ट्रिपल टेस्ट के बिना नहीं होगा ओबीसी आरक्षण, निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद HC ने सुनाया अहम फैसला
लखनऊ पीठ ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया। पीठ ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 5 दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया और ओबीसी के लिए आरक्षण के बिना चुनाव कराने का आदेश दिया। यह फैसला जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरव लवानिया की खंडपीठ ने सुनाया। पीठ ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 5 दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं के बाद यह फैसला आया है। याचिकाओं में नगरपालिका अधिनियम, 1916 की धारा 9-ए (5) (3) (बी) के तहत 5 दिसंबर को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, जिसे यूपी नगर पालिकाओं के नियम 7 (सीटों और कार्यालयों का आरक्षण और आवंटन) के साथ पढ़ा गया था। यह तर्क देते हुए कहा गया कि कि नगर पालिकाओं में सीटों के आरक्षण की पूरी कवायद राज्य सरकार द्वारा सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के "पूर्ण अनादर और अवहेलना" में की जा रही है।
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