Parliament Diary: Nirmala Sitharaman, Priyanka Gandhi Vadra और Mallikarjun Kharge ने अपने भाषणों के जरिये उठाये कई महत्वपूर्ण मुद्दे

Nirmala Sitharaman
ANI

राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राज्यों को आरक्षण को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए पत्र के बारे में ‘‘तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर’’ देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और माफी की मांग की।

लोकसभा में जहां आज अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच पर चर्चा कराई गयी वहीं राज्यसभा में संविधान के मुद्दे पर चर्चा हुई। लोकसभा में भाजपा ने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान भ्रष्टाचार को लेकर उस पर जोरदार निशाना साधते हुए कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के तत्कालीन मुखिया मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार को गठबंधन की मजबूरी मानते थे, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) के पक्षधर हैं।

वहीं राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राज्यों को आरक्षण को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए पत्र के बारे में ‘‘तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर’’ देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और माफी की मांग की। राज्यसभा में 'भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' पर चर्चा में भाग लेते हुए, खरगे ने भाजपा नेताओं पर प्रधानमंत्री मोदी की 'भक्ति' में लिप्त होने का भी आरोप लगाया और कहा कि यह स्थिति देश को तानाशाही की ओर ले जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी के भाषण का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि 1947-1952 के बीच कोई निर्वाचित सरकार नहीं थी और कांग्रेस ने अवैध रूप से संविधान में संशोधन किया था। खरगे ने कहा कि पहला संशोधन संविधान सभा के सदस्यों द्वारा किया गया था, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि यह संशोधन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को आरक्षण प्रदान करने, शिक्षा, रोजगार से संबंधित समस्याओं को दूर करने और जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का दूसरा पहलू सांप्रदायिक दुष्प्रचार को रोकना था और सरदार पटेल ने तीन जुलाई 1950 को एक पत्र में नेहरू को सुझाव दिया था कि संविधान संशोधन ही इस समस्या का एकमात्र समाधान है। खरगे ने कहा, ‘‘इसलिए नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर नेहरू को बदनाम करने के बाद प्रधानमंत्री के भाषण में इसका उल्लेख किया गया है, जिसके लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। यह मेरी मांग है।’’

उन्होंने कहा ‘‘अगर आप देश के सामने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं और बदनाम करने की कोशिश करते हैं, तो आपको इस सदन और दूसरे सदन में और इस देश की जनता के सामने माफी मांगनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अतीत में जीते हैं, वर्तमान में नहीं। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री लोकतंत्र को मजबूत करने वाली वर्तमान उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते। उन्होंने दावा किया कि आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के खिलाफ थे। उन्होंने कहा, ‘‘1949 में पूरा देश जानता था कि आरएसएस के नेता संविधान का विरोध करते थे, क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था। आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने 30 नवंबर, 1949 के संस्करण में इसके बारे में लिखा भी था।’’ खरगे ने कहा कि संविधान सभा की बहसों से यह स्पष्ट है कि आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के खिलाफ थे। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग झंडे, अशोक चक्र और संविधान से नफरत करते थे, वे आज हमें संविधान की शिक्षा दे रहे हैं।’’ खरगे ने कहा कि जब कई शक्तिशाली देश सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का पालन नहीं कर रहे थे, तब भी भारत में महिलाओं और समाज के सभी वर्गों को कांग्रेस के शासनकाल में संविधान के माध्यम से मतदान का अधिकार दिया गया था। उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष के नेता तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए सूचनाओं को काट-छांट कर पेश करते हैं। खरगे ने कहा, ‘‘जो लोग देश के लिए नहीं लड़े, वे स्वतंत्रता और संविधान का महत्व कैसे जानेंगे?’’ उन्होंने कहा कि भाजपा जुमले बोलकर देश के लोगों को बेवकूफ बना रही है। उन्होंने कहा कि लोग अभी भी दो करोड़ नौकरियों और किसानों की आय दोगुनी करने का इंतजार कर रहे हैं। खरगे ने कहा कि भाजपा आरक्षण के खिलाफ है और इसीलिए पार्टी जाति जनगणना के खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार भाजपा से ज्यादा तेजी से महिला आरक्षण लागू करेगी। खरगे ने मणिपुर का मुद्दा भी उठाया, जो पिछले डेढ़ साल से जातीय हिंसा से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हर जगह जाते हैं, लेकिन उनके पास संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करने का समय नहीं है।

वित्त मंत्री का बयान

इसके अलावा, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर शाह बानो प्रकरण और आपातकाल से जुड़े विभिन्न संविधान संशोधनों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर ‘एक परिवार के हित’ में संविधान में संशोधन करते रहने का आरोप लगाया। ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए सीतारमण ने कहा कि इन संविधान संशोधनों के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने ना तो प्रक्रिया का पालन किया और ना ही संविधान की भावना का कोई सम्मान किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने का रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा, ‘‘मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था। 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित बैठकों में से एक में मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता सुनाई थी जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ थी। और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा।’’ सीतारमण ने कहा कि सुल्तानपुरी ने माफी मांगने से इंकार कर दिया था और उन्हें जेल भेज दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड यहीं तक सीमित नहीं था। वर्ष 1975 में माइकल एडवर्ड्स ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू पर एक राजनीतिक जीवनी लिखी थी। इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने ‘किस्सा कुर्सी का’ नामक एक फिल्म को भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उनके बेटे और तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री पर सवाल उठाया गया था।’’ सीतारमण ने कहा कि 1950 में उच्चतम न्यायालय की ओर से वामपंथी पत्रिका ‘क्रॉस रोड्स’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के पक्ष में सुनाए गए एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसके जवाब में तत्कालीन अंतरिम सरकार संविधान संशोधन किया जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाते थे। उन्होंने कहा, ‘‘कई उच्च न्यायालयों ने भी हमारे नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखा, लेकिन अंतरिम सरकार ने जवाब में सोचा कि पहले संशोधन की आवश्यकता है। यह कांग्रेस द्वारा लाया गया था।’’ उन्होंने इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण मामले से संबंधित संवैधानिक संशोधनों का भी उल्लेख किया और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, ‘‘ये संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों के हित में लाए गए थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि किसी व्यक्ति के लिए अपनी कुर्सी बचाने के लिए, अदालत के फैसले से पहले ही एक संशोधन किया गया था।’’

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शाह बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के 1986 के एक फैसले का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने इसे पलटते हुए मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता के अधिकार से वंचित कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया जबकि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने संविधान संशोधन करके मुस्लिम महिलाओं को अधिकारों से वंचित किया।’’ इससे पहले, वित्त मंत्री ने 15 महिलाओं सहित संविधान सभा के 389 सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल में भारत का संविधान तैयार किया था। सीतारमण ने कहा कि भारत का संविधान ‘‘समय की कसौटी पर खरा उतरा है। आज हम भारत के लोकतंत्र के विकास पर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश के संविधान के 75 साल पूरे हो रहे हैं और ‘‘यह समय भारत के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का है, जो इस पवित्र दस्तावेज में निहित भावना को बनाए रखेगा।’’

भारत और उसके संविधान को अपनी अलग पहचान बताते हुए सीतारमण ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हुए और उन्होंने अपना संविधान लिखा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कई देशों ने अपने संविधानों को बदला है, कई ने न केवल उनमें संशोधन किया है, बल्कि सचमुच अपने संविधान की पूरी विशेषता को बदल दिया है। लेकिन हमारा संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में समय समय पर संशोधन किए गए हैं। उन्होंने कहा ‘‘संशोधन समय की मांग थी।’’ 

फलस्तीन लिखा हुआ बैग

इसके अलावा, आज संसद से जुड़ी अहम बातों की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा फलस्तीन के लोगों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए एक ऐसे हैंडबैग के साथ संसद पहुंची जिस पर ‘फलस्तीन’ लिखा हुआ था। वह कई मौकों पर गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाती और फलस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करती रही हैं। उन्होंने जो हैंडबैग लिया हुआ था उस पर अंग्रेजी में ‘पेलेस्टाइन’ (फलस्तीन) लिखे होने के साथ फलस्तीन से जुड़े कई प्रतीक भी बने हुए थे। 

एक देश, एक चुनाव

इसके अलावा, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाला एक संवैधानिक संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है और फिर इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जा सकता है। सत्तापक्ष के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ को लोकसभा में मंगलवार को पेश किए जाने की उम्मीद है। विधेयक के पेश होने के बाद मेघवाल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का अनुरोध करेंगे। संयुक्त समिति का गठन विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या के मुताबिक आनुपातिक आधार पर किया जाएगा। पदाधिकारी ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को समिति की अध्यक्षता मिलेगी और उसके कई सदस्य इसमें शामिल होंगे।

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति के सदस्य रहे गृह मंत्री अमित शाह विधेयक पेश किए जाने के दौरान निचले सदन में उपस्थित रह सकते हैं। इस उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा के आधार पर यह विधेयक लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा के क्रियान्वयन के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दी थी। संसद का वर्तमान शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होगा।

विजय दिवस का मुद्दा

हम आपको यह भी बता दें कि वर्ष 1971 में आज के दिन पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे विजय दिवस का उल्लेख करते हुए लोकसभा में अनेक सदस्यों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया और सरकार से मांग की कि पड़ोसी देश के शासन से बात करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से इस बाबत सदन में बयान देने की भी मांग की। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने शून्यकाल में कहा, ‘‘आज विजय दिवस है। 1971 के युद्ध में शहीद हुए सभी सैनिकों को और देश की जनता को आज के दिन नमन है।’’ उन्होंने कहा कि उस युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कठिन से कठिन परिस्थिति में साहस दिखाया और ऐसा नेतृत्व दिखाया जिससे देश की विजय हुई। कांग्रेस सांसद ने उस युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश के निर्माण का जिक्र करते हुए कहा कि आज पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों हिंदुओ और ईसाइयों पर अत्याचार के खिलाफ इस सरकार को आवाज उठानी चाहिए और बांग्लादेश सरकार से बातचीत करनी चाहिए।

विजय दिवस प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को मनाया जाता है। यह 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना के अदम्य साहस व शहीद जवानों के बलिदान को याद करने का दिन है। शून्यकाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशिकांत दुबे ने कहा कि 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश बना था और उस समय भारतीय सेना तथा तत्कालीन नेतृत्व ने बड़ा योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि उस युद्ध में नजरूल इस्लाम और जगजीवन राम जैसे नेताओं के योगदान को इतिहास ने भुला दिया है। दुबे ने कहा, ‘‘युद्ध के समय इंदिरा जी के योगदान को कोई नकार नहीं रहा, लेकिन जगजीवन राम के योगदान को भी याद रखा जाए।’’ तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के मुद्दे पर कहा, ‘‘मुझे हैरानी है कि सरकार इस मुद्दे पर चुप क्यों है। संसद चल रही है। सरकार बयान दे और बताए कि क्या स्थिति है।’’ उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री या प्रधानमंत्री को सदन में आकर बयान देना चाहिए और बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को बचाया जाना चाहिए। कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी, प्रशांत पडोले और शिवसेना के नरेश म्हास्के ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले का मुद्दा उठाते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की। पडोले ने पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव की सुरक्षित वापसी के लिए भी प्रयास करने की सरकार से मांग की।

ओम बिरला की नसीहत

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को सरकार से कहा कि अदालतों में लंबित श्रम से संबंधित मामलों के समयबद्ध निवारण के लिए कदम उठाया जाए। उन्होंने सदन में प्रश्नकाल के दौरान श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया से यह अपील उस वक्त की जब वह अपने मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। बिरला ने कहा, ‘‘श्रम से जुड़े मामले अदालतों में बहुत लंबे समय तक लंबित रहते हैं। एक बार कानून मंत्री से बात करें, इनका समयबद्ध तरीके से निवारण हो। इस पर मंडाविया ने कहा, ‘‘सर, करेंगे।’’ कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी यह कहते सुने गए कि दोनों मंत्री बैठकर इसे करेंगे।

अनुपूरक मांगों पर चर्चा

भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने ‘वर्ष 2024-25 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच’ पर लोकसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि विपक्ष का यह आरोप है कि सरकार गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ न्याय नहीं कर रही है, लेकिन उसे (विपक्ष को) यह ज्ञात होना चाहिए कि सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए राज्यों को पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी है। उन्होंने कहा कि ‘तथाकथित’ अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश की तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में भारत का जितना कुल बजट होता था उतना तो राजग सरकार राज्यों को दे रही है और उतनी ही राशि अलग से सब्सिडी में दे रही है। जायसवाल ने कहा कि मोदी सरकार ने 2024-25 में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में देश के गरीबों और किसानों को दिये, जबकि 2021-22 में सरकार ने सात लाख 57 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग के शासन काल में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री से भ्रष्टाचार के बारे में पूछा जाता था तो वह कहते थे कि गठबंधन धर्म की कुछ मजबूरियां होती हैं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री (मोदी) भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात करते हैं। यही अंतर संप्रग/इंडिया और राजग गठबंधन में है।’’

उन्होंने कहा कि संप्रग के कार्यकाल में केंद्र में और उसके सहयोगी दलों की विभिन्न राज्य सरकारों में हुए भ्रष्टाचार के कारण संप्रग इतना बदनाम हो चुका था कि कांग्रेस ने इसका नाम बदलकर ‘इंडिया’ कर दिया। उन्होंने किसानों के बैंक खातों में सीधे दी जाने वाली राशि का उल्लेख करते हुए कहा कि किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये तीन लाख 46 हजार करोड़ रुपये जारी किये गये और यह पूरी राशि उनके खातों में पहुंच गयी, जबकि कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया था कि उनके कार्यकाल में 100 पैसे में 15 पैसा ही लोगों तक पहुंचता था। जायसवाल ने कहा कि भाजपा-नीत सरकार में किसी भी मंत्री के खिलाफ एक पैसे का भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है, जबकि तृणमूल कांग्रेस सहित ‘इंडिया’ गठबंधन-नीत राज्य सरकारों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो धन की व्यवस्था की गयी है, वह साबित करता है कि सरकार कितनी अच्छे तरीके से चल रही है।

भाजपा सांसद ने परोक्ष रूप से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना लगाते हुए कहा कि गठबंधन के कारण ‘इंडिया’ गठबंधन दहाई के आंकड़े में पहुंच तो गया, लेकिन जिस तरह से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) और राष्ट्रीय जनता दल ने विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व बदलने की बात की है, यदि उस पर अमल हो गया तो कांग्रेस एक अंक में आ जाएगी। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के कामकाज का उल्लेख करते हुए कहा कि वाजपेयी जी के समय भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन रहा था, लेकिन अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) ने अपना कार्यकाल समाप्त होते-होते इसे सबसे निचले पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास में यह भी दर्ज होगा कि कैसे एक गरीब ‘चायवाले’ ने भारत को तीसरे कार्यकाल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कड़ी मेहनत करके सफलता का मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा कि एक ‘नरेन्द्र’ (विवेकानंद) ने करीब 140 साल पहले भारत के विश्वशक्ति बनने की भविष्यवाणी की थी और आज दूसरा ‘नरेन्द्र’ (मोदी) इसे पूरा कर रहे हैं। जायसवाल ने कहा कि रास्ते में कितने भी रोड़े अटका दिये जाएं, लेकिन भारत विकसित राष्ट्र बनकर रहेगा। भाजपा के पीपी चौधरी ने कहा कि आज मोदी के नेतृत्व में भारत अर्थव्यवस्था के संदर्भ में वैश्विक महाशक्ति बना है। शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने दावा किया कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की ओर से जारी 1.31 लाख करोड़ रुपये के ऑइल बांड का भुगतान इस सरकार को करना होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ‘कर्ज निर्भर भारत बनाया, हमने आत्मनिर्भर भारत’ बनाया है।

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