Purvottar Lok: Rijiju से छिना कानून मंत्रालय, Manipur में जनजीवन सामान्य, Assam Police को फिट होने के लिए मिला 15 अगस्त तक का समय

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केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि विधि और न्याय मंत्री के रूप में काम करना उनके लिए सम्मान की बात रही। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और निचली न्यायपालिका के न्यायाधीशों और विधि अधिकारियों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम पूर्वोत्तर लोक में आप सभी का स्वागत है। इस सप्ताह अरुणाचल प्रदेश के सांसद और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को कानून मंत्रालय से हटा कर उन्हें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भेज दिया गया तो असम सरकार ने सभी पुलिस वालों को पेट कम करने की चेतावनी दे डाली है। मणिपुर में हालात अब सामान्य हो रहे हैं तो त्रिपुरा में मुख्यमंत्री पद पर माणिक साहा ने इस सप्ताह एक साल पूरे कर लिये। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों ने भी विकास संबंधी मुद्दों पर कदम आगे बढ़ाये। बहरहाल, आइये एक नजर डालते हैं पूर्वोत्तर भारत से इस सप्ताह आई बड़ी खबरों पर। सबसे पहले बात करते हैं असम की।

असम

असम के कोकराझार जिले में 13 वर्षीय लड़की के साथ चार युवकों ने चलती कार में कथित तौर पर बलात्कार किया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घटना मंगलवार शाम की है जब चार युवकों ने लड़की को जबरन कार में बैठा लिया और राष्ट्रीय राजमार्ग 31सी पर चलती कार में उसके साथ बलात्कार किया। अधिकारी ने बताया कि सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया, ''इलाका डोटमा शहर के पास है। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने खोज अभियान शुरू किया और बुधवार शाम को चारों आरोपियों को दबोच लिया।” आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इसके अलावा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि असम बच्चों के खिलाफ अपराध को खत्म करने के लिए सक्रियता से काम कर रहा है। एनसीपीसीआर की सदस्य दिव्या गुप्ता ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कुछ अन्य राज्यों की तुलना में असम में किशोरों द्वारा अपराध ‘बहुत कम’ है। उन्होंने कहा, ''असम सरकार बच्चों के विरूद्ध अपराध पर रोकथाम के लिए बहुत सक्रिय है। वह बाल अपराध के अपराधियों के विरूद्ध गंभीर कार्रवाई कर रही है।’’

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा ने कहा कि उनकी सरकार प्रशासन को सुचारू बनाने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र को सिर्फ एक सर्कल कार्यालय से जोड़ रही है। फिलहाल विधानसभा सीटें जिला मुख्यालय से जुड़ी हुई हैं और एक जिले में कई मंडल और निर्वाचन क्षेत्र हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने 5वें उपायुक्त सम्मेलन के दूसरे दिन कहा, “हम प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए हर निर्वाचन क्षेत्र को सिर्फ एक सर्कल कार्यालय से जोड़ रहे हैं, क्योंकि हम राजस्व कार्य और विकासात्मक कार्य दोनों को एक साथ करना चाहते हैं।''

इसके अलावा, असम पुलिस ने कहा है कि अगर उसके मोटे कर्मी इस साल नवंबर तक अपना वजन कम नहीं करते हैं तो वह ऐसे सभी कर्मियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की पेशकश करेगी। पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के निर्देश पर यह फैसला किया गया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘असम पुलिस मुख्यालय ने आईपीएस/एपीएस अधिकारियों सहित असम पुलिस के सभी कर्मियों के ‘बॉडी मास इंडेक्स’ (बीएमआई) को पेशेवर तरीके से दर्ज करने का फैसला किया है...।" उन्होंने कहा कि आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) और असम पुलिस सेवा (एपीएस) के अधिकारियों सहित सभी कर्मियों को 15 अगस्त तक तीन महीने का समय देने और उसके बाद बीएमआई दर्ज करने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि वह 16 अगस्त को अपना बीएमआई दर्ज कराने वाले बल के सबसे पहले व्यक्ति होंगे।

अरुणाचल प्रदेश

उधर, अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि विधि और न्याय मंत्री के रूप में काम करना उनके लिए सम्मान की बात रही। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और निचली न्यायपालिका के न्यायाधीशों और विधि अधिकारियों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया। इसके कुछ घंटे पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में किए गए फेरबदल में रीजीजू को कानून मंत्री पद से हटाकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी। रीजीजू ने कहा कि वह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को पूरा करने की दिशा में काम करने के लिए आशान्वित हैं। अरुणाचल प्रदेश से तीसरी बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे रीजीजू ने कहा, ‘‘मैं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वप्न को उसी ऊर्जा और उत्साह के साथ पूरा करने के लिए आशान्वित हूं जिसे मैंने भाजपा के एक विनम्र कार्यकर्ता के रूप में आत्मसात किया है।''

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले से अज्ञात बदमाशों द्वारा बंदूक के बल पर अगवा किए गए पेट्रोल पंप के ‘कैशियर’ को 21 दिन बाद छोड़ दिया गया। नामसाई के पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू थुंगन ने बताया कि जिले के चोंगखम में पेट्रोल पंप के कर्मचारी दिनेश शर्मा को लोहित जिले के वाकरो सर्कल के मेडो क्षेत्र में छोड़ा गया। उन्होंने कहा, ''व्यक्ति अब भी सदमे में है। अपहरण करने वाले समूह का पता लगाया जा रहा है।’’ स्थानीय लोगों ने दावा किया कि अपहरण के पीछे प्रतिबंधित उल्फा (आई) का हाथ है। अपहरण के दौरान बंदूकधारियों ने गोलियां चलाईं, जिसमें पेट्रोल पंप के मालिक का चालक मिठाई मरांडी (28) गंभीर रूप से घायल हो गया था। असम के डिब्रूगढ़ जिले के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सप्ताह अपने आवास पर अरुणाचल प्रदेश की विभिन्न जनजातियों के सामुदायिक नेताओं से यहां मुलाकात की और इस दौरान उनकी गुजरात यात्रा के अनुभवों और अरुणाचल तथा गुजरात के बीच ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा की। इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद थे। उनकी गुजरात की यात्रा पर खुशी जाहिर करते हुए मोदी ने कहा कि भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी के बारे में माना जाता है कि वह अरुणाचल से थीं। अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने गुजरात, खासकर केवड़िया और गिफ्ट सिटी की यात्रा के उनके अनुभव के बारे में जानकारी ली। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि यह पहली बार है जब इन आदिवासी नेताओं ने प्रधानमंत्री के साथ संवाद किया है। उन्होंने इस बैठक को ‘ऐतिहासिक’ बताया।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित भारत के अंतिम गांव किबितू में शनिवार को मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी एयरटेल ने सफलतापूर्वक गांव के लोगों के लिए 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी सेवा की शुरुआत की। यह गांव राज्य के अंजॉ जिले में स्थित है और जिला मुख्यालय हवाई से लगभग 70 किमी उत्तर में है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि यह लोगों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया एक बड़ा कदम है।

मणिपुर

मणिपुर से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के कम से कम आठ आदिवासी विधायकों और कई नागरिक संगठनों ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने हाल में जातीय हिंसा से प्रभावित इस राज्य की एन बीरेन सिंह की अगुवाई वाली सरकार के साथ किसी तरह की बातचीत नहीं करने का फैसला किया है। मणिपुर में चिन-कुकी-मिजो-जोमी-हमार जातीय समूहों से जुड़े अनेक नागरिक संगठनों और राज्य के जनजातीय विधायकों ने राज्य में तनावपूर्ण स्थिति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को मिजोरम की राजधानी आइजोल में बैठक की थी। इनमें भारतीय जनता पार्टी के विधायक भी शामिल हैं। बयान में कहा गया, ‘‘बैठक में संकल्प लिया गया कि मौजूदा संकट का सामना एकजुट होकर किया जाएगा और मौजूदा मणिपुर सरकार के साथ कोई संवाद या बातचीत नहीं की जाएगी।’’

इसके अलावा, असम राइफल्स ने राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर विभिन्न संगठनों द्वारा विरोध के तहत किए गए सड़क जाम को हटा दिया है और आवश्यक सामान से लदे इंफाल जाने वाले ट्रकों के काफिले ने आगे बढ़ना शुरू कर दिया है जिसे राज्य बल सुरक्षा प्रदान कर रहा है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे को लेकर मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिले में ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया गया था जिसके बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी । सड़क जाम होने और ट्रांसपोर्टर के बीच भय के चलते इंफाल घाटी में ट्रकों की आवाजाही रुक गई थी। ट्रकों की आवाजाही रुकने से राज्य में जरूरी सामान का भंडार कम होने लगा और स्थिति गंभीर स्तर पर पहुंच गई। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि जरूरी सामान से लदे वाहनों को इंफाल आने/जाने में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना और असम राइफल्स ने मोर्चा संभाल लिया है।

इसके अलावा, मणिपुर में पिछले सप्ताह जातीय हिंसा के दौरान उग्रवादियों के हमले में घायल हुए असम राइफल्स के एक जवान की बुधवार को कोलकाता के एक अस्पताल में मौत हो गई। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले सप्ताह 10 मई को इम्फाल पूर्वी जिले के दोलाईथाबी इलाके में पूर्वाह्न 11 बजे अज्ञात उग्रवादियों ने सैनिकों पर गोलीबारी की जिसमें राइफलमैन आलोक राव घायल हो गए जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद कोलकाता के कमांड अस्पताल लाया गया था। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने कहा, "10 मई को मणिपुर में एक अभियान के दौरान गोली लगने से घायल हुए '18 असम राइफल्स' के राइफलमैन आलोक राव की 17 मई को कोलकाता के कमांड अस्पताल में मौत हो गई।"

इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को मणिपुर की सरकार को निर्देश दिया कि वह जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में विश्वास बहाली, शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए और कहा कि शीर्ष अदालत होने के नाते वह सुनिश्चित कर सकता है कि राजनीतिक मशीनरी स्थिति को लेकर ‘‘आंखें ना मूंदे।’’ मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के कथित भड़काऊ भाषणों के संबंध में सौंपे गए साक्ष्यों पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को संयम बरतने की सलाह दें। प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘कृपया संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी भरा बयान देने की सलाह दें।’’

इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया और स्थायी शांति सुनिश्चित करने में राज्य को केंद्र की ओर से पूर्ण समर्थन दिये जाने का आश्वासन दिया। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है। अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मेइती और कुकी समुदायों के प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों के साथ कई बैठकें करके राज्य में शांति बहाल करने के लिए पिछले दो दिन में उठाए गए कदमों की समीक्षा की, जिसके बाद ये निर्देश जारी किये। बयान के अनुसार, उन्होंने सभी गुटों से चर्चा करने और शांति का संदेश देने का भी आग्रह किया और न्याय का आश्वासन दिया।

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मेघालय

मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा है कि वह सीमा वार्ता के दूसरे दौर के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा से अगले सप्ताह गुवाहाटी में मुलाकात कर सकते हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि बैठक की योजना पर काम किया जा रहा है, जो अगले सप्ताह 24 मई को होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के बीच शेष छह इलाकों में चल रहे मतभेदों को हल करने के उद्देश्य से दूसरे दौर की बातचीत की यह पहली बैठक होगी। संगमा ने कहा कि अंतरराज्यीय सीमा पर विवादित ‘ब्लॉक-1’ और ‘ब्लॉक-2’ में स्थित गांवों में झड़पों को लेकर वह शर्मा के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, "हमने पहले ही दोनों पक्षों की ओर से शांति और संयम का संदेश भेजने के लिए ‘ब्लॉक-1’ और ‘ब्लॉक-2’ का दौरा करने का फैसला किया है।"

इसके अलावा, मेघालय के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एल.आर. बिश्नोई ने वेस्ट गारो हिल्स क्षेत्र में पांच जिलों के पुलिस अधीक्षकों से प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) के फिर से संगठित होने और कैडर की भर्ती करने के बारे में खुफिया जानकारी पर एक रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने पुलिस अधीक्षकों को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। यह मुद्दा वेस्ट गारो हिल्स में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रैंक के एक अधिकारी द्वारा लिखे गए एक आंतरिक पत्र में इस प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के फिर से संगठित होने तथा कैडर की भर्ती करने के उनके प्रयासों को विफल करने के लिए सभी पुलिस थानों से कार्रवाई करने को कहे जाने के बाद सामने आया। पत्र में कहा गया है कि गारो हिल्स से कम से कम 500 युवक संगठन में शामिल हुए हैं और इनमें से कुछ को गुरिल्ला युद्ध के मूलभूत प्रशिक्षण के लिए म्यांमा भेजा गया है। पुलिस को आत्मसमर्पण कर चुके जीएनएलए के उग्रवादियों और पूर्व में संगठन से सहानुभूति रखने वाले कारोबारियों पर करीब से नजर रखने का निर्देश दिया गया है।

इसके अलावा, पिछले कुछ दिन से मेघालय बिजली संकट से जूझ रहा है, और फिलहाल इस समस्या से राहत मिलने के आसार नहीं हैं क्योंकि पन बिजली बनाने के लिए जिस बांध के पानी का उपयोग किया जाता है उसमें जल स्तर न्यूनतम है। बिजली मंत्री एटी मंडल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अगर उमियम झील में जलस्तर एक फुट और नीचे गया तो बिजली उत्पादन बंद करना पड़ सकता है। मंडल ने कहा, ''आज जलस्तर 3,165 फुट पर है, यह झील के इतिहास में न्यूनतम है। कुछ वर्ष पहले तक इसमें न्यूनतम जलस्तर 3,170 फुट था।’’ किसी भी पनबिजली परियोजना में बिजली निर्माण के लिए न्यूनतम जलस्तर होना अनिवार्य है। उमियम में बिजली उत्पादन के लिए अनिवार्य न्यूनतम जलस्तर 3,164 फुट है। बिजली विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में राज्य के कई स्थानों में प्रतिदिन कम से कम दस घंटे बिजली की कटौती की जा रही है। उनके अनुसार, ऐसा इसलिए है क्योंकि मांग की तुलना में बिजली की उपलब्धता बहुत ही कम है।

इसके अलावा, प्रतिबंधित गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) फिर से संगठित और सक्रिय हो रहा है और मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स क्षेत्र के युवाओं को गोरिल्ला युद्ध के मूलभूत प्रशिक्षण के लिए म्यांमा भेज रहा है। अधिकारियों ने कहा कि राज्य प्रशासन ने पहले ही इस तरह के प्रयासों के खिलाफ कदम उठाए हैं और वह प्रतिबंधित संगठन के आत्मसमर्पण कर चुके कैडर की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें सूचना मिली है कि जीएनएलए फिर से संगठित हो रहा है। यह सूचना आंतरिक है और इस पर कार्रवाई की गयी है।’’ उन्होंने कहा कि कुछ युवाओं की ‘‘भर्ती’’ की गई है और गोरिल्ला युद्ध के मूलभूत प्रशिक्षण के लिए उन्हें म्यांमा भेजा जा रहा है।

मिजोरम

मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि 'मिजो नेशनल फ्रंट' (एमएनएफ) ने दक्षिण मिजोरम के लॉन्गतलाई जिले में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के कुल पांच सदस्यों के सत्तारुढ़ दल में शामिल होने के बाद 'चकमा स्वायत्त जिला परिषद' (सीएडीसी) में बहुमत हासिल करने का दावा किया है। 'चकमा स्वायत जिला परिषद' में कुल सदस्यों की संख्या 20 है, तथा बोर्ड के गठन के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा 11 है। भाजपा के तीन सदस्य और कांग्रेस के दो सदस्यों के एमएनएफ में शामिल होने के बाद सत्तारुढ़ दल के कुल सदस्यों की संख्या 15 हो गई है। एमएनएफ विधायक दल के नेता रसिक मोहन चकमा ने कहा, "पार्टी ने जादुई आंकड़ा हासिल करने से पहले सीएडीसी में बोर्ड गठन का दावा पेश किया क्योंकि वह 10 सदस्यों के साथ परिषद की सबसे बड़ी पार्टी है।"

इसके अलावा, शक्तिशाली तूफान ‘मोखा’ के कारण मिजोरम के कई हिस्सों में कम से कम 236 मकान एवं आठ शरणार्थी शिविर क्षतिग्रस्त हो गये। अधिकारियों ने बताया कि इस शक्तिशाली तूफान के कारण 50 से अधिक गांवों में कुल 5,749 लोग प्रभावित हुए, लेकिन किसी की मृत्यु होने की खबर नहीं है। शक्तिशाली चक्रवात ‘मोखा’ पांचवीं श्रेणी के तूफान के रूप में सशक्त होकर रविवार को म्यांमा-बांग्लादेश तट पर पहुंचा। इसने दक्षिण-पूर्व तटीय क्षेत्रों में भारी नुकसान पहुंचाया और पांच लाख से अधिक लोगों को निचले क्षेत्रों से जाना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि जो 236 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनमें 27 पूरी तरह नष्ट हो गये जबकि 127 को आंशिक नुकसान पहुंचा है।


त्रिपुरा

त्रिपुरा से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा है कि पूर्वोत्तर के राज्य में भाजपा- इंडिजनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) का गठबंधन 40-50 वर्षों तक शासन करेगा। हम आपको बता दें कि इससे पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा ने राज्य में 2018 तक 25 वर्ष राज्य में शासन किया था। मुख्यमंत्री के तौर पर एक साल पूरा होने पर साहा ने पत्रकारों से कहा, ‘‘लोगों ने भाजपा-आईपीएफटी के नेतृत्व वाली सरकार में पूरा भरोसा जताया है। हमारा गठबंधन राज्य में 40-50 वर्ष तक शासन करेगा क्योंकि हम विकास और उन्नति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’’

नगालैंड

इसके अलावा, नगालैंड से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि पूर्वोत्तर के आठ में से छह राज्यों के 321 लोगों को नगालैंड में आयोजित ‘रोजगार मेला’ में मंगलवार को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। उन्हें छह मंत्रालयों और असम राइफल्स में भर्ती के नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री प्रतिमा भौमिक ने दीमापुर में इम्लियांगर मेमोरियल सेंटर (आईएमसी) में आयोजित साझा रोजगार मेला में नियुक्ति पत्र वितरित किए। भौमिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महिलाओं के सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हैं, इसलिए 321 नए कर्मचारियों में 67 महिलाएं हैं।

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