कोरोना काल के चलते पहली बार ऑनलाइन होगा निरंकारी संत समागम
विजय झाबा के अनुसार भारत-पाक विभाजन के उपरांत दिल्ली में पहला संत समागम बाबा अवतार सिंह के सानिध्य में वर्ष 1948 में हुआ था। इसके बाद संत समागम की परंपरा शुरू हो गई। संत समागम के माध्यम से साधकों को प्रेम, भाईचारा और देश की एकता और अखंडता का संदेश दिया जाता है।
गुना। निरंकारी संत समागम पहली बार ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा। कोरोना संकट के कारण दिल्ली में होने वाले संत समागम इस बार अलग स्वरूप में आयोजित किया जाएगा। आगामी 5 से 7 दिसम्बर तक होने वाले वर्चुअल निरंकारी संत समागम की तैयारियां शुरू हो गई हैं। संत निरंकारी मंडल के मीडिया प्रभारी विजय झाबा ने बुधवार को बताया कि ऑनलाइन सत्संग संत समागम का शुभारंभ 5 दिसंबर को सद्गुरू माता सुदीक्षा के प्रवचन के साथ होगा।
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मध्य प्रदेश में गुना जिले के श्रद्धालु भी इसे लेकर काफी उत्साहित है। आमतौर पर संत समागम दिल्ली में होता है। इसमें गुना जोन के अलावा देशभर के हजारों साधक परिवार शामिल होते हैं। संत समागम के दौरान साधक मानव सेवा के कार्य भी करते हैं। सद्गुरू माता सुदीक्षा ने साधकों से कोरोना संकट के कारण ऑनलाइन सत्संग देखने का आह्वान किया है। इस वर्ष निरंकारी समागम का मुख्य विषय स्थिरता है। निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से विश्व में सत्य, प्रेम एकत्व का संदेश दे रहा है। निरंकारी मिशन का मानना है कि मनुष्य का मन अस्थिर होता जा रहा है। मानव मन को आध्यात्मिक विचारों से स्थिर किया जा सकता है आध्यात्मिक विचार ही मनुष्य की प्रगति में सहायक हो सकते हैं।
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विजय झाबा के अनुसार भारत-पाक विभाजन के उपरांत दिल्ली में पहला संत समागम बाबा अवतार सिंह के सानिध्य में वर्ष 1948 में हुआ था। इसके बाद संत समागम की परंपरा शुरू हो गई। संत समागम के माध्यम से साधकों को प्रेम, भाईचारा और देश की एकता और अखंडता का संदेश दिया जाता है। बाबा हरदेव सिंह और सद्गुरू माता सविंदर कौर के सानिध्य में साधक हर साल संत समागम में जाते थे।
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