मुरादाबाद मुद्दे पर बोले उमर अब्दुल्ला, लोगों के जमा होने से नहीं बल्कि नमाज से समस्या है

Omar Abdullah
ANI

अपर पुलिस अधीक्षक-ग्रामीण (एएसपी- ग्रामीण) संदीप कुमार मीणा ने सोमवार को बताया कि दुल्‍लेपुर गांव में गत 24 अगस्‍त को कुछ लोग एक मकान में नमाज अदा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मकान में जगह नहीं होने पर कुछ लोग बाहर खुले में आकर नमाज पढ़ने लगे, जबकि पूर्व में उन्‍हें ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी गयी थी।

श्रीनगर। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने को लेकर 25 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने के बाद नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि समस्या लोगों के जमा होने से नहीं बल्कि नमाज पढ़े जाने से है। पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 505 के तहत यह मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि चेतावनी के बावजूद मुरादाबाद जिले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव में सार्वजनिक स्थन पर नमाज पढ़ने के कारण यह मामला दर्ज किया गया है। मामले के एक आरोपी ने दावा किया है कि जिस जमीन पर नमाज अदा की जा रही थी, वह निजी थी। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे यकीन है कि अगर कोई पड़ोसी अपने 26 दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ हवन करता तो यह पूरी तरह से स्वीकार्य होता। लोगों के जमा होने से दिक्कत नहीं है, समस्या नमाज अदा करने से है।’’ 

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अपर पुलिस अधीक्षक-ग्रामीण (एएसपी- ग्रामीण) संदीप कुमार मीणा ने सोमवार को बताया कि दुल्‍लेपुर गांव में गत 24 अगस्‍त को कुछ लोग एक मकान में नमाज अदा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मकान में जगह नहीं होने पर कुछ लोग बाहर खुले में आकर नमाज पढ़ने लगे, जबकि पूर्व में उन्‍हें ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी गयी थी। मीणा ने बताया कि इस मामले में अन्‍य कुछ ग्रामीणों की शिकायत पर 25 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में अब तक किसी भी शख्‍स को गिरफ्तार नहीं किया गया है। इस बीच, मामले के एक आरोपी वाहिद सैफी ने दावा किया कि वह उस जमीन का कानूनन मालिक है, जिस पर नमाज अदा की गयी थी। उसने दावा किया कि उक्त स्थान पर आजादी के बाद से अक्‍सर नमाज पढ़ी जाती थी, लेकिन हाल ही में खुद को बजरंग दल के कार्यकर्ता बताने वाले कुछ ‘उपद्रवी तत्‍वों’ ने इसे नयी परम्‍परा बताते हुए इसका विरोध किया था और गत तीन जून को छजलैट थाने में शिकायत की थी। 

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सैफी के मुताबिक इस शिकायत पर पुलिस ने मौके का दौरा किया था और सभी कागजात की जांच के बाद उप जिलाधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होने को कहा था। उन्होंने बताया कि उपजिलाधिकारी को भी सभी कागजात दिखाये गये, जिस परअधिकारियों ने खुले में नमाज नहीं पढ़ने की हिदायत दी थी। उसके बाद से सभी लोग घर के दायरे में ही रहकर नमाज पढ़ रहे थे। सैफी ने कहा कि गत 24 अगस्‍त को खुले में नमाज पढ़ने के आरोप में गुपचुप तरीके से एक मुकदमा दर्ज करा दिया गया, जिसके बारे में उन्‍हें मीडिया की खबरों से पता लगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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