विपक्ष ने प्रधानमंत्री के भाषण को झूठ से भरा चुनावी संबोधन कहा
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुद्रास्फीति का दोष बाकी दुनिया पर मढ़ने की कोशिश की, जबकि हकीकत यह है कि संप्रग सरकार की अवधि की तुलना में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम हैं। प्रधानमंत्री द्वारा किए गए सुधारों को जन विरोधी बताते हुए रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की विफलताओं को तीन शब्दों ‘दुर्नीति, अन्याय और बदनीयती’ के रूप में समझा जा सकता है। बयानबाजी और दिखावा अब उस सच्चाई को छिपा नहीं सकता, जो पूरे देश के सामने स्पष्ट है।
विपक्षी दलों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन को खारिज करते हुए इसे ‘‘झूठ, अतिशयोक्तियों और खोखले वादों से भरा चुनावी भाषण’’ करार दिया और दावा किया कि यह मोदी का लाल किले की प्राचीर से ‘‘विदाई’’ भाषण है। कांग्रेस ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर देश को एकजुट करने के बजाय प्रधानमंत्री ने केवल अपने बारे में और अपनी छवि की बात की और आगे की चुनौतियों को स्वीकार नहीं किया। अगले वर्ष लाल किले पर ध्वजारोहण करने और अपनी उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड देने संबंधी प्रधानमंत्री के दावे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अगले साल मोदी अपने आवास पर ही झंडा फहराएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के इस दावे में अहंकार दिखाई देता है कि अगले साल वह फिर लाल किले से देश को संबोधित करेंगे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में आरोप लगाया, ‘‘15 अगस्त 2023 को लोगों को यह बताने के बजाय कि उनकी सरकार ने पिछले नौ वर्षों में क्या हासिल किया है, प्रधानमंत्री मोदी ने झूठ, अतिशयोक्ति और अस्पष्ट वादों से भरा एक बेतुका चुनावी भाषण दिया।’ प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को विश्वास जताया कि वह अगले साल लाल किले की प्राचीर से एक बार फिर राष्ट्र को संबोधित करेंगे और जनता से किए गए वादों की प्रगति उनके समक्ष प्रस्तुत करेंगे। लाल किले की प्राचीर से 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अगली बार 15 अगस्त को इसी लाल किले से मैं आपको देश की उपलब्धियां, आपके सामर्थ्य, आपके संकल्प, उसमें हुई प्रगति, उसकी सफलता और गौरवगान... पूरे आत्मविश्वास के साथ आपके सामने प्रस्तुत करूंगा।’’
उनके संबोधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हर आदमी यही कहता है कि बार-बार जीतकर आऊंगा, लेकिन हराना जिताना मतदाताओं के हाथ में है। वह अगले साल झंडा फहराने की बात कर रहे हैं, यह अहंकार है।’’ उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘वह (प्रधानमंत्री) अगले साल झंडा फहराएंगे, लेकिन अपने घर पर।’’ आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया कि मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपना विदाई भाषण दिया। आप नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया, ‘‘मेरा मानना है कि यह प्रधानमंत्री मोदी का विदाई भाषण था। उन्होंने पिछले 10 साल में किये गये सभी कार्यों को गिनाने की कोशिश की, लेकिन उल्लेख करने लायक कुछ नहीं था।’’ आप की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा, ‘‘किसी को प्रधानमंत्री के 10 साल के रिपोर्ट कार्ड को समझने के लिए उनके भाषण को सुनने की जरूरत नहीं है। उनके काम से साफ है कि वह नाकाम रहे हैं।’’
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने सरकार को चुनौती दी कि यदि वह वंशवाद की राजनीति के खिलाफ है, तो ‘प्रति परिवार एक व्यक्ति विधेयक’ लाए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने ‘एक्स (पूर्व में ट्विटर)’ पर अपने पोस्ट में भारत की अर्थव्यवस्था, मानव विकास सूचकांक और नवजात मृत्यु दर की तुलना अन्य देशों से करते हुए सरकार पर निशाना साधा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सांसद बिनय विश्वम ने मोदी के भाषण को राजनीतिक और जुमलेबाजी करार दिया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मोदी को ‘परिवारवाद’ की बात करते समय सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर देखना चाहिए। यादव का इशारा आदित्यनाथ के गोरखपुर की गोरक्षपीठ के महंत भी होने की ओर माना जा रहा है।
बिहार के उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से अहंकार की बू आती है कि वह अगले साल लाल किले से तिरंगा फहराएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री भूल गये हैं कि कुछ भी स्थायी नहीं होता। देश ने अनेक शासक देखे हैं और सभी किसी न किसी तरह सत्ताविहीन हो गये। प्रधानमंत्री को लगता है कि वह इस सबसे मुक्त हैं।’’ कांग्रेस नेता रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने देश को एक साथ लाने, हमारी अब तक की यात्रा का जश्न मनाने, पीड़ितों के दर्द और पीड़ा को स्वीकार करने और आगे आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करने की बजाय इस दिन को अपनी छवि पर केंद्रित रखा।’’ रमेश ने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने मणिपुर में हिंसा से हुई तबाही को बमुश्किल संबोधित किया और लापरवाह तरीके से इसकी तुलना देश के अन्य हिस्सों में हुई घटनाओं से की।
उन्होंने उन घोर विफलताओं पर कोई दुख या स्वीकारोक्ति नहीं दिखाई, जिसके कारण मणिपुर संघर्ष क्षेत्र में तब्दील हो गया।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भले ही यह कहा हो कि ‘अमृत काल’ में भारत माता का कायाकल्प किया जा रहा है, लेकिन पूरे देश ने मणिपुर में उनका हश्र देखा है, जहां महिलाओं पर क्रूरतापूर्वक अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का यह कहना भी असत्य है कि देश में युवाओं के लिए अवसरों की कमी नहीं है। रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘स्थानीय संस्कृतियों और भाषाओं पर हमले और सबसे कमजोर लोगों, विशेषकर दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भीड़ की हिंसा को वैध बनाकर देश की विविधता को निरर्थक बनाया जा रहा है। मोदी सरकार, भाजपा और कट्टर नेतृत्व वाले संघ परिवार द्वारा मीडिया पर नियंत्रण और सोशल मीडिया के दुरुपयोग से देश का सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो गया है।’’
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुद्रास्फीति का दोष बाकी दुनिया पर मढ़ने की कोशिश की, जबकि हकीकत यह है कि संप्रग सरकार की अवधि की तुलना में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम हैं। प्रधानमंत्री द्वारा किए गए सुधारों को जन विरोधी बताते हुए रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की विफलताओं को तीन शब्दों ‘दुर्नीति, अन्याय और बदनीयती’ के रूप में समझा जा सकता है। बयानबाजी और दिखावा अब उस सच्चाई को छिपा नहीं सकता, जो पूरे देश के सामने स्पष्ट है।
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