Purvottar Lok: Manipur में शांति का माहौल, पूर्वोत्तर राज्यों में बनेगा भूमि शासन कार्यबल, सरमा ने सरकार की दूसरी वर्षगाँठ पर दी कई सौगातें

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ANI

मेघालय में एक सीट के लिए उपचुनाव संपन्न हुआ। अरुणाचल प्रदेश में इस सप्ताह एक दिन का बंद आयोजित किया गया तो दूसरी ओर केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए पूर्वोत्तर राज्यों में ‘भूमि शासन’ के लिए एक कार्य बल गठित करने का फैसला किया।

इस सप्ताह मणिपुर में हिंसा थमी और शांति स्थापित हुई। हालांकि कांग्रेस ने मणिुपर हिंसा को पूर्व नियोजित बताते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है। इसके अलावा असम में हिमंत बिस्व सरमा की सरकार के दो साल पूरे होने पर राज्य की जनता को कई सौगातें दी गयीं। साथ ही इस सप्ताह पूर्वोत्तर के सभी राज्य मणिपुर की हिंसा से किसी ना किसी रूप में प्रभावित रहे। विभिन्न राज्य अपने छात्रों और अन्य लोगों को मणिपुर से सकुशल निकालने में लगे रहने के अलावा मणिपुर से भागकर आ रहे लोगों के रहने खाने का प्रबंध करने में भी लगे रहे। दूसरी ओर मेघालय में एक सीट के लिए उपचुनाव संपन्न हुआ और एक स्थानीय पार्टी के सत्तारुढ़ दल में विलय से एनपीपी की शक्ति भी बढ़ गयी। अरुणाचल प्रदेश में इस सप्ताह एक दिन का बंद आयोजित किया गया तो दूसरी ओर केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए पूर्वोत्तर राज्यों में ‘भूमि शासन’ के लिए एक कार्य बल गठित करने का फैसला किया। बहरहाल, आइये एक नजर डालते हैं पूर्वोत्तर भारत से आई इस सप्ताह की बड़ी खबरों पर। सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।

मणिपुर

मणिपुर के पूर्वी इंफाल जिले में अज्ञात उग्रवादियों ने बुधवार को गोलीबारी की जिसमें असम राइफल्स का एक जवान घायल हो गया जबकि हिंसा प्रभावित राज्य में कई स्थानों में जनजीवन फिर से पटरी पर लौट रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, चूराचांदपुर और जिरिबाम सहित 11 प्रभावित जिलों में बुधवार को सुबह पांच बजे से छह घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई। मंगलवार को इन जिलों में कर्फ्यू में चार घंटे की ढील दी गई थी। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अस्थायी शिविरों में शरण लिए लोग भी अब अपने-अपने घर लौटने लगे हैं। हम आपको बता दें कि पिछले सप्ताह मणिपुर में हुई हिंसा में 60 लोग मारे गए थे और 30,000 से अधिक बेघर हो गए थे। मणिपुर के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सपम रंजन सिंह ने बताया कि विस्थापित हुए 30,000 लोगों में से 26,000 को हिंसा प्रभावित जिलों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है, जबकि 4,000 लोगों ने अपने घरों के पास बनाए गए राहत शिविरों में शरण ली है। अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय सेना और असम राइफल्स के कुल 128 ‘कॉलम’ या करीब 10,000 सैनिकों ने प्रभावित क्षेत्रों में फ्लैग मार्च बुधवार को भी जारी रखा और मानवरहित विमानों (यूएवी) की मदद से चौबीसों घंटे हवाई निगरानी की।

रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी ने एक बयान जारी कर कहा, “भारतीय सेना ने असम राइफल्स के साथ मिलकर सुरक्षा ढांचे को महत्वपूर्ण रूप से फिर से आकार दिया है और मणिपुर में, विशेष रूप से मौजूदा सुरक्षा स्थिति की पृष्ठभूमि में कई संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है, जिसके चलते स्थिति अब सामान्य होती दिखाई देने लगी है और लोग अब अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। फंसे हुए लोगों को अपनों से मिलाने का काम भी शुरू हो गया है।” बयान में कहा गया है, “भारतीय सेना न केवल भीतरी इलाकों में, बल्कि भारत-म्यांमा सीमा पर स्थित क्षेत्रों में भी निगरानी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। मानवरहित विमानों के माध्यम से चौबीसों घंटे निगरानी, भारतीय वायुसेना और सेना के एमआई 17 व चीता हेलीकाप्टरों की तैनाती तथा जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों में विश्वास बहाली के लिए पैदल गश्त और फ्लैग मार्च का सहारा लिया जा रहा है।” बयान में सेना ने लोगों से यह भी आग्रह किया है कि वे ‘गलत व्याख्या या तथ्यों की गलतबयानी के जरिये सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के दुर्भावनापूर्ण प्रयासों’ के झांसे में न आएं, क्योंकि ‘विरोधी तत्व एक बार फिर दुर्भावनापूर्ण असत्यापित सामग्री के प्रसार का प्रयास कर सकते हैं।’ सेना ने कहा है, “चूंकि, मणिपुर में समुदायों के बीच धीरे-धीरे शांति और सद्भाव बहाल होता दिखाई दे रहा है, ऐसे में दुश्मन तत्व एक बार फिर दुर्भावनापूर्ण असत्यापित सामग्री फैलाने का प्रयास कर सकते हैं। भारतीय सेना और असम राइफल्स जल्द से जल्द पूरी तरह से सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि गलत व्याख्या या तथ्यों की गलतबयानी के जरिये क्षेत्र में सद्भाव को बिगाड़ने के किसी भी दुर्भावनापूर्ण प्रयास को कामयाब न होने दें।” 

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असम

उधर, असम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि असम सरकार ने प्रत्येक गरीब परिवार को पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष तक का कैशलेस चिकित्सा उपचार मुहैया कराने वाली स्वास्थ्य देखभाल योजना आरंभ की है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस योजना का मकसद सुगम तथा किफायती स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को बढ़ावा देना है और इसके दायरे में शुरुआत में करीब 26 लाख परिवार आएंगे। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर ‘आयुष्मान असम- मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना’ शुरू की। बयान में कहा गया है कि इस योजना के लाभार्थी वे लोग होंगे जिनके नाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) की सूची में शामिल हैं।

इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों में ‘भूमि शासन’ के लिए एक कार्य बल गठित किया जाएगा। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बताया कि असम के गुवाहाटी में तीन-चार मई को हुए ‘पूर्वोत्तर राज्यों में भूमि शासन पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ में इस बाबत फैसला किया गया है। असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय राज्यों में प्रादेशिक और स्वायत्त जिला परिषदों ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण को विकास के लिए जरूरी बताया है। यह इस प्रकार का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन था। इसमें वर्तमान समय में जारी राज्य कार्यप्रणालियों और भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण व भूमि शासन आकलन ढांचे पर सत्र शामिल थे। साथ ही परंपरागत और स्वदेशी कानून, वर्तमान कार्यप्रणालियों और नई पहल तथा भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण में भारत के सर्वेक्षण की भूमिका पर भी एक सत्र हुआ था।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के बयान के मुताबिक, बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त जिला परिषद और दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद के तहत आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर असम के बाकी हिस्सों में भूमि अभिलेखों और नक्शों के कम्प्यूटरीकरण और डिजिटलीकरण की पहल ने अच्छी प्रगति दिखाई है। बोडोलैंड भूमि की नीति तैयार की जा रही है और शीघ्र ही इसे अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। मंत्रालय ने कहा कि कार्बी आंगलोंग क्षेत्रों में अभी सर्वेक्षण नहीं किया गया है जबकि दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद ने असम भूमि विनियमन अधिनियम को अपनाया है। बयान के मुताबिक, त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त परिषद में आठ जिले और लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र छठी अनुसूची और 10 प्रथागत कानूनों के तहत आते हैं। छठी अनुसूची के तहत ‘लाई’ स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्र में सर्वेक्षण/पुनः सर्वेक्षण की आवश्यकता महसूस की गई। बयान में कहा गया है कि मेघालय के खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्रों में भूमि का अधिकांश हिस्सा खासी समुदाय के अधीन है। गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद में जिला परिषद द्वारा वार्षिक पट्टा जारी करने की व्यवस्था है। मेघालय की जयंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषद ‘मेघालय भूमि सर्वेक्षण और अभिलेख तैयारी अधिनियम 1980’ का पालन करती है।

भूमि संसाधन विभाग के सचिव अजय तिर्की ने कहा कि राज्यों में विभिन्न स्वायत्त जिला परिषदों के डिजिटलीकरण और उनके भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक ढांचे और स्थापित कानूनों के भीतर परिषदों का समर्थन करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। इस बयान में कहा गया है कि इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए, बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण के लिए एक प्रस्ताव रखा और भूमि संसाधन विभाग ने उसे विधिवत मंजूरी दे दी। बयान में कहा गया है, ''भूमि संसाधन विभाग के सचिव ने पूर्वोत्तर राज्यों में आवश्यक कार्य को देखते हुए सूचित किया कि पूर्वोत्तर राज्यों में भूमि शासन के लिए उचित प्रक्रिया के बाद विभिन्न स्वायत्त जिला परिषदों के साथ मिलकर सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के साथ एक कार्यबल का गठन किया जाएगा।”

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की है कि असम सरकार ने यह पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया है कि राज्य विधानमंडल को बहुविवाह पर रोक लगाने का अधिकार है या नहीं। उन्होंने कहा कि समिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 25--राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों पर गौर करेगी। हिमंत विश्व शर्मा ने अपनी सरकार की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समिति कानूनी विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करेगी, ताकि एक सुविचारित निर्णय लिया जा सके। उन्होंने कहा, “हम समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की ओर नहीं जा रहे हैं, जिसके लिए राष्ट्रीय सहमति की आवश्यकता है और केंद्र सरकार इस बारे में पहल करेगी।” उन्होंने कहा, "हम यूसीसी के एक घटक के रूप में राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के अपने इरादे की घोषणा कर रहे हैं।" शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला आम सहमति से लिया जाएगा न कि 'जबरदस्ती या आक्रामकता से'।

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि वह उस मामले की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं जिसमें एक डॉक्टर दंपति को उस बच्ची का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बारे में दावा किया गया था उन्होंने उसे गोद लिया था। हिमंत विश्व शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वह गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर छह महीने के भीतर न्याय सुनिश्चित करने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पुलिस से 30-45 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने को कहा है। मैं दिन-प्रतिदिन के आधार पर मामले की निगरानी कर रहा हूं।” हम आपको बता दें कि शनिवार को गुवाहाटी में एक डॉक्टर और उनके परिवार की घरेलू सहायिका को गिरफ्तार किया गया था, जबकि उनकी मनोचिकित्सक पत्नी को रविवार को शहर से भागने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था। पुलिस ने डॉक्टर दंपति और उनकी घरेलू सहायिका के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो) के तहत मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा, असम में राज्य स्तरीय पुलिस भर्ती बोर्ड (SLPRB) ने पुलिस समेत विभिन्न सरकारी विभागों में 5400 से ज्यादा अभ्यर्थियों को चयनित घोषित किया। SLPRB के अध्यक्ष और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जी.पी. सिंह ने यह जानकारी दी। यह भर्ती अभियान असम पुलिस, नागरिक सुरक्षा महानिदेशक और होम गार्ड कमांडेंट, असम पुलिस रेडियो संगठन (एपीआरओ), अग्निशमन एवं आपात सेवा (एफ एंड ईएस), कारागार, आबकारी एवं वन विभागों की ओर से चलाया गया था। हम आपको बता दें कि विभिन्न विभागों की ओर से आयोजित भर्ती अभियानों के नतीजे बीते कुछ दिनों से घोषित किए जा रहे हैं। राज्य की हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार अपनी दूसरी वर्षगांठ पर एक लाख सरकारी नौकरी के आंकड़े को छूने के करीब है।

मेघालय

मेघालय से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मेघालय में पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) ने अपने दो विधायकों के साथ सत्तारुढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में विलय कर लिया है। इसी के साथ, 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों की कुल संख्या बढ़कर 28 हो गई है। दोनों पार्टियों का विलय शिलांग में होने वाले उपचुनाव से ठीक पहले हुआ। पीडीएफ अध्यक्ष गाविन मिलिएम और कार्यकारी अध्यक्ष बांतेइदोर लिंगदोह के नेतृत्व में पार्टी के सभी पदाधिकारी सत्तारुढ़ एनपीपी में शामिल हो गए।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (APPSC) के प्रश्नपत्र लीक संबंधी कथित घोटाले के खिलाफ कुछ लोगों और संगठनों द्वारा 72 घंटे के बंद के आह्वान के बाद बुधवार को राज्य की राजधानी में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। बैंक और शिक्षण संस्थानों के साथ ही सभी कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे, वहीं सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति बहुत कम रही। पुलिस और मजिस्ट्रेट के वाहनों को छोड़कर सार्वजनिक एवं निजी परिवहन के सभी वाहन सड़कों से नदारद थे। पुलिस अधीक्षक रोहित राजबीर सिंह ने कहा कि सुबह पांच बजे शुरू हुआ बंद शांतिपूर्ण रहा। उन्होंने कहा कि पुलिस ने कुल 17 लोगों को हिरासत में लिया। उन्हें अरुणाचल प्रदेश गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 2014 के प्रावधानों के तहत निरुद्ध किया गया है। हम आपको बता दें कि APPSC प्रश्नपत्र लीक मामले में सीबीआई ने जांच संभाली है और 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह मामला तब सामने आया था, जब सहायक अभियंता (सिविल) पद के लिए हुई परीक्षा में अभ्यर्थी ग्यामर पडांग ने 29 अगस्त, 2022 को ईटानगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी और दावा किया था कि 26 और 27 अगस्त को हुई परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक हुए थे।

मिजोरम

मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले सप्ताह जातीय हिंसा भड़कने के बाद कुल 3,583 लोग भागकर पड़ोसी राज्य मिजोरम जा चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन लोगों को मिजोरम के छह जिलों में अस्थायी राहत शिविरों में रखा गया है, जबकि कई लोगों को उनके रिश्तेदारों ने आश्रय दिया है। एक बयान के मुताबिक, मणिपुर से भागे लोगों में से कुल 1,351 लोगों ने कोलासिब जिले में, 1,214 लोगों ने सैतुअल जिले में और 934 लोगों ने आइजोल जिले में शरण ली है जबकि शेष 84 लोगों ने चम्फाई, सेरछिप और ख्वाजोल जिलों में शरण ली है। राज्य के अधिकारियों ने कहा कि मिजोरम पर पहले से ही म्यांमार और बांग्लादेश से आए 30,000 से अधिक शरणार्थियों का बोझ है।

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