी पंडित का भला होगा।। 1987 के चुनाव में धांधली हुई थी और इसका परिणाम 1989 में देखा गया था। उन्होंने कहा कि वे कश्मीरी पंडितों को चुनावी मुद्दों के रूप में देखती है न कि इंसानों के रूप में। ऐसी चीजें आतंकवाद को बढ़ावा दे रही हैं। इसकी जिम्मेदारी मोदी सरकार पर है, मैं इसकी निंदा करता हूं। वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि जिनको कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा करनी है, उनको फिल्म के प्रचार से फुर्सत नहीं है।
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कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई ने घाटी में राजस्थान के एक बैंक कर्मचारी की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने की निंदा की और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कथित विफलता के लिए केंद्र की आलोचना की। आंतकवादियों ने दो दिन पहले 31 मई को जम्मू के सांबा जिले की हिंदू शिक्षिका रजनी बाला की कुलगाम जिले के गोपालपुर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इससे पहले 12 मई को राहुल भट की बडगाम जिले की चदूरा तहसील में तहसीलदार कार्यालय के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कश्मीर में एक मई महीने से लोगों को निशाना बनाकर हत्या करने के आठ मामले सामने आए हैं। इनमें पांच नागरिक और तीन पुलिसकर्मी शामिल थे। ये पुलिसकर्मी ड्यूटी पर तैनात नहीं थे।
मोदी सरकार इतिहास से सीख नहीं ले रही है जो गलती 1989 में हुई थी वहीं गलती नरेंद्र मोदी की सरकार वापस से कर रही है। 1989 में भी राजनीतिक आउटलेट बंद कर दिया गया था और घाटी (कश्मीर) के राजनेताओं को बोलने की अनुमति नहीं थी: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी pic.twitter.com/1qU24TgbPF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 2, 2022
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