दुष्कर्म मामले में टिप्पणी पर राजस्थान के मंत्री को नोटिस

[email protected] । Mar 28 2017 5:03PM

‘‘असंवेदनशील’’ टिप्पणी पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने आज मंत्री को नोटिस भेजते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वालों को ‘‘लैंगिक संवेदनशीलता’’ बरतनी चाहिए।

बीकानेर में कथित सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में राजस्थान के मंत्री की ओर से की गयी ‘‘असंवेदनशील’’ टिप्पणी पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने आज मंत्री को नोटिस भेजते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वालों को ‘‘लैंगिक संवेदनशीलता’’ बरतनी चाहिए। अप्रैल 2015 में 13 वर्षीय एक लड़की कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई थी और हाल में पीड़िता के पिता की तरफ से स्थानीय पुलिस अधीक्षक को शिकायत कराए जाने के बाद आरोपी शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने मामला दर्ज कराने में पीड़ित के परिवार की ओर से हुई देरी पर सवाल खड़ा किया था।

एनसीडब्ल्यू ने कटारिया को नोटिस का जवाब देने को कहा है। जवाब नहीं देने पर उन्हें तलब किया जायेगा। एनसीडब्ल्यू ने बताया कि उसके सदस्य पीड़िता के परिवार से मुलाकात करेंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि संभवत: पीड़िता को छुपा कर रखा गया है। एनसीडब्ल्यू ने कहा, ‘‘बीकानेर में कथित दुष्कर्म पीड़िता पर टिप्पणी को लेकर हमने राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया को नोटिस भेजा है। उन्हें तत्काल जवाब देने के लिये कहा गया है और ऐसा नहीं करने पर उन्हें तलब किया जायेगा और इस संबंध में क्या कदम उठाया जाये इस पर बाद में फैसला किया जायेगा।’’

कटारिया ने संवाददाताओं से कहा था कि ‘‘आम तौर पर अगर आठ लोग बलात्कार करते हैं और पीड़ित बच्ची उसी दिन अपने माता पिता को सूचित नहीं करती तो यह मेरे लिये कोई मायने नहीं रखता है। मैं इसे वर्षों के अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं।’’ एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष ललिता कुमार मंगलम ने कहा, ‘‘हमने अपने एक सदस्य को पीड़ित के परिवार से मिलने के लिये भेजने का फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि पीड़ित को छुपाकर रखा गया है क्योंकि उसके पिता मामला वापस लेना चाहते हैं और परिवार किसी को भी बच्ची से मिलने नहीं दे रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को लैंगिक संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। इस तरह की टिप्पणी ना केवल निंदनीय है बल्कि यह संवेदनहीन भी है। एक पीड़ित से हमेशा सवाल किया जाता है और कोई भी उसे संदेह का लाभ नहीं देता है। यह बेहद दकियानूसी बर्ताव है।’’

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