दिवाला संहिता के तहत अब एक साल तक कोई नया मामला नहीं लिया जाएगा: सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्ज की किस्तें चुकाने में अपने को असमर्थ पा रही कंपनियों को दिवाला संहिता के तहत एक साल तक कार्रवाई से बचाने की रविवार को घोषणा की।
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्ज की किस्तें चुकाने में अपने को असमर्थ पा रही कंपनियों को दिवाला संहिता के तहत एक साल तक कार्रवाई से बचाने की रविवार को घोषणा की। उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत एक साल तक कोई नयी दिवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं की जायेगी। कोराना से उत्पन्नपरिस्थितियों से निपटने और आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ रुपये के मेगा पैकेज की पांचवी किस्त की घोषणाओं में आईबीसी संबंधी यह प्राधान भी शामिल किया गया है।
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वित्त मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही, कोरोनो वायरस से संबंधित ऋण को डिफ़ॉल्ट की परिसे बाहर रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) को लाभ पहुंचाने के लिये दिवाला शोधन प्रक्रिया शुरू करने के लिए फंसे कर्ज की न्यूनतम राशि एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिये अध्यादेश लाया जायेगा। उन्होंने कंपनी कानून के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन को गैर-आपराधिक बनाये जाने की भी घोषणा की। इसके तहत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के बारे में जानकारी देने में चूक, निदेशक मंडल की रिपोर्ट की अपर्याप्ता, शेयर बाजारों को सूचना देने में देरी, सालाना आम बैठक में देरी समेत कई प्रक्रियात्मक चूकें तथा मामूली तकनीकी दिक्कतें शामिल हैं। अर्थ दंड या हर्जाने के साथ समाधान योग्य उल्लंघनों में अधिकांश को आंतरिक न्याय निर्णय प्रक्रिया (आईएएम) के तहत रखा जाएगा। इस संबंध में अध्यादेश जारी किया जाएगा।
#WATCH Finance Minister Nirmala Sitharaman announces the last tranche of #EconomicPackage https://t.co/doq5YvOydo
— ANI (@ANI) May 17, 2020
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उन्होंने कहा कि कंपनी कानून के तहत सात समाधान योग्य अपराधों को एक साथ हटाया जायेगा और इनमें से पांच को वैकल्पिक नियमों के तहत रखा जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने कंपनियों को सीधे विदेशी बाजार में प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने की मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां, जो शेयर बाजारों में गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर सूचीबद्ध कराती हैं, उन्हें सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में नहीं माना जायेगा।
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