जनसभा में भीड़ देखकर गद्गद् हुए उमर अब्दुल्ला ने भाजपा के बारे में कर दिया बड़ा दावा
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'वे विधानसभा में बहुमत का उपयोग कर एक प्रस्ताव लाना चाहते हैं, जो पिछले प्रस्ताव को निरस्त कर देगा। इसके बाद वे उच्चतम न्यायालय जाएंगे और कहेंगे कि (अनुच्छेद 370 को) निरस्त करने के खिलाफ दाखिल मामला झूठा है, क्योंकि जनता संतुष्ट है।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला घाटी में अपनी पार्टी के प्रचार कार्य में जोरशोर से लगे हुए हैं। उनकी सभाओं में भीड़ उमड़ भी रही है। भीड़ देखकर गद्गद् हो रहे उमर अब्दुल्ला बड़े-बड़े वादे भी कर रहे हैं लेकिन साथ ही कई ऐसे दावे भी कर दे रहे हैं जिन्हें साबित करने के लिए उनके पास कोई तथ्य नहीं है। उमर अब्दुल्ला ने अब दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी कश्मीर घाटी में नए राजनीतिक दल खड़े कर रही है ताकि वह विधानसभा में बहुमत सुनिश्चित कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने तथा इसे केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर सके। उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी जानती है कि जब भी चुनाव होंगे, वह अपने दम पर सदन में बहुमत हासिल नहीं कर पाएगी। उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'वे विधानसभा में बहुमत का उपयोग कर एक प्रस्ताव लाना चाहते हैं, जो पिछले प्रस्ताव को निरस्त कर देगा। इसके बाद वे उच्चतम न्यायालय जाएंगे और कहेंगे कि (अनुच्छेद 370 को) निरस्त करने के खिलाफ (नेशनल कांफ्रेंस के लोकसभा सदस्यों द्वारा) दाखिल मामला झूठा है, क्योंकि जनता संतुष्ट है। ऐसे में उच्च न्यायालय के पास मामले को रफा-दफा करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।'
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उन्होंने कहा, 'भाजपा जानती है कि कश्मीर में उसे एक भी सीट नहीं मिलने वाली...इसलिये बहुमत तक पहुंचने के लिये नयी पार्टियां खड़ी की जा रही हैं। पीएजीडी (पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन) का गठन यह सुनिश्चित करने के लिये किया गया है कि भाजपा बहुमत तक न पहुंच पाए।' उमर अब्दुल्ला ने उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा में पार्टी के सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। उमर अब्दुल्ला ने साथ ही एक अन्य सभा को संबोधित करते हुए पड़ोसी पाकिस्तान के साथ मधुर रिश्ते बनाये रखने की वकालत भी की। उन्होंने कहा कि हमने दो ऐसे प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया जो पड़ोसी देशों से मधुर संबंध बनाये रखने के पक्षधर थे और कश्मीर से जुड़े मुद्दे वार्ता से हल करना चाहते थे लेकिन आज के शासन के साथ ऐसा नहीं है।
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कश्मीर में भी बैंक हड़ताल
दूसरी ओर, राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का असर जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिल रहा है। श्रीनगर में एसबीआई शाखा के बाहर निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार से मांग की कि वह निजीकरण का फैसला वापस ले। प्रभासाक्षी संवाददाता से बातचीत करते हुए बैंक कर्मचारियों ने कहा कि आज दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव है लेकिन भविष्य में बाकी सब सरकारी बैंकों का भी निजीकरण कर दिया जायेगा।
गौरतलब है कि फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। निजीकरण की सुविधा के लिए, सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है। सरकार ने इससे पहले 2019 में आईडीबीआई में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।
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